राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री तथा
उ.न्या. के मुख्य न्यायधीश को लिख पत्र
अनूपपुर। एसईसीएल जमुना-कोतमा
के ग्राम आमाडांड, निमहा, कुहका के किसानों की 1729
एकड़ भू-अर्जन तथा प्रभावित किसानों को प्रावधानों के अनुसार अबतक नौकरी और मुआवजे
से वंचित रखने में आधा दर्जन किसानों द्वारा 31
मार्च को आत्मदाह की दी गई चेतावनी के बाद अब हसदेव क्षेत्र अंतर्गत कुरजा
उपक्षेत्र के 4
गावों ग्राम कुरजा, पडरीपानी, दलदल एवं रेऊदा के 231 किसानों की 314.78 हेक्टेयर भूमि
के अधिग्रहण और प्रावधानों के अनुसार अबतक नौकरी और मुआवजा नहीं मिलने से नाराज १७
किसानों ने अपनी इच्छामृत्यु की अनुमति मांग शासन और प्रशासन के आंखों की नींद
उड़ा दी है।
कोल प्रबंधन
पर लगाया वादा खिलाफी
प्रभावित
किसानो में रामसिंह, शिव
कुमार संवाले, लखन
ङ्क्षसह गोंड, मुनेश्वर
ङ्क्षसह गोंड़, रामलाल
पाव, बब्बू
पाव, गेंदलाल
पाव, धनकुमार
कोल, गोविंद
ङ्क्षसह गोंड़, मोती
लाल गोड़, श्यामाबाई
गोंड़, रामदयाल
गोंड़, फूल
कुंवर गोंड़, मुलकों
बाई गोंड़, दुआसा
बाई, केशर
सिंह ने 18-23 मार्च तक देश के
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री
तथा उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश को लिखे गए पत्र में अपनी व्यथा बताते हुए
इच्छा मृत्यु दिए जाने की याचना की है। वहीं देश के शीर्ष तीनों पदों के लिए लिखे
गए पत्र में प्रभावित किसानों ने कोल प्रबंधन पर एसईसीएल के कुरजा उपक्षेत्र के
द्वारा वर्ष 2006 से चोरी छिपे भूमिगत
खदान चलाने तथा किसानों की जमीनों को खोखला करने का आरोप लगाया है। किसानों का
कहना है कि भू-अधिग्रहण के दौरान कॉलरी प्रशासन ने प्रावधानों के अनुसार उन्हें
रोजगार व मुआवजा दिए जाने का आश्वासन दिया था,
जहां बार बार किसानों द्वारा रोजगार और मुआवजा के नहीं मिलने
पर विरोध प्रदर्शन कर अपनी मांगों के लिए आवाज उठाई गई। लेकिन अब कॉलरी प्रबंधन उन
खोखली जमीनों को पुन: किसानों को वापस करने की बात कह रही है साथ ही जमीनों को
किसानों को वापस देने संबंधी सलाह वरिष्ठ अधिकारियों से मांगी गई है, जिनका फैसला होने के
बाद ही रोजगार व मुआवजे का निर्णय की बात कह रही है।
किसी ने नही
सुनी समस्या
किसानों के
अनुसार कोल प्रबंधन पिछले 5 वर्षो से उनकी जमीनों पर भूमिगत खदान संचालित कर
कोयला निकाल रही है। लेकिन अब उनके द्वारा
जमीनों को नहीं लेने की बात कही जा रही है। जबकि वर्ष 2013 में धारा 7(1) के तहत अधिसूचना
जारी कर जमीनें लिए जाने का करारनामा है, जिससे
अब कालरी प्रबंधन अपने वादे से मुकर रहा है। इस मामले में किसानों के द्वारा कोयला
मंत्रालय में भी शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिस
पर 22 मार्च को अपर सचिव आरएस सरोज के द्वारा सीएमडी से हो रहे विलंब की जानकारी
मांगी। वहीं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में की गई शिकायत पर 23 मार्च को
कलेक्टर तथा सीएमडी को पत्र जारी कर इस संबंध में जवाब सहायक निदेशक के द्वारा
मांगा गया है। लेकिन अब तक इन किसानों को यह जानकारी नहीं दी जा रही है कि उनकी
जमीनों को वापस किया जाएगा या फिर रोजगार व मुआवजा दिए जाएंगे।
मंत्रीयो ने
भी दिखाई उदासीनता
नौकरी और
मुआवजे को लेकर मई 2017
में किसानों ने 17
दिनों तक आमरण अनशन करते हुए 25
मई 2017
को मप्र. कृषि मंत्री गौरीशंकर विसेन को ज्ञापन सौंपकर किसानों की समस्याओं के
समाधान की अपील की थी। जबकि 6
जून 2017
को जिले के प्रभारी मंत्री सत्येन्द्र संजय पाठक ने भी किसानों की समस्याओं पर
नाराजगी जताते हुए उसे निर्धारित तिथि में सुलझाने का आश्वासन दिया था। लेकिन
किसानों को प्रभारी मंत्री द्वारा तीन बार बैठक के लिए दिए गए तिथि पर आजतक न तो
मंत्री द्वारा कोई बैठक आयोजित कराई जा सकी और ना ही कॉलरी प्रबंधन द्वारा रोजगार
और मुआवजा प्रदान कराया गया।
इनका कहना है
इस सम्बंध
में पूर्व में हमारे द्वारा मामले को लेकर पूरी जानकारी बिलासपुर मुख्यालय भेजी जा
चुकी है। इस सम्बंध में निर्णय बिलासपुर मुख्यालय द्वारा लिया जाएगा।
अजय नामजोशी, उपक्षेत्रीय प्रबंधक
कुरजा
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