अनूपपुर।
प्राचीन महाभारत काल के लाक्षागृह का नाम सुनते ही सब को लाख (लाह) का स्मरण हो
आता है। लाख एक अत्यंत ज्वलनशील प्राकृतिक राल है, जिसका उपयोग सौन्दर्य, प्रसाधन, औषधि के रंग तथा
अन्य कई क्षेत्रों मे उपयोग होता है, कह
सकते है कि लाख के लाख उपयोग है। अनूपपुर क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से लाख कीट के
पोषक वृक्ष पलास, कोसम तथा बेर
बहुतायत मे विद्यमान हैं। प्राचीन समय में लाख से प्राप्त राजस्व राशि रीवा रियासत
के राजस्व का महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करता था। समय एवं मौसम चक्र मे परिवर्तन से
क्षेत्र मे लाख की खेती लुप्त हो गयी थी। ऐसे मे लाख की खेती को पुनर्जीवित करने
मे म०प्र० ग्रामीण आजीविका परियोजना एवं हार्ड संस्था (होलिस्टिक एक्शन रिसर्च एंड
डेवलोपमेंट) द्वारा जिले के चुकान गाँव मे सर्वप्रथम 2004-05 मे 25-30 हितग्राहियों को
साथ मे लेकर रंगीनी लाख की कृषि प्रारम्भ की गयी थी। समय के साथ ग्रामवासियों की
लगन को संस्थान एवं शासन के अतिरिक्त उद्योगीनी नई दिल्ली एवं राल अनुसंधान केंद्र
रांची का तकनीकी सहयोग एवं मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ।
वैज्ञानिक
पद्घति का इस्तेमाल कर बढाया
उत्पादन
रांची राल
अनुसंधान केंद्र ने यहाँ के हितग्राहियों को लाख की खेती के गुर सिखाये। हार्ड
संस्था के सचिव सुशील शर्मा बताते हैं प्रशिक्षण के अंतर्गत लाभान्वितों को पेडो
का चयन, पेडो
की मर्किंग, ब्रूड
संचरण, दवा
का छिडकाव, लाख
की कटाई एवं लाख संग्रहण के गुर सिखाये गए। लाख की खेती से अधिकाधिक लाभ प्राप्त
करने के लिए पोषक वृक्षो पलास रंगीनी लाख के लिए कोषम एवं बेर कुसुमी लाख के लिए
चयनित करने चाहिए इससे लाख के कीट को भरपूर पोषण मिलता है। पोषक वृक्ष मे ब्रूड
संचरण के 21
दिन के बाद ब्रूड उतारने की प्रक्रिया को
फूंकी उतरना कहते हैं। ऐसा न करने से शत्रु कीट उत्पन्न होता है जो लाख की फसल को
नष्ट कर देता है। मौसम चक्र में परिवर्तन के अनुसार दो बार दवा का छि$डकाव और लाख की फसल
तैयार हो जाती है।
7
से 8
हजार तक की हो रही है अतिरिक्त आमदनी
जिले मे 1000 से अधिक महिलाएं
लाख की खेती से जुड चुकी हैं। लाख की खेती कम आय वाले परिवारों के लिए भी उपयुक्त
है क्योकि इसमे उन्हे एक सीजन मे 10-15 दिन ही कार्य करना
प$डता है लागत
भी एक वर्ष बाद नगण्य हो जाती है। एक सीजन मे 10-15 वृक्षों मे यदि लाख
का संचरण किया जाए तो हितग्राही को लगभग 10-15 हजार की आमदनी हो
जाती है। औसतन एक व्यक्ति को लाख की खेती से कृषि आय एवं अन्य साधनो के अतिरिक्त 7 से 8 हजार की आय हो जाती
है। परंपरागत कृषि एवं वैज्ञानिक पद्घति के उन्नत मिश्रण से जिले के जैतहरी एवं
कोतमा विकासखंड के 1000
से अधिक व्यक्तियों को अतिरिक्त आमदनी मिल रही है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें