न थर्मल जांच
किया और ना ही सर्दी खांसी वाले सदस्य की जांच
अनूपपुर। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जिला प्रशासन की मॉनीटरिंग में
स्वास्थ्य अमला द्वारा आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए कराए जा रहे सर्वेक्षण कार्य औपचारिकता पूर्ण
रहा। स्वास्थ्य टीम में एएनएम और आशा कार्यकर्ता के रूप में दो सदस्यों ने घर घर
जाकर दस्तक तो जरूर दी, लेकिन जानकारियों का रजिस्टर तैयार कर
दोबारा उनका हाल जानना उचित नहीं समझा, यहां तक प्रशासन द्वारा अब थर्मल
स्क्रीनिंग द्वारा दूसरा चरण आरम्भ किया गया, वह भी
खानापूर्ती तक सीमित रहा ऐसा लगता है कि विभाग फर्जी आंकड़े भर कर जांच की
खानापूर्ती कर सरकार के मंसूबो पर पानी फेर रहा है।
अबतक दिये
गये जांच आंकड़ो में 1 लाख 7 हजार 18 व्यक्तियों का स्क्रीनिंग कराया गया, इसमें
100 डिग्री से उपर तापमान वाले 85 व्यक्ति, बाहर से आए 460
व्यक्ति, विदेश भ्रमण कर आए 83 व्यक्ति, होम
क्वारंटीन के लिए 474 व्यक्ति, सर्दी की समस्या से पीडि़त 102 व्यक्ति,
खांसी
से पीडि़त 78 व्यक्ति, तथा सांस की तकलीफ से पीडि़त 65 व्यक्ति
की सूची जारी की। इस पूरे मामले में 165 सैम्पल लिए गए हैं जिसमें 3 कोरोना
पॉजीटिव केस शामिल हैं। बावजूद जो बात सामने आई कि स्वास्थ्य निरीक्षण के प्रति
स्वास्थ्य अमला ने औपचारिकता पूर्ण की है।
ग्रामीण
प्रेमलाल राठौर बताते हैं कि उनके गांव टीम आई, जानकारी ली
और चली गई। न थर्मल जांच किया और ना ही सर्दी खांसी वाले सदस्य की जांच के लिए
अस्पताल की सलाह दी। यहां तक कुछ लोगों ने सर्दी खांसी होने के बावजूद क्वारंटीन
के डर से काई तकलीफ नहीं होने की बात कह सामान्य जानकारी दर्ज करवाई। छिपकर या
बिना सूचना बाहर से आने वाले लोगों की सूचना स्थानीय या खुद द्वारा देने पर
स्वास्थ्य टीम द्वारा उनका प्राथमिक जांच कराकर संस्थागत या होम क्वारंटीन की सलाह
दे दी गई। फिर दोबारा उनका जांच परीक्षण के लिए न टीम क्वारंटीन सेंटर आई और ना ही
व्यक्ति जांच के लिए अस्पताल गया। सबसे आश्चर्य शुरूआती प्रथम चरण में कोरोना के
सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंकाओं में लगभग 8 लाख की स्क्रीनिंग का कार्य कराया
गया था, जिसमें मात्र जानकारियों को एकत्रित कर जांच प्रक्रिया पूरी की
गई थी। इसमें न तो थर्मल स्क्रीनिंग, न सामने वाले व्यक्ति की शारीरिक
जांच की कोई प्रक्रिया अपनाई गई थी।
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