अनूपपुर। कोरोना संक्रमण में देश में जारी लॉकडाउन और परदेशों में फंसे मजदूरों की घर वापसी की चाह में स्थानीय सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधियों से मांगी गई सहायता नही मिल सकी,मुसीबत में परदेश में फंसे होने पर हालात यह बने कि खाना पीना में दिक्कत होने पर पैदल ही घर के लिए निकल पड़े। यहां तक सीमा में आने पर शासन और कंपनी से कोई मदद नहीं मिलने पर खुद के 3100 रूपए प्रत्येक मजदूर की दर से किराया चुकाया और अनूपपुर पहुंचे। दमहेड़ी गांव निवासी भीम सिंह ने बताया कि वह 5 जनवरी को सूरत रोजगार के सिलसिले में गया था, जहां काम तो मिला, लेकिन दो माह बाद लॉकडाउन लग गया। इसके बाद साड़ी की कंपनी बंद होने पर उसने स्थानीय विधायक और सांसद सहित अन्य जनप्रतिनिधियों से यहां से ले जाने मदद मांगी। लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद अन्य दस मजदूरों के साथ वह पैदल ही चल पड़ा। दो दिनों तक 40-45 किलोमीटर पैदल चलने के बाद ट्रक से लिफ्ट लेकर तो कभी पैदल फिर किसी अन्य गुजरती वाहन का सहारा लेकर आगे बढ़े।
भीम सिंह ने बताया कि रात को पेट्रोल पम्प या किसी घर के सामने सड़क पर सो जाया करते थे। किसी ने भोजन दिया तो खा लेते थे। सूरज में लॉकडाउन के कारण खाना पीना में काफी दिक्कतें आने लगी। राशन नहीं मिलता था, मिलता तो महंगा मिलता था। भीम सिंह अब परदेश जाकर काम करना नहीं चाहता, वह सरकार से चाहता है कि स्थानीय गांव क्षेत्र में ही काम मिल जाए। गांव के लोगों से सम्पर्क के लिए मोबाइल थी लेकिन पैसे के अभाव में रीचार्ज नहीं करा पाया। क्योंकि सूरत से निकलने के उपरांत बोर्डर पर बस के लिए कमाई की बची 3100 रूपए बस किराया के रूप में चुकाना पड़ा जिसके बाद वह आगे का सफर तय करते अनूपपुर पहुंचा है।
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