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शुक्रवार, 15 मई 2020

मन का निवास मस्तिष्क में होता है जो पूरे शरीर पर नियंत्रण करता है - कुलपति

इंगाँराजविवि में मेटल हेल्थ एंड वेल बीइंग पर वेबिनार का आयोजन

अनूपपुर/अमरकटंक कोरोना काल में देवी-देवता देवालय से निकलकर मनुश्यता की सुरक्षा के लिए औषधालय चले गए हैं, डॉक्टर, नर्स,पैरामेडिकल स्टाफ हमारे जीवन के संरक्षण में लगे हुए हैं। हमारी परंपरा मन को बहुत महत्व दिया गया है। जिससे हमारी मानसिकता तय होती है। मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। सब कुछ मन से होता है। मन का निवास मस्तिष्क में होता है। जो पूरे शरीर पर नियंत्रण करता है। हम प्रसन्न, अप्रसन्न मन के कारण ही होते हैं। कभी परिवेश, परिस्थितियों के कारण, तो कभी आर्थिक दबाव, व सामाजिक समस्याओं के कारण जो सोचा है सामान्य परिस्थितियों में वो नहीं कर पाते तो मन विचलित हो जाता है। मन के लिए तंत्रिका-तंत्र का संतुलित, व्यवस्थित, जीवंत रहना आवश्यक है। कहा जाता है कि हेल्दी माइंड इन हेल्दी बॉडी स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में शुक्रवार को मेटल हेल्थ एंड वेल बीइंग पर वेबिनार के आयोजन की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी ने कही। उन्होने कहा वर्तमान दौर कोरोना का दौर है। यह आपदा सोच, समझ और अनुमान से परे है जिससे वैश्विक व्यवस्था प्रभावित हुई है। मन की गति अनुमानित नहीं है। मन की शक्ति को सकारात्मक स्वरूप दें। हमारे मनोगत, मनोरथ पूरा करने के लिए मनोबल का ऊॅंचा होना आवश्यक है। मस्तिष्क स्वस्थ और लक्ष्य केंद्रित होना चाहिए।

डॉ. मनीश तिवारी कन्सलटिंग फिजीषियन एण्ड क्रि टिकल केयर एक्सपर्ट उ.प्र.,सावित्री हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर गोरखपुर, उ.प्र. ने कहा कैसे हम कोविड-१९ के समय स्वयं को संतुलित रख सकते हैं और हमें अपनी दिनचर्या कैसी रखनी चाहिए। कैसे हम साइकोसिस की अवस्था से गुजरते है। उन्होंने बुजुगों की देखभाल के विषय में जानकारी दी और बताया कि कैसे मास्क के उपयोग द्वारा हम अपनी प्रतिरक्षा षक्ति बढ़ाकर दूसरों को भी सुरक्षित कर सकते है। यदि स्वयं पर ध्यान देंगे तभी हम अपने परिवार के सदस्यों को कोरोना से सुरक्षित रख पाएंगे।

अध्यक्ष मनोविज्ञान विभाग पंजाब विश्वविद्यालय चंड़ीगढ की प्रो. सीमा विनायक ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए हमारा निरंतर सकारात्मक रहना आवश्यक है। इसे निरंतर बनाये रखने के लिए हमें अपनी अभिवृत्ति को परिवर्तित करना होगा तथा हमें खुद पर विश्वास रखना होगा। यदि ऐसे समय आप किसी भी प्रकार की भावनात्मक दिक्कतों का सामना कर रहें है तो उसे अपनों के साथ साझा करें। सकारात्मक रहकर ही हम वेल बीइंग को बनाये रख सकते है। डॉ.मेजर नवीन, विट्रो रेटिना सर्जन बिलासपुर ने कोरोना के समय ऑखों की देखभाल के विशय में जानकारी प्रदान की। उन्होंने तथ्यों के साथ बताया कि कम्प्यूटर तथा मोबाइल का उपयोग बढऩे की वजह से ऑखों को सुरक्षा कैसे प्रदान की जाए। कोरोना ऑखो, नाक तथा मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है इसलिए ऑखों की उचित देखभाल जरूरी है। अंत में प्रतिभागियों ने वक्ताओं से प्रश्न पूछे गये। वेबिनार में पन्द्रह राज्यों के 12 प्रतिभागियों ने प्रतिभागिता की। कार्यक्रम की संयोजक प्रो. संध्या गिहर अधिष्ठाता ने सभी प्रतिभागियों आभार व्यक्त किया।

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