25 आइसोलेटेड
बिस्तर के साथ 500 मरीजों को क्वारंटीन करने की व्यवस्था
अनूपपुर।
लॉकडाउन के दूसरे चरण में जिले में मिले कोरोना के दो पॉजीटिव मजदूरों के बाद
ग्रीन जोन से आरेंज जोन में आए अनूपपुर जिले में कोरोना संक्रमण का खतरा बरकरार
बना हुआ है। लॉकडाउन २ की समाप्ति और लॉकडाउन ३ की घोषणा के साथ गृह मंत्रालय
द्वारा संशोधित आदेशों में आरेंज और ग्रीन जोन में दी जाने वाली छूट से सोशल
डिस्टेसिंग का अनुपालन प्रभावित होगा। भले ही प्रशासन ने लापरवाह व्यक्तियों के
खिलाफ कार्रवाई और दुकान को तीन दिनों के लिए बंद करने की सजा जैसी व्यवस्था बनाते
हुए शासन के आदेश के पालन की अपील की है। लगातार जिले
की सीमावर्ती प्रदेशों से मजदूरों की हो रही आवाजाही और आम नागरिकों द्वारा सोशल
डिस्टेसिंग का पालन नहीं करने के कारण कोरोना संक्रमण के खतरे से टाला नहीं जा
सकता। जबकि पूर्व से कोरोना संक्रमण से जीवन को बचाने की तैयारियों के साथ बाद में
मिले कोरोना प्रकरणो के बाद जिला प्रशासन चुनौतियों से लडऩे तैयार है। इसके लिए
लोगों को सोशल डिस्टेसिंग पालन करने, वेबजह और बिना मास्क बाहर नहीं
निकलने तथा बाइक पर चालक और कार/जीप पर दो लोगों के सवार जैसी निर्देशों की लगातार
ध्वनि विस्तारक यंत्र से प्रसारित किया जा रहा है। वहीं जिला चिकित्सालय सहित
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर आने वाले मरीजों की
बारीकि से जांच के साथ संदेही व्यक्तियों को संस्थागत क्वारंटीन किया जा है।
जिला
चिकित्सालय अधीक्षक डॉ. एससी राय ने बताया कि जिला चिकित्सालय में कोरोना संक्रमित
मरीजों से बचाव के लिए 259 पीपीई किट, 110 वीटीएम, 3 वेंटीलेटर
की सुविधा के साथ 25 बिस्तरों वाला विशेष आइसोलेशन वार्ड तैयार रखा गया है। जबकि
भविष्य की व्यवस्थाओं के लिए 500 बिस्तरों वाला क्वारेंटीन सेंटर बनाकर रखा गया
है। इसके अलावा जिले के समस्त ग्राम पंचायत स्तर पर संस्थागत क्वारंटीन सेंटर
बनाया गया है। जबकि स्टॉक में 200 अतिरिक्त पीपीई किट,125 वीटीएम
को रखा गया है। सैम्पल जांच जबलपुर लैब भेजा जाता है।
मप्र.-छग
सीमा पर नहीं स्क्रीनिंग की सुविधा
प्रदेश से
लगे मप्र.-छग का अंतिम सीमावर्ती ग्राम राजनगर,वेकटनगर एवं
अमरकंटक है, जो छग की ओर से अनूपपुर के रास्ते शहडोल और कटनी को जोड़ता है।
लॉकडाउन की घोषणा के बाद छग में मजदूरी करने वाले हजारो मजदूरों का विभिन्न
राज्यों की ओर पलायन हो रहा है। यहंा तक जरूरी सामग्रियों को लेकर वाहनों की
आवाजाही हो रही है। लेकिन यहां ऐसे वाहन चालकों व मजदूरों की स्वास्थ्य जांच व
उनके ठहराने की कोई सुविधा नहीं है। यहां तक स्वास्थ्य जांच के लिए प्राथमिक स्तर
पर स्क्रीनिंग भी नहीं की जा रही है।
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