अमरकटंक (अनूपपुर)। भारतीय
जनसंचार संस्थान के डायरेक्टर जनरल के.जी.सुरेश ने कहा है कि मीडिया को आम लोगों
को उनके अधि
कारों के प्रति अधिक जागरूक बनाने और उन्हें राष्ट्र के प्रति
जिम्मेदारियां निभाने के लिए जागरूकता पैदा करनी होगी। इसमें स्थानीय भाषाओं की
मीडिया और कम्युनिटी रेडियो अहम भूमिका निभा सकते हैं। सुरेश शुक्रवार को इंदिरा
गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक के पत्रकारिता और जनसंचार विभाग
द्वारा आयोजित दो दिवसीय 21 वीं सदी में मीडिया परिदृश्य-उभरते दृष्टिकोण,देशीय तथा जनजातीय सामाजिक
संप्रेषण के विशेष संदर्भ सहित विषयक पर राष्ट्रीय सेमीनार के उद्घाटन समारोह को
संबोधित कर रहे थे।
सुरेश ने कहा कि भारत में सामाचार
पत्रों के स्थानीयकरण से समाचार पत्रों के साथ ही आम लोगों को काफी लाभ हुआ है।
उनकी चुनौतियों को अब मीडिया के माध्यम से नीति निर्धारकों तक पहुंचाया जा सकता
है। यही कारण है कि दुनिया में समाचार पत्रों का बाजार कम होने के बावजूद भारत में
समाचार पत्र निरंतर प्रगति कर रहे हैं। उन्होंने कम्युनिटी रेडियो का जिक्र करते
हुए कहा कि इससे प्रमुख रूप से जनजातियों की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकता है।
फिलहाल 206 कम्युनिटी रेडियो हैं जिन्हें बढाकर
4000 किया जा सकता है। इसके लिए
छात्रों को आगे आना होगा।
हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रो
वाइस चांसलर प्रो. बी.पी. संजय ने मीडिया में कारपोरेट के बढते हस्तक्षेप का जिक्र
करते हुए कहा कि इसकी वजह से मीडिया निष्पक्ष तरीके से अपने दायित्व का निवर्हन
नहीं कर पा रहा है। सोशल मीडिया का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसके समाचारों
की विश्वसनीयता न होने की वजह से इसके विकास की संभावना कम है। उन्होंने
विकासात्मक समाचारों को सिर्फ 1.1 प्रतिशत प्रतिनिधित्व मिलने पर चिंता व्यक्त करते हुए पब्लिक
ब्रॉडकास्टर की उपयोगिता को रेखांकित किया। निदेशक (अकादमिक) प्रो.आलोक श्रोत्रिय
ने जनजातियों के विकास के लिए संयुक्त रणनीति बनाने का आह्वान करते हुए इनके ज्ञान, परंपरा और बौद्घिक संपदा को
संरक्षित करने पर जोर दिया।
इससे पूर्व डीन प्रो.मनुकोंडा
रविंद्रनाथ ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डॉ.नागेंद्र कुमार सिंह ने
किया। धन्यवाद डॉ.राघवेंद्र मिश्रा ने दिया। कार्यक्रम में कुलसचिव प्रो.किशोर
गायकवाड,
डॉ. राधेश्याम शुक्ला, डॉ.मनीषा शर्मा, डॉ. मानस प्रतिम गोस्वामी, डॉ.कृष्णामूर्ति बी.वाई. अभिलाषा एलिस टिर्के सहित ब$डी संख्या में शिक्षकों, शोधार्थियों और छात्रों ने भाग
लिया। सेमीनार में 102 शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। इस अवसर पर इन सभी शोधपत्रों पर
आधारित पुस्तक का विमोचन भी हुआ।
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