इंगांराजवि में योग पर तीन दिवसीय सेमीनार आयोजित
अमरकटंक
(अनूपपुर)। महामंडलेश्वर और योग के मर्मज्ञ स्वामी सुखदेवानंद ने कहा है कि योग एक
वैज्ञानिक अध्यात्म है जिसके मर्म को समझने के बाद ही इसके माध्यम से स्वयं को
ऊर्जीकृत किया जा सकता है। वह इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय
अमरकटंक द्वारा योग पर आयोजित तीन दिवसीय सेमीनार को संबोधित कर रहे थे।
सेमीनार का
उद्घाटन करते हुए स्वामी सुखदेवानंद ने कहा कि योग के साध्य या साधन होने को लेकर
भ्रम की स्थिति रहती है। योग साध्य विषय है जिसमें साध्य के साथ ही साधन और साधक
का होना ही योग के वैष्टिय का द्योतक है। उन्होंने योग के लिए आवश्यक दस यमों के
पालन, आसन
शब्द की व्याख्या और योग के वैज्ञानिक अध्यात्म होने के बारे में विस्तार से
जानकारी प्रदान की। उनका कहना था कि यदि मानव शरीर की ७२ हजार नाडियो का अध्ययन कर
लिया जाए तो इससे स्वस्थ जीवन की राह को आसान बनाया जा सकता है। कुलपति प्रो.
टी.वी.कटटीमनी ने कहा कि योग के प्रति युवाओं का आकर्षण निरंतर ब$ढ रहा है। इसके और
अधिक प्रचार से देश को योग गुरू के रूप में विश्व पटल पर स्थापित किया जा सकता है।
उन्होंने योग संबंधी ज्ञान और अनुभवों को और अधिक प्रचारित करने पर जोर दिया।
विशिष्ट
अतिथि योग गुरु धनंज्जय सान्याल ने योग और पारंपारिक चिकित्सा के बारे में स्वयं
के अनुभवों को छात्रों के साझा किया और उन्हें डायनामिक मेडिटेशन के माध्यम से
स्वयं की स्मरण शक्ति बढाने के बारे में बताया। डीन प्रो. एनएस हरी नारायण मूर्ति
ने एलोपैथी, आयुर्वेद
और योग को एक सूत्र में पिरोकर आम आदमी को स्वस्थ बनाने के लिए पहल करने का आह्वान
किया। धन्यवाद विभागाध्यक्ष डॉ. मोहनलाल च$ढार
ने दिया। कार्यक्रम में योग विशेषज्ञों ने तीन दिन तक तकनीकी सत्रों के माध्यम से
योग के विभिन्न आयामों के बारे में शिक्षकों और छात्रों को जानकारी और प्रशिक्षण
दिया। इस अवसर पर शोधपत्रों की सीडी और योग विज्ञान के मूल तत्वों पर आधारित
पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
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