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शनिवार, 22 अप्रैल 2023

श्रद्धा व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भगवान परशुराम प्राकट्योत्सव, निकाली गई शोभायात्रा

राजेन्द्रग्राम में भगवान परशुराम धर्मशाला का किया गया भूमि पूजन,अनूपपुर में कलेक्‍टर नहीं पहुंचे कार्यक्रम में रहीं चर्चा
अनूपपुर। ऋषि संस्कृति के प्रखर प्रकाश पुंज भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती अक्षय तृतीया का पावन पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ अनूपपुर, चचाई, राजेन्द्रग्राम, अमरकंटक, बिजुरी, कोतमा, राजनगर, संजय नगर, जैतहरी सहित अन्य स्थानों पर लोगों ने श्रध्दा और उल्लास से मनाया। अनूपपुर में ब्राह्मण समाज द्वारा भगवान विष्णु के छठें अवतार भगवान परशुराम की जयंती पर पुरानी बस्ती स्थिति बूढ़ीमाई से भगवान परशुराम की शोभायात्रा निकाली गई जो समातपुर हनुमान मंदिर में समाप्त हुई। ब्रह्म समाज द्वारा निकाली गई भगवान परशुराम की शोभायात्रा नगर के कई स्थालनों में स्वागत से किया गया। ब्रह्म समाज ने कहा कि ब्रह्माण शरीर का मस्तिष्क माना जाता है जिस पर जवाबदारी है कि सभी समाज और धर्म को लेकर साथ चलें।
उल्लेखनीय है कि हिन्दू समाज के लिये अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम प्राकट्योत्सव अत्यंत शुभ, सिद्ध एवं सर्वकल्याणकारी पर्व होने के कारण सुबह से ही लोगों ने पूजा अर्चना की तथा एक दूसरे को शुभकामनाएं दी। वहीं सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस बल तैनात किया गया था। कोतमा में भगवान परशुराम प्राकट्योत्सव पर विप्र बंधुओं ने ठाकुर बाबा प्रांगण में भगवान परशुराम का पूजन उपरांत कन्या भोज का आयोजन किया गया।
कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे। धार्मिक ग्रंथों में बताया जाता है कि ऋषि जमदग्नि सप्त ऋषियों में से एक थे। ऐसा किवंदतियां प्रचलित हैं कि भगवान परशुराम का जन्म 6 उच्च ग्रहों के योग में हुआ था, जिस कारण वे अति तेजस्वी, ओजस्वी और पराक्रमी थे। इनके बारे में किए वर्णन के अनुसार प्राचनी काल में एक बार इन्होंने अपने पिता की आज्ञा पर अपनी माता का सिर काट दिया था। परंतु बाद में अपने पिता से वरदान के रूप में उन्हें जीवित करने का वचन मां को पुन: जीवित कर लिया था। इसी प्रकार जब परशुराम ने क्षत्रियों को मारना बंद कर दिया, तो उन्होंने खून से सना अपना फरसा समुद्र में फेंक दिया, इससे समुद्र इतना डर गया कि वह फरसा गिरने वाली जगह से बहुत पीछे हट गये समुद्र के पीछे हटने से जो जगह बनी वो केरल बना, इसी मान्यता के आधार पर केरल में परशुराम की पूजा की जाती है। शस्त्रविद्या के महान गुरु थे। उन्होंने भीष्म, द्रोण व कर्ण को शस्त्रविद्या प्रदान की थी। शस्त्रो में अवशेष कार्यो में कल्कि अवतार होने पर उनका गुरुपद ग्रहण कर उन्हें शस्त्रविद्या प्रदान करना भी बताया गया। ब्राह्मण समाज सेवा समिति अनूपपुर के तत्वाधान में 22 अप्रैल को भगवान श्री परशुराम का जन्मोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अक्षय तृतिया के दिन भगवान परशुराम का जन्मोत्साव मनाया जायेगा। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि 1008 श्री राम भूषण दास जी महाराज शांति कुटीर अमरकंटक एवं शंभूनाथ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मुकेश तिवारी की उपस्थिति वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहें कलेक्टर आशीष वशिष्ठ नहीं पहुंचे जिसका लोग कायास लगा रहे थे जो सही साबित हुआ। इसे लेकर लोगो के बीच चर्चा का विषय बना रहा। इस दौरान वरिष्ठ जनों का सम्मान किया जाएगा। इसके पूर्व समाज के सभी लोग बूढ़ी माता मंदिर पुरानी बस्ती में एकत्रीकरण होकर भगवान परशुराम की पूजा अर्चना उपरांत बूढ़ी माता मंदिर से भगवान की शोभायात्रा निकाल नगर के विभिन्न मार्गो से होते हुए हनुमान मंदिर सामतपुर चौराहा पहुंची।
राजेन्द्रग्राम में भगवान परशुराम धर्मशाला का भूमि पूजन राजेन्द्रग्राम में ब्राह्मण समाज ने भगवान श्री परशुराम की पूजा अर्चना कर शोभायात्रा निकाली गई। ब्राह्मण समाज की मांग पर पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को ने विधायक निधि से 10 लाख रुपए से राजेंद्रग्राम में सर्व सुविधा युक्त भगवान परशुराम धर्मशाला का निर्माण कराये जाने का भूमि पूजन किया। इस दौरान समस्त ब्राम्हण समाज के वरिष्ठ जन की उपस्थिति रहें।

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