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गुरुवार, 13 अप्रैल 2023

हडताल का एक माह पूर्ण: सरकार नाराज आशा ऊषा एवं पर्यवेक्षकों ने निकाली आक्रोश रैली, सौंपा ज्ञापन

अनूपपुर। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की रीड की तरह काम कर रही आशा ऊषा एवं पर्यवेक्षकों के अमानवीय शोषण के विरोध में, जीने लायक वेतन की मांग को लेकर प्रदेश की आशा ऊषा पर्यवेक्षक 15 मार्च से अनिश्चितकालीन हडताल पर है। 13 अप्रैल को इस हड़ताल का एक माह पूरा हो रहा है, लेकिन न्यापूर्ण वेतन की मुख्य मांग को लेकर जारी इस हडताल के प्रति सरकार का रवैया बेहद चिंताजनक है। पिछले 16 वर्षों से प्रदेश की हजारों आशायें 2000 रुपये के बेहद अल्प वेतन में दिन रात काम कर रही है। महंगाई लगातार बढ़ रही है, इसके बावजूद आशाओं को राहत पहुंचाने के लिये अभी तक सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है। सैकडों ज्ञापन दिये जाने के बावजूद आशाओं के प्रति सरकार का उपेक्षापूर्ण रवैया निरंतर जारी है, जिसके चलते प्रदेश की आशा ऊषा एवं पर्यवेक्षकों में व्यापक आक्रोश व्याप्त है। हडताल से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अभियान पूरी तरह ठप्प है, इसके बावजूद सरकार खामोशी बरत रही है। इस हडताल के लि सरकार का रवैया स्वयं जिम्मेदार है। हडताल के 30 दिन पूरा होने के बावजूद आशा ऊषा आशा पर्यवेक्षकों की वेतन सम्बन्धी मांगों का निराकरण करने हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश की ओर से कोई पहल नहीं किया जाना भी चिंता का विषय है। सरकार की उपेक्षा के विरोध में गुरूवार को प्रदर्शन करते हुए आक्रोश रैली सभा स्थभल से तहसील कार्यालय तक निकाल कर 14 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन मुख्यैमंत्री के नाम प्रभारी तहसीलदार अनूपपुर आदित्य प्रकाश द्विवेदी को सौंपा। आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षकों ने कहा कि मिशन संचालक, एनएचएम मध्य प्रदेश द्वारा 24 जून 2021 को दिये अनुशंसा को लागू कर आशा को 10,000 रु एवं पर्यवेक्षकों को 15,000 रुपये निश्चित वेतन लागू कर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ा जावे। आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षकों को कर्मचारी के रूप में नियमित किया जावे, तब तक न्यूनतम वेतन, भविष्य निधि, ई.एस. आई., ग्रेच्युटी, पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा लाभ दिये जाने की मांग की। साथ ही न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये निर्धारित किये जाने के साथ अन्य मांगों में आशाओं की प्रोत्साहन राशि के भुगतान में पारदर्शिता सुनिश्चित किया करने, प्रोत्साहन राशि में अनुचित कटौती को रोकने, प्रत्येक आशा से अब तक काटी गयी सभी राशियों का एरियर सहित भुगतान किया करने, कोविड वैक्सीनेशन ड्यूटी, डीपीटी बूस्टर वैक्सीन, एनसीडी सर्वे, परिवार नियोजन, निर्वाचन कार्य सहित सभी कामों का बकाया प्रोत्साहन राशि का भुगतान करने, प्रत्येक माह की 5 तारीख को आशा एवं पर्यवेक्षकों का भुगतान किये जाने, बंधुआ मजदूरों जैसे व्यवहार को रोका जावे। आशा एवं पर्यवेक्षकों के लिये विभाग द्वारा निर्धारित कार्य के अलावा अन्य कार्य नहीं कराया जावे। आशाओं की सभी बैठकों एवं पर्यवेक्षकों के वास्तविक यात्रा व्यय का भुगतान करने, आशा एवं पर्यवेक्षको को वेतन सहित 20 आकस्मिक अवकाश दिया जावे एवं मेडिकल लीव के नियम बनायें जाये, वेतन सहित रविवार को साप्ताहिक अवकाश प्रदान, शासन के कुशल श्रेणी के न्यूनतम वेतन की दर पर 6 माह का मातृत्व अवकाश एवं अन्य सुविधायें, बिना किसी जांच के आशाओं की सेवा समाप्ति पर तुरंत रोक लगाई जायें। एक वर्ष में निष्क्रिय आशा बताकर की गयी सेवा समाप्ति की जांच कराने एवं अनुचित तरीके से सेवा समाप्त की गयी सभी सक्रिय आशाओं को बहाल किया जायें। पेंशन एवं सेवानिवृत्त लाभ लागू किये बिना आशा एवं पर्यवेक्षकों को सेवानिवृत्त न करनें, डयूटी के दौरान आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा, सभी पीएचसी, सीएचसी और अस्पतालों में सुरक्षित एवं सुविधायुक्त 'आशा रूम' उपलब्ध कराने, पीओएसएच कानून लागू किया जाये एवं शिकायतों पर कार्यवाही, स्वास्थ्य के लिये सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत राशि आवंटित किया जाये। स्वास्थ्य सेवाओं (सरकारी अस्पतालों) सहित सभी बुनियादी सेवाओं के निजीकरण को रोकने, श्रम संहिता को वापस लेने एवं आशा एवं पर्यवेक्षकों को श्रम कानूनों के दायरे में शामिल करने की मांग की।

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