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मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

ग्रामीण आदिवासी महिलाओं ने सीखे स्वाबलंबी बनने के गुर

 सोयाबीन और शहद के दिया गया प्रशिक्षण
अनूपपुर कौशलयुक्त आजीविका संसाधनों के विस्तार के लिए इंदिरा गाँधी जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक प्रबंधन ने आजीविका व्यापार केंद्र (एलबीआई) का संचालन किया है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमिता मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा प्रायोजित पिछड़े आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में लोगों को स्वाबलंबी बनाना है। कुलपति प्रो. टी.वी.कटटीमनी के मार्गदर्शन में एलबीआई निरंतर कार्य कर रहा है। यह बात विश्वविद्यालय के आजीविका व्यापार केंद्र (एलबीआई) के समन्यवयक डॉ.आशीष माथुर ने कही। डॉ. माथुर आजीविका व्यापार केंद्र में कृषि विज्ञानं केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि सोया और शहद प्रसंस्करण क्षेत्र अत्यंत वृहद् और महत्वपूर्ण आजीविका क्षेत्रों में से एक है। वनांचल और कृषि प्रधान क्षेत्र होने के कारण ये दोनों ही उत्पाद यहाँ प्रचुर मात्र में उपलब्ध हैं। उन्होंने कृषक महिला सदस्यों को कृषि क्षेत्र में स्वाबलंबी बनने के साथ-साथ एक मजबूत आजीविका संसाधन तैयार करने हेतु प्रेरित किया। डॉ. माथुर ने बताया की कुलपति के मार्गदर्शन में शुरुआती छ: माह तक क्षेत्रीय लोगों को उनके उत्पाद को नि:शुल्क प्रसंस्करण किया जाएगा, जिसका समुचित विक्रय कर अधिक मुनाफा होगा। इसका मुख्य उद्देश्य प्रशिक्षणार्थियों को व्यवस्थित प्रसंस्करण प्रक्रिया से जुड़कर लाभार्जन करना है। कार्यशाला के दौरान एलबीआई के लाइजनिंग अधिकारी अवकाश गर्ग, इंस्ट्रक्टर शिवेंद्र तिवारी, कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनीता ठाकुर, योगेश राजपूत, संदीप चौहान ने भी कृषक महिलाओं का मार्गदर्शन किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में क्षेत्र की ४० महिला कृषकों ने सोया और शहद प्रसंस्करण के आधुनिक तरीकों की जानकारी ली। खाद्य वैज्ञानिक सुनील राठौर ने बताया कि शरीर को तंदरुस्त और बलवान बनाने के लिए हमारे शरीर को प्रतिदिन ब$डी मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होती है। सोया प्लांट से दूध निर्माण प्रक्रिया समझाते वक्त महिला .षकों को सोयाबीन की महत्वता भी बताई गई। इंस्ट्रक्टर शिवेंद्र ने बताया कि सिर्फ ४ किलोग्राम दूध से हम उच्च प्रोटीन और गुणवत्ता वाला २४ लीटर सोया दूध प्राप्त कर सकते हैं। इतना ही नहीं इस दूध के जरिये ५-६ किलोग्राम जायकेदार पनीर (टोफू) का निर्माण होता है। उन्होंने बताया कि दूध से निर्माण किये जाने वाले पनीर की कीमत जहाँ बाजार में ३ सौ रुपये प्रति किलोग्राम होती है जबकि सोयाबीन से बनाये जाने वाले स्वादिष्ट पनीर की कुल लागत प्रति किलोग्राम डेढ़ सौ रुपये के करीब आती है।
विश्वविद्यालय करेगा सबसे सस्ते शहद का उत्पादन

समन्यवयक डॉ. आशीष माथुर ने बताया कि अत्याधुनिक शहद पैकेजिंग मशीनों के जरिये जल्द ही विश्वविद्यालय प्रबंधन सबसे सस्ते शहद प्रसंस्करण की क$डी तैयार करेगा। उन्होंने बताया की कुलपति के निर्देशन में केंद्र प्रसंस्कृत खाद्य प्रशिक्षण के दौरान अमरकंटक के शुद्घ परिवेश में उत्पन्न शहद को सबसे सस्ते दरों में लोगों तक पहुंचाएगा। क्षेत्रीय ग्रामीणों के जरिये अमरकंटक क्षेत्र में शहद श्रृंखला की शुरुआत की जाएगी। इसके जरिये क्षेत्रीय जन शहद विक्रय में मुनाफा कमा सकेंगे।

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