दोनों ही दलों को मुश्किल होगा एक रखना,सपाक्स के मैदान में होने
से चितिंत दल
अनूपपुर। भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों में अभी भी टिकट
को लेकर घमाशान मचा हुआ है। पार्टियां टिकट एक ही व्यक्ति को देगी किंतु इसके बाद दोनों
प्रमुख दलों में भितरघात भी जमकर होगा। यह दोनों ही दलों को अंदेशा होना चाहिए और इससे
निपटने के लिए दोनों दलों को रणनीति बनानी होगी। ताकि भितरघातियों को शांत किय जा सके
तभी पार्टियां एकजुट होकर जनता के बीच वोट मांग सकेंगे।
जिले में विधानसभा की तीन सीटें हैं, जिसमें पुष्पराजगढ़,
कोतमा और अनूपपुर तीन
में वर्तमान समय अनूपपुर में भाजपा, पुष्पराजगढ़ और कोतमा में कांग्रेस के विधायक हैं। भाजपा-
कांग्रेस चाहे कितनी सीटों पर कब्जा बना ले, परिस्थिति अभी वर्तमान विधायकों के
खिलाफ है। जिसका फायदा विपक्षी उठाना चाहेंगे, किंतु कांग्रेस के दोनों वर्तमान
विधायकों से जनता का रूख ठीक नहीं लगता, वहीं भाजपा विधायक के विरूद्ध तो जनता के साथ पार्टी
के नेता भी शामिल हैं। अगर दोनों ही दल वर्तमान को दोहराते हैं तो 2013 की स्थिति के उलट फैसला
आ सकता है। कोई भी पार्टी यह खतरा मोल नहीं लेना चाहेगी। वर्तमान परिस्थितियों में
अगर कांग्रेस से बिसाहू लाल सिंह और भाजपा से रामलाल रौतेल होंगे तो कांग्रेस को सत्ता
में पहुंचने में काफी मदद मिलेगी, वहीं अगर भाजपा ने प्रत्याशी बदल कर रामदास पुरी को प्रत्याशी
बनाया तो स्थिति उलट सकती है। इस स्थिति में वर्तमान विधायक से भितरघात का डर बना रहेगा
तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में पहले से ही भितरघातियों की संख्या ज्यादा है। टिकट के
दावेदार व पूर्व विधायक के विरोधी अभी से ही इस तैयारी में हैं कि बिसाहू लाल को टिकट
मिलती है तो हम प्रचार नहीं करेंगे, इसका आशय यह है कि पूरी तरह भितरघात करेंगे। इन भितरघातियों
से निपटने के लिए पार्टी को अपने ढंग से निपटना पडेगा। वहीं नवनियुक्त पार्टी पदाधिकारियों
की भी साख लगी होगी।
कोतमा विधानसभा में भी वर्तमान विधायक की स्थिति ठीक
नहीं दिख रही, कांग्रेस यहां ब्राम्हण चेहरा देने का मन बनाया है। इसके लिए रामनरेश गर्ग का नाम
चल रहा है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि इसी जिताऊ प्रत्याशी को मैदान में उतारने का चल रहा है। जिसमें सुनील सराफ अच्छे प्रत्याशी हो
सकते हैं। वहीं भाजपा से दिलीप जायसवाल, राजेश सोनी के साथ अगर ब्राम्हण चेहरा देखें तो बृजेश
गौतम, लवकुश
शुक्ला, अजय
शुक्ला, मनोज
द्विवेदी का नाम आता है। पार्टी इन चेहरों में से ही किसी एक को अपना प्रत्याशी घोषित
कर सकती है। इसके साथ ही कोतमा में और कई पार्टियां भी अपनी किस्मत आजमायेंगीं,
जिसमें प्रमुख है सपाक्स,
जिसका उदय इन दोनों
पार्टियों की नीति के कारण हुआ है। सपाक्स ने भी यहां एक सशक्त प्रत्याशी देने के मूड
में दिख रही है। सपाक्स से यहां पर शंभू शर्मा का नाम आगे चल रहा है, इसके साथ ही एक अन्य नाम
भी है। वहीं अगर सपाक्स स्थानीय प्रतिनिधि को महत्व दिया तो शंभू शर्मा एक अच्छे विकल्प
बन सकते हैं और दोनों दलों के विरोधियों का साथ इन्हें मिल सकता है। ऐसी स्थिति में
सपाक्स का खाता भी खुल सकता है। वहीं कांग्रेस में अगर मनोज अग्रवाल को टिकट नहीं मिलती
तो इस खेमे से भितरघात नहीं होगा ऐसी संभावना दिखाई नहीं पडती है। सत्ताधारी दल भाजपा
में भी भितरघातियों से इंकार नहीं किया जा सकता। पिछले चुनाव में जब राजेश सोनी को
पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था तब भाजपा के लगभग 18 लोगों ने अनूपपुर के एक निजी होटल में पत्रकार वार्ता कर पार्टी के निर्णय को गलत बताया
था और इसके खिलाफ काम करने की बात कही थी, जिसका असर चुनाव में देखने को मिला और प्रत्याशी को हार
का सामना करना पड़ा।
पुष्पराजगढ़ विधानसभा में कांग्रेस विधायक फुंदेलाल सिंह
हैं जिनका जनाधार पहले से घटा है। साथ ही व्यापम घोटाले में नाम आने के बाद पार्टी
इनसे किनारा करने के मूड में दिखाई दे रही है। जिसमें पहला नाम उभर कर पूर्व मंत्री
व सांसद की बेटी हिमाद्री सिंह का चल रहा है। संभावना है कि पार्टी हिमाद्री सिंह को
अपना प्रत्याशी बना सकती है। इस स्थिति में वर्तमान विधायक से भितरघात का डर बना रहेगा।
वहीं भाजपा में भी दावेदारों की कमी नहीं है। पूर्व विधायक सुदामा सिंह, हीरा सिंह श्याम सहित कई
दावेदार टिकट की चाह लिए पार्टी मुख्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। पार्टी
सूत्रों की मानें तो सुदामा सिंह व हीरा सिंह श्याम के बीच ही कोई प्रत्याशी होगा।
वैसे भी सुदामा सिंह को पार्टी ने लोकसभा के लिए देख रही है ऐसी स्थिति में हीरा सिंह
को टिकट मिलती है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस परिस्थिति में भी पार्टी
के भीतर विश्वासघात होगा। चाहे प्रत्याशी फिर कोई हो सभी अपनी-अपनी धाक दिखाने के लिए
पार्टी को आईना दिखायेंगे। बाकी स्थिति टिकट वितरण के बाद ही स्पष्ट हो पायेगी।
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