
पुलिस की मिलीभगत से होती पशु तस्करी
जानकारी के अनुसार जहां पशु तस्करी में लगे लोगो को पकडऩे
में पुलिस उदासीनता बरतती है, वहीं पुलिस द्वारा भी पशु तस्करो पर कार्यवाही करने से बचती
आई है। जिस पर पशु तस्करो के साथ मिलीभगत के लगातार कोतमा व भालूमाडा पुलिस पर आरोप
लगते रहे है। वहीं हर बार पशु तस्करी में जहां पशु तस्कर वाजिद खान का नाम आता है,
लेकिन हर बार पुलिस
ने उसे बचाने के प्रयास में देखी गई है। जहां कार्यवाही न होने पर लोगो के आक्रोश के
बाद भी पुलिस विभाग द्वारा कार्यवाही की जाती है। जिसका फायदा उठाते हुए पशु तस्कर
क्षेत्र में आए दिन पशुओं को क्रूरता पूर्वक वाहनो में भरकर बूचड खाने ले जाते है।
फर्जी रसीद दिखाकर छुडवा लेते पशुओं को
पूरे मामले की जानकारी के अनुसार जहां पशु तस्करो को
पशुओं सहित पकडने पर जहां मौके पर पशु तस्करो द्वारा वाहन में लोड पशुओं से संबंधित
किसी भी प्रकार का दस्तावेज नही दिखाते है, वहीं मामले के तीन से चार दिन बाद
पशु तस्करो द्वारा आसपास के ग्राम पंचायतो में अपनी साख जमाते हुए पिछले डेट की फर्जी
पशु पंजीयन पर्ची जारी कर जब्त पशुओं को छुडवा बाद में उन पशुओं को दोबारा बूचड खाने
ले जाने की तैयारी में जुट जाते है। जिसमें कोतमा एवं भालूमाडा निरीक्षको की पूरी मिलीभगत
सामने आती है। वहीं ग्राम पंचायत द्वारा मामला पंजीबद्ध के दो से तीन बाद फर्जी पर्ची
जारी कर पशु तस्करो का सहयोग किया जा रहा है। वहीं पशुओं को अवैध परिवहन में पुलिस
के पकडने पर मौके पर यह दस्तावेज कहा रहते है इस पर भी कई सवाल खड़े हो रहे है।
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