खाद्यान्न वितरण नही होने से डेढ लाख परिवार प्रभावित
अनूपपुर। म.प्र. सहकारी संस्थाएं कर्मचारी
महासंघ की लंबित तीन सूत्रीय मांगो को लेकर २१ फरवरी से प्रारंभ की गई अनिश्चित
कॉलीन हडताल पर होने के कारण जिले के चारो विकासखंडों में खाद, बीज, भवांतर पंजीयन, रबी फसल पंजीयन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मध्याहन भोजन सार्वजनिक वितरण
प्रणाली अंतर्गत शासकीय उचित मूल्य दुकानों का संचालन सहित अन्य शासकीय योजनाओं का
क्रियान्वयन बंद हो गया है। जिसके कारण जिले के चारो विकासखंडो में संचालित ३१२
शासकीय उचित मूल्य की दुकान बंद होने के कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम
से १ लाख ५१ हजार ९८६ पात्र परिवारो को मार्च माह का खाद्यान्न शहरी व ग्रामीण
क्षेत्र के गरीब व पात्र परिवारो को नही मिल सका है।
दुकानो में नही हो सका खाद्यान्न भंडारण
म.प्र. सहकारी संस्थाएं कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष
मदन द्विवेदी ने बताया कि प्रदेश शासन द्वारा १३ दिनो बाद भी हमारी तीन सूत्रीय
मांगो की ओर कोई ध्यान नही दिया गया, जिसके सभी कार्य को पूर्ण रूप से बंद किया गया है, जिसमें माह मार्च के खाद्यान्न का
भंडारण भी दुकानो में नही किया गया। वहीं जानकारी के अनुसार जिले के शहरी व
ग्रामीण क्षेत्रो की ३१२ शासकीय उचित मूल्य की दुकान के माध्यम से १ मार्च से
पात्र परिवारो को खाद्यान्न वितरण करना था, लेकिन कर्मचारियो के हडताल पर चले जाने के कारण माह
मार्च का खाद्यान्न का उठाव अब तक ५० प्रतिशत ही हो सका है।
डेढ लाख से अधिक पात्र परिवार हुए प्रभावित
जिले में संचालित ३१२ शासकीय उचित मूल्य की दुकानो के
माध्यम से मार्च माह के लिए १ लाख ५१ हजार ९८६ पात्र परिवारो के लिए माह फरवरी में
ही आवंटन जारी किया गया, जिसमें
१३५२.७ मैट्रिक टन गेहूं, १९८८.७
मैट्रिक टन चावल, १४६.२
मैट्रिक टन नमक तथा ४४५ केएल केरोसीन है। लेकिन
कर्मचारियो के हडताल से पहले जिले के ३१२ उचित मूल्य की दुकानो में इस
आवंटन के विरूद्ध मात्र ५० प्रतिशत खाद्यान्न पहुंच तथा शेष खाद्यान्न को दुकानो
में खाली कराने से कर्मचारियो द्वारा मांगे पूरी नही होने तक मना कर दिया गया।
नही वितरित करेगे खाद्यान्न
जानकारी के अनुसार म.प्र.सहकारी संस्थाएं कर्मचारी
महासंघ के लगभग ३०० सदस्य १३ दिन बाद भी अनशन पर बैठे है। जिन्होने अपनी मांगे
पूरी नही होने तक जिले की एक भी शासकीय दुकानो को खोलने से साफ इंकार कर दिया है।
जिसके कारण जिले के गरीब व असहाय पात्र परिवारो को इसका खमियाजा उठाना पड सकता है।
वहीं जिले पात्र परिवार अब शासकीय उचित मूल्य की दुकान खुलने का लगातार इंतजार कर
रहे है। लेकिन इस ओर किसी तरह का ध्यान नही दिया जा रहा है।
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