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मंगलवार, 9 अक्तूबर 2018

नशीले पदार्थों के बढ़ते दुष्परिणामों युवा वर्ग रहे सचेत-कुलपति

इंगांराजवि की कार्यशाला में नशे से दूर रहने के लिये योग और प्राणायाम को बताया जरूरी
अनूपपुर शराब का नशा और दवाओ के दुष्प्रभावों के बारे में युवाओं और ग्रामीणों को जागरूक बनाने के उद्देश्य से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में दो दिवसीय कार्यशाला मंगलवार से प्रारंभ हुई। इस अवसर पर विभिन्न विशेषज्ञों ने नशे के व्यक्तिगत और सामाजिक दुष्प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए योग और प्राणायाम के माध्यम से इसके नियंत्रण के बारे में जानकारी प्रदान की। कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कुलपति प्रो.टी.वी. कटटीमनी ने शराब और अन्य नशीले पदार्थों के बढ़ते उपयोग पर चिंता प्रकट करते हुए युवा वर्ग को इसके दुष्परिणामों के बारे में सचेत करने पर जोर दिया। उनका कहना था कि फिल्मों में नायक और नायिकाओं द्वारा नशीले पदार्थों का सेवन करके इसे प्रोत्साहित किया जाता है जिससे युवा वर्ग भी इन्हें अपनाने के लिए प्रेरित होता है। उन्होंने इसके दुष्प्रभावों के बारे में सभी को सचेत करने और भारतीय संस्कृति में इनसे बचाव के उपायों को प्रचारित करने के लिए कहा। निदेशक (अकादमिक) प्रो. आलोक श्रोत्रिय ने बताया कि 34 देशों में हुए सर्वे में पाया गया कि शराब पांचवां असामयिक मृत्यु का मुख्य कारण है। इसके अलावा व्यक्ति को विकलांग करने में भी शराब की मुख्य भूमिका होती है। इससे न सिर्फ व्यक्ति की उत्पादन क्षमता कम हो जाती है बल्कि समाज में उसकी प्रतिष्ठा भी कम हो जाती है। ऐसे में स्वयं पर नियंत्रण रखकर शराब और नशीली दवाओ से खुद को दूर रखने की आवश्यकता है। विभागाध्यक्ष प्रो.अजय वाघ ने विभाग द्वारा किए जा रहे विभिन्न सामाजिक कार्यों का विवरण देते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला से विभिन्न ज्वलंत समस्याओं का समाधान मिल सकेगा। कार्यशाला संयोजक डॉ. रमेश बी. ने कार्यशाला के विभिन्न तकनीकी सत्रों के विषयों के बारे में जानकारी दी।

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