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शुक्रवार, 6 जुलाई 2018

पं.शंभूनाथ शुक्ल पब्लिक लाइबे्ररी बंद होने के कगार पर

अनूपपुर नगर पालिका अनूपपुर द्वारा वर्ष 1984 में विंध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री स्व. पं. शंभूनाथ शुक्ल के नाम से पब्लिक लाइब्रेरी का संचालन कर नगर के लोगो में जागरूकता लाने, युवाओ की शिक्षा स्तर में वृद्घि करने के उद्देश्य से एक ही छत के नीचे समाचार पत्र - पत्रिकाओं, पुस्तको एवं रोजगार से संबंधित पत्रिकाओं को पाठको तक पहुंचाते हुए लाइब्रेरी का संचालन किया था। जहां लाइब्रेरी का संचालन सामुदायिक भवन में अलग से बनाएं कक्ष मे प्रारंभ की गई। और नगर पालिका द्वारा लाइबे्ररी के स्वयं का भवन बनवाकर लाइब्रेरी का संचालन प्रारंभ कराया। इस लाइब्रेरी में वर्ष 1988 में ग्रंथपाल के रूप में रामनारायण पांडेय को पं. शंभूनाथ शुक्ल पब्लिक लाइब्रेरी के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई, जिसके कुछ दिनो बाद नगर पालिका उनसे अन्य कार्यालयीन कार्य भी लेने लगी, बावजूद इसके लाईब्रेरी निरंतर प्रगति पर रही। जहां नियमित पाठक की संख्या लगभग 250 से 300 होते थे और इनके द्वारा आए दिन विभिन्न विचार गोष्ठी, कवि-सम्मेलन भी लाइब्रेरी में आयोजित होते थे। वही लाईब्रेरी में पाठको के लिए विभिन्न पुस्तको व पत्र-पत्रिकाओं का संग्रह रहता था। लेकिन दिन प्रतिदिन लाइब्रेरी में बढती गई अव्यवस्थाओं के कारण पाठको को असुविधा होने लगी और अक्टूबर 17 को ग्रंथपाल रामनारायण पांडेय के सेवानिवृत्त होने के बाद लाइब्रेरी का कार्य नपा ने एक भृत्य के हाथो में सौप दिया गया और व्यवस्था चौपट होती गई। जानकारी के अनुसार पूर्व ग्रंथपाल ने जिला पंचायत से पब्लिक लाइब्रेरी की व्यवस्थाओं के लिए लगभग 4 लाख रूपए स्वीकृत कराए थे जो उनके सेवानिवृत्त के बाद राशि की बंदरबांट हो गई। वहीं आज व्यवस्थाओं के नाम पर लाइब्रेरी में पुराने किताबे, टूटी कुर्सियां सहित रिकार्डो के संधारण की उचित व्यवस्था नही होने पर सभी पुस्तके व पत्र-पत्रिकाएं रद्दी के रूप तब्दील हो गए है। इतना ही नही पाठको के लिए न तो पेयजल की व्यवस्था है ना ही प्रसाधान की व्यवस्था बस टूटी अलमारियों में पुस्तके जो देखरेख के अभाव में रद्दी होती जा रही है।

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