
जिले में एक सप्ताह पहले सूखे की स्थिति बनी रही। अब जिले में
कम दबाव का क्षेत्र बनने के साथ मानसून की सक्रियता बढ़ी है। गौरतलब है कि बारिश रूकने
के बाद न सिर्फ किसानों की चिंता बढ़ गई थी बल्कि लोग उमस भरी गर्मी से परेशान हो गए
थे। जुलाई का माह विदाई को है। इस अषाढ़ के माह में झमाझम बारिश होनी चाहिए वह हो नहीं
रही है। जिले में खंड वर्षा का दौर चल रहा है। किसानों को बारिश का पानी न मिलने पर
खरीदकर पानी खेतों में भरना पड़ रहा है ताकि रोपाई का कार्य किया जा सके। सोमवार से
बारिश का सिस्टम जिले में बना हुआ है। मंगलवार की रात के बाद बुधवार व गुरूवार को सुबह
से रिमझिम बारिश होती रही। पुष्पराजगढ़ क्षेत्र
में तथा कोतमा तहसील के कई ईलाकों में झमाझम बारिश हुई। पूरे दिन बादल छाए रहे। जानकारी
के अनुसार जिले में बीते 24 घंटे 2.9 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई। इसके साथ अमरकंटक1.0,अनूपपुर
1.3, जैतहरी1.2, पुष्पराजगढ़ में 4.2, कोतमा में 2.0, बिजुरी 8.0, वेंकटनगर 0.0 बेनीबारी
5.5 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है।
बारिश ने किसानों को दी राहत
जिले में खरीफ सीजन में 1 लाख 79 हजार फसल बोवनी का रकवा निर्धारित
किया गया है। पिछले वर्ष अल्प वर्षा के कारण 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर में ही बुवाई का
कार्य किसान कर सके थे। बताया गया धान के लिए 1 लाख 20 हजार हेक्टेयर का रकबा रखा गया
है, जिसके विरूद्घ 70 हजार हेक्टेयर में ही बुवाई हो सकी है। जिले में सिंचाई का सिंचित
क्षेत्र 4 प्रतिशत है। किसान बारिश के पानी पर ही निर्भर रहते हैं। खरीफ की फसल में
धान मुख्य रूप से जिले में ली जाती है, लेकिन इस वर्ष जैसी उम्मीद बारिश की लगाई गई
थी। वह हो नहीं रही है। जिससे फसल की बुवाई का कार्य लगातार पिछड़ता जा रहा है। सोमवार
से पुन: बारिश होने लगी है जिससे किसानों को मौका मिला है कि वे जल्द बोवनी कर लें।
रोपाई के कार्य में इस वर्षा से तेजी आ गई है।
जानकारी के तहत मक्का 99 प्रतिशत, ज्वार 95 प्रतिशत, अहरहर 83
प्रतिशत, मूंग 80, उड़द 89, मूंगफली 97, तिल 76, सोयाबीन 80, रामतिल 24 प्रतिशत बो
लिया गया है। धान की फसल ही अभी कमजोर है। बहरहाल बुधवार की बारिश ने किसानों को राहत
दे दी है। जो बारिश खेती के लिए चाहिए वह होने लगी है। अब उम्मीद की जा सकती है कि
एक सप्ताह तक यदि बारिश का यही सिलसिला बना रहा तो बोवनी पूरी हो जाएगी।
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