मां नर्मदा के चरणों मे स्तुती रत यह अनुपम नगरी
" अनूपपुर " एक आंशिक किन्तु सार्थक संघर्ष उपरांत लगभग पंद्रह वर्ष पूर्व जिला मुख्यालय के स्वरूप मे आया है , जिला बनाने मे प्रयास राजनैतिक स्तर पर भी हुए साथ साथ सामाजिक स्तर पर भी हुए ।
वर्तमान मे इस्थित जिले की सभी विधान सभा छेत्रो से जनसमर्थन , राजनैतिक समर्थन प्राप्त हुआ था । जिला बनाने की सफल मुहिम मे तत्कालीन विधायक व राज्य शासन मे कैबिनेट मंत्री रहे श्री बिशाहूलाल सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही । हो सकता है उनकी परिकल्पना मे जिला मुख्यालय के स्वरूप को लेकर कोई तस्वीर रही होगी किन्तु इस छेत्र का दुर्भाग्य कहै या कुछ औऱ वह अवसर राजनैतिक कारणों से उनके हाथ नही आया ।
वर्तमान मे जिला मुख्यालय का जो भी हाल है वह आम जनमानस के सामने खुली किताब की तरह है ।
लगभग पन्द्रह वर्ष पूर्व किसी नवजात शिशु की तरह जनमे इस जिले को कुपोषित का दर्जा देना उचित होगा , न ही सही टीकाकरण हुआ , न ही पोलियो की बूंद पिलाई गई जिससे जिला मुख्यालय की विकलांगता आज जग जाहिर है ।
पन्द्रह वार्ड का यह मुख्यालय रेलवे लाइन के कारण लगभग दो बराबर भागों मे भौगोलिक रूप से बंटा हुआ है , यह बंटवारा प्रायः राजनैतिक रूप से बंटने मे भी लोकल नेताओ को काफी हद तक अनुकूल प्रतीत होता है , एक तरीके से लोकल नेतागिरी मे छेत्रवाद को जन्म देता है ।
कई ज्वलंत समस्याओ को अपने अंदर समेटे यह जिला मुख्यालय अपनी दुर्दशा और चुने हुए नेताओं की अकर्मण्यता पर आंशु बहा रहा है । यहां की जनता ने केन्द्र व राज्य दोनो जगह बड़ी आशा के साथ भा ज पा के प्रतिनिधियों को चुनकर भेजा था किन्तु अधिकांश बातों पर निराशा हाथ लगी ।
बात की जाए लोकसभा उप चुनाव की इस चुनाव मे प्रदेश के मुखिया ने नगर की ज्वलंत समस्या रेलवे ओवर ब्रिज पर जनता को किस तरह से बेवकूफ बनाया इसका उदाहरण आज़ाद हिंदुस्तान मैं शायद ही कंही देखने को मिले ।
जनता को कैसे बेबकूफ बना कर वोट हासिल किया जाता है अनूपपुर का " रेलवे ओवर ब्रिज पुराण " देश के अन्य नेताओं के लिये अनुकरणीय उदहारण है ।
प्रधान सेवक जी कहते है " अटकाना , लटकाना , भटकाना " यह कांग्रेस की नीति रही है किंतु अनूपपुर जिला मुख्यालाय की बात करे तो भा ज पा के जनप्रतिनिधियों ने मोदी जी के इस अटकाने , लटकाने , भटकाने वाले आरोप को अपने आचरण से स्वयंमेव हेतु सिद्ध कर दिया है कि यह कॉंग्रेस की नही अपितु भा ज पा की नीति है ।
रेलवे ओवर ब्रिज , जिला अस्पताल , बस स्टैंड , जैसे ज्वलंत मुद्दे राजनैतिक अखाड़े के दावँ पेंच साबित हो रहें है हर छुटभैया " तुम कौन कि मैं खा म खां " वाला दृष्टिकोण लिये टांग अड़ाना चाहता है ।
समय रहते हालात नही सुधरे तो लगता है जनता भी इस बार " जनआशीर्वाद " को पूर्णतः तैयार है ।
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