अनूपपुर। एसईसीएल
आमाडांड खुली खदान को लेकर कॉलरी प्रबंधन की तानाशाही के कारण क्षेत्र के किसानो
की समस्या लगातार बढती जा रही है। पूर्व से चली आ रही नौकरी एवं मुआवजा से वंचित
किसान इनदिनो गैर अर्जित भूमि जो कि लगभग ६० से ७० एकड मे पानी भरने के कारण फसल
बरबाद हो गई है। जिससे किसानो मेंं आक्रोश देखा जा रहा है। जिसके बाद किसानो ने
क्रमिक अनशन के साथ २ किसानों द्वारा जल सत्याग्रह की तैयारी की जा रही है, जिसके बाद भी
न्याय न मिलने पर १५ अगस्त को १ पुन: किसान आत्मदाह किए जाने की बात कही गई। ग्राम
कुहका के प्रभावित किसान अनूप त्रिपाठी ने बताया कि भूमि अर्जन को १४ वर्ष बीत
जाने के बाद भी किसान को रोजगार के लिए कॉलरी प्रशासन द्वारा भटकाया जा रहा है।
प्रभावित किसानो ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से किसानों की गैर अर्जित भूमि में
एसईसीएल द्वारा फसल बर्बाद किए जाने पर कार्यवाही किए जाने एवं किसानों को मुआवजा
दिलाए जाने के साथ ही भू - अर्जन २०१३ की धारा २४ (२) के तहत भू-अर्जन की
प्रक्रिया को शून्य घोषित किए जाने, मनमानी डंपिग के कारण किसानों की गैर
अर्जित भूमि पर होने वाले जल भराव से पानी निकासी की व्यवस्था किए जाने एवं पूर्व
में हुए फसल क्षति का आकलन कर क्षति पूर्ति दिलाए जाने की मांग की है। रविवार, 15 जुलाई 2018
कॉलरी प्रबंधन की तानाशाही, फसलो का मुआवजा ना मिलने पर करेगे जल सत्याग्रह
अनूपपुर। एसईसीएल
आमाडांड खुली खदान को लेकर कॉलरी प्रबंधन की तानाशाही के कारण क्षेत्र के किसानो
की समस्या लगातार बढती जा रही है। पूर्व से चली आ रही नौकरी एवं मुआवजा से वंचित
किसान इनदिनो गैर अर्जित भूमि जो कि लगभग ६० से ७० एकड मे पानी भरने के कारण फसल
बरबाद हो गई है। जिससे किसानो मेंं आक्रोश देखा जा रहा है। जिसके बाद किसानो ने
क्रमिक अनशन के साथ २ किसानों द्वारा जल सत्याग्रह की तैयारी की जा रही है, जिसके बाद भी
न्याय न मिलने पर १५ अगस्त को १ पुन: किसान आत्मदाह किए जाने की बात कही गई। ग्राम
कुहका के प्रभावित किसान अनूप त्रिपाठी ने बताया कि भूमि अर्जन को १४ वर्ष बीत
जाने के बाद भी किसान को रोजगार के लिए कॉलरी प्रशासन द्वारा भटकाया जा रहा है।
प्रभावित किसानो ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से किसानों की गैर अर्जित भूमि में
एसईसीएल द्वारा फसल बर्बाद किए जाने पर कार्यवाही किए जाने एवं किसानों को मुआवजा
दिलाए जाने के साथ ही भू - अर्जन २०१३ की धारा २४ (२) के तहत भू-अर्जन की
प्रक्रिया को शून्य घोषित किए जाने, मनमानी डंपिग के कारण किसानों की गैर
अर्जित भूमि पर होने वाले जल भराव से पानी निकासी की व्यवस्था किए जाने एवं पूर्व
में हुए फसल क्षति का आकलन कर क्षति पूर्ति दिलाए जाने की मांग की है।
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