कोयला खदानो का प्रदूषित पानी पीने को मजबूर
विकास पाण्डेय
बिजुरी। सत्ता और सियासत
के विकास के मखमली दावो से खुरदुरी हकीकत जमीनी सत्ता,सियासत और जन सरोकार से कोसो दूर है घोषणाओ
का सच अपनी जगह मगर हकीकत इससे अलग है, लोकतंत्र का मतलब सिर्फ सत्ता से है यह तर्क इसलिए क्योंकि प्रदेश के अंतिम छोर पर बिजुरी नगर आजादी के 70
वर्ष बाद भी कोयला खदानो के गंदे पानी से गुजर बसर करने को मजबूर है। सत्ता बदली
जनप्रतिधि बदले मगर बिजुरी नगर वासियो को स्वच्छ पेयजल के स्थाई समाधान का अब भी
इन्तजार है बिजुरी नगर को काले हीरे की
नगरी कहा जाता है, जहां बिभिन्न
कोयला खदानो से हजारो टन कोयले का उत्पादन प्रतिदिन होता है। जो देश के उन्नति और
विकास मे अहम योगदान होता है।
नगर में पेयजल संकट के समाधान के लिए लोग कई बार सड़को पर उतरे धरना प्रदर्शन
किया गया मगर वही ढाक के तीन पात समाधान आज तक नही। स्थानीय सियासत के दोनो दलो ने
पेयजल को चुनावी मुद्दा भी बनाया और एक ने इसके सहारे जनता को जनादेश पाकर किए गए
वादे को भूल गए और नगर मे स्थाई पेयजल संकट के समाधान का वादा एक बार खोखला साबित
हुआ। बताया गया है बिजुरी नगर मे कोयला खदान के प्रदूषित पानी के उपयोग से पथरी के
मरीजो की संख्या बढती जा रही है,चिकित्सको की
माने तो प्रदूषित पानी से लोग गैस व अन्य पेट की गंभीर बीमारीयो से ग्रसित हो रहे
है।
हर वर्ष गर्मी के मौसम मे पेयजल संकट उत्पन्न होता है लोगो को इसके लिये
जद्दोजहद करना पड़ता है और गर्मी के दस्तक देते ही कोयला खदानो मिलने वाला जल भी
दम तोड देता है। इसके बाद नगरपालिका द्वारा टैकरो से पेयजल की आपूर्ति की जाती है
फिर शुरू होता है पैसो का खेल,नगर पालिका
द्वारा जमकर पैसा खर्च जाता है। इतना ही नही इसके लिये दो बडे ओवर हैड टैंक का
निर्माण व हैण्डपंपो का उत्खनन कराया गया जिसमे करोडो रूपये नपा द्वारा खर्च किए
गए।
हिदुस्थान समाचार/राजेश
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