अनूपपुर। वर्षो से केवई नदी रपटा पर पुल की मांग तथा वर्ष २०१६ में आरम्भ किए
गए पुल निर्माण की सुस्त चाल ने इस वर्ष भी लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया
है। पीएमजीएसवाई द्वारा १८० मीटर लम्बे पुल निर्माण अबतक पूरा नही हो सका है। जबकि
शेष आधे पुल का निर्माण जारी है। बारिश के दौरान रपटा पर पानी भरने की चिंताओं में
कोतमा व आसपास के इलाकों के ग्रामीणों की धड़कन अभी से बढ़ा दी है। लोगों को यह डर
सताने लगा है कि आगामी दिनों रपटा से आवाजाही बंद हो जाएगी, यह जानते हुए भी
प्रशासनिक स्तर पर कोई वैकल्पिक सुविधा नहीं तैयार की गई है। वहीं इसकी सुरक्षा
व्यवस्था भी नहीं कराई गई है। बताया जाता है कि कोतमा व आस-पास के क्षेत्रो को
जोडऩे वाली केवई नदी रपटा नगरीय क्षेत्र सहित आमाडांड, खोड्री, राजनगर, जमुड़ी, उरा, मलगा, फुलकोना और आसपास के ५० हजार की आबादी की
आवाजाही का एक मात्र रास्ता है। वर्ष २००६ मुख्यमंत्री ने पुल निर्माण के लिए घोषणा की थी। यहीं नहीं स्थानीय
लोगों की मांग पर जिला योजना समिति में वर्ष २०१४ में उसे खतरनाक रपटा मानते हुए
तत्काल उसके निर्माण का प्रस्ताव भेजा गया था, जहां अब पीएमजीएसवाई द्वारा १८० मीटर लम्बे
पुल निर्माण कार्य कराया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि वर्ष १९८५ के आसपास
दर्जनों गांव के लोगों को केवई नदी पार कराने के उददेश्य से पीडब्ल्यूडी विभाग
द्वारा लगभग १५० मीटर लम्बी रपटा का निर्माण कराया गया था। लेकिन दिनोंदिन नदी के
पेट (तलहटी) के भराव के बाद यह रपटा नदी तलहटी से सटता चला गया। जिसके कारण मानसून
की चंद बारिश की बौछार में यह रपट उफान भर कर तीन माह तक लोगों की परेशानी का कारण
बनता रहा है।
एक ओर पुल का निर्माण आरम्भ हुआ है। वहीं केवई नदी पर जो रपटा निर्मित है अब
वह पूरी तरह से जर्जर होने लगा है। रपटे के बीच वाले हिस्से में दरार के साथ गड्ढे
भी बन चुके हैं। जहां हल्का पानी बहने पर भी गड्ढे वाहन चालकों के लिए मुसीबत बनती
है। वहीं रपटा पर सुरक्षा के लिए रेलिंग नहंी होने के कारण थोड़ी सी चूक में लोगों
को सुरक्षित भी नहीं बचाया जा सका है। अबतक के आंकड़ों में रपटे पर उफान के दौरान
आधा दर्जन लोग असामायिक मौत का शिकार बने हैं। इनमें वर्ष २०१० में ही तीन लोग
दरिया में बह गए। इनमें २४ जुलाई २०१० को मंजू केवट पुरानी बस्ती बुढ़ार, ३० जुलाई नितेश उर्फ निन्नी टांडिया पुलिस
कॉलोनी कोतमा, ७ नवम्बर ७
वर्षीय खेल्लु अहिरवार की मौत हो गई। जबकि अगस्त २०१३ में शिक्षक लक्ष्मण तिवारी
बह गए। वर्ष २०१४ में वाहन सहित फिरदौस की मौत की बहकर हो गई, जिसका शव आजतक उनके परिजनों को नहीं मिल सका।
इसके अलावा अन्य मौतें भी शामिल हैं।
इनका कहना है
फिलहाल पुल का निर्माण चल रहा है। जिसे देखते हुए इस वर्ष रपटे पर सुरक्षा के
लिए बेरिकेङ्क्षटग कराने के साथ स्टॉपर लगाकर लोगों की आवाजाही करने के प्रयास किए
जाएंगे। साथ ही सुरक्षा के लिए अधिकारियों को भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
अनुग्रह पी, कलेक्टर
अनूपपुर।
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