भाजपा ने जारी की दूसरी सूची, कोतमा से दिलीप जायसवाल होगें उम्मीदवार
अनूपपुर। मध्य प्रदेश में विधानसभा का कार्यकाल 2018 से 2023 के साढ़े चार साल से अधिक का समय बीत चुका है। वर्ष खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी। यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है। वहीं आज भाजपा ने दूसरी सूची जारी की हैं जिसमें अनूपपुर जिले कोतमा की समान्य विधानसभा सीट के लिए एक बार फिर दिलीप जायसवाल पर भरोसा जताते हुए उम्मीदवार बनाया हैं।
शहडोल संभाग की एक मात्र आनारक्षित कोतमा
विधानसभा सीट में वर्तमान समय यहां कांग्रेस के सुनील सराफ विधायक हैं, जिन्होंने
भाजपा प्रत्याशी दिलीप जायसवाल को 11319 वोटो से हराया था। 2018 चुनाव में भाजपा के दिलीप को 36820 जबकि सुनील सराफ
को 48249 वोट मिले थे। वहीं 2013 के
चुनाव में कांग्रेस के मनोज कुमार अग्रवाल ने 38,319 वोट
यानी 36.87 प्रतिशत मतों के साथ जीत दर्ज़ की थी, जबकि भाजपा के राजेश सोनी 36,773 वोट हासिल किए थे।
पिछले दो बार से कोतमा में कांग्रेस के ही विधायक जीतते आ रहीं हैं।
कोतमा कांग्रेस की पारंपरिक सीट
कोतमा पारंपरिक तौर पर कांग्रेस की सीट रही
है,
1957 से अब तक ज्यादातर यहां कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। 1957
से अब तक हुए कुल 14 विधानसभा चुनावों में 9
बार कांग्रेस ने ही जीत दर्ज की है। वहीं दबी जुबान में लोग लगातार
दो बार भाजपा की हार के पीछे की वजह आपसी गुटबाजी बताते हैं। कहीं इस बार भी पिछला
परिणाम दोहराया गया तो यह बड़ी मुश्किल होगी। यह किसी सें छिपा नहीं की कांग्रेस को
जिताने में भाजापा के असंतुष्टों का
पूरा सहयोग होगा।
कोलांचल के नाम से कोतमा की पहचान
क्षेत्र में कोयले की खदान होने से कोतमा को
कोयलांचल के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन कोयले से कमाकर देना कोतमा में विकास
के नाम कुछ नहीं है। शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी कोई खास इंतजाम ना होने से भी
लोगों में भारी नाराजगी है।
आसान नहीं होगी कांग्रेस के लिए जीत
पिछले दो बार से कोतमा विधानसभा चुनाव जीतते
आ रही कांग्रेस के लिए इस बार जीत इतनी आसान नहीं होने वाली है, भाजपा ने
एक बार फिर से पुराने चेहरे पर विश्वास जताते हुए उम्मीदवार बनाया हैं। वहीं पूर्व जिला
अध्यक्ष बृजेश गौतम को जिला संयोजक बनाया है। जिससे कुछ हद तक भाजपा को आसान होने की
उम्मीद की जा सकती हैं। कांग्रेस में सुनील सराफ की उम्मीदवारी लगभग तय मानी जा रहीं हैं। इनके
अलावा
दूसरे लोग भी दावेदारी दिखा रहे हैं। ऐसे में यदि सराफ को अगर फिर टिकट मिलती है
तो कांग्रेस के दूसरे दावेदारों से भीतरघात का खतरा मंडरा रहा हैं।
छत्तीसगढ से सटी है कोतमा विधानसभा
मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे
अनूपपुर में आदिवासी वोट के साथ ही पड़ोसी राज्य की राजनीति का असर भी यहां रहता
है। लिहाजा इस बार छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार होने का कुछ फायदा भी कांग्रेस
को मिल सकता है। अब देखना होगा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में यहां कौन
अपना परचम लहराता है।
विधायक ने सरकार पर लगाए उपेक्षा के आरोप
विधायक सुनील सराफ प्रदेश सरकार पर उपेक्षा
का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ना होने से कोतमा के विकास
कार्यों को मंजूरी नहीं मिली है। 15 महीने की कमलनाथ सरकार में जो भी
काम हुए उसके बाद भाजपा की सरकार आने के चलते अब लगभग बंद पड़ गए हैं।
अबतक के विधायक
1957 से लेकर अब तक की विधानसभा की
स्थिति
1957: हरि राज कुंवर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1962: गिरजा कुमारी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1967: के. एम. सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1972: मृगेंद्र सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1977: बाबूलाल सिंह, जनता पार्टी
1980: भगवानदीन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई)
1985: भगवानंदीन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1990: छोटे लाल भारतीय, जनता पार्टी
1993: राजेश नंदनी सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1998: जय सिंह मरावी, भारतीय जनता पार्टी
2003: जय सिंह मरावी, भारतीय जनता पार्टी
2008: दिलीप जायसवाल, भारतीय जनता पार्टी
2013: मनोज कुमार अग्रवाल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2018: सुनील सराफ, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
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