जानकारी अनुसार 4 जुलाई एवं 13 अगस्त को अलग-अलग पांच हाथियों का
समूह छत्तीसगढ़ के मरवाही वन परीक्षेत्र से मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिला अंतर्गत जैतहरी
तहसील एवं वन परीक्षेत्र के चोलना गांव से प्रवेश करता हुआ जैतहरी,अनूपपुर एवं कोतमा तहसीलों के विभिन्न ग्रामीण अंचल के ग्रामीण के
घरों को तोड़फोड़ कर खेत खलिहानों लगे गन्ना,केला,कटहल एवं अन्य तरह की फसलों के साथ खेतों में लगी धान एवं अन्य तरह
की फसलो को अपना आहार बनाते हुए निरंतर विचारण करते हुए 13 अगस्त को वन
परीक्षेंत्र कोतमा के पोडी बीट के गांवो से मरवाही वन परीक्षेंत्र में निरंतर 30 दिनों तक विचरण
करते हुए एक बार फिर से मध्यप्रदेश की सीमा में पांच हाथियों का समूह मंगलवार की
सुबह छत्तीसगढ़ के अनूपपुर जिले के वन परीक्षेंत्र कोतमा के पोडी के जंगल में
पहुंच कर विश्राम कर रहें हैं। हाथियों का यह समूह देर अब किस ओर रुख करेगा यह रात
को पता चल सकेगा।
वन विभाग का हमला हाथियों के समूह पर
निगरानी रखते हुए आसपास के ग्रामीण क्षेत्र खासकर गांव एवं गांव से बाहर जंगल के
किनारे खेतों एवं अन्य स्थानों में कच्चे एवं पक्के मकान बना कर रह रहे ग्रामीणों
को देर शाम तक ऐसे स्थानों मे परिवार सहित निकलकर गांव के बीच या पक्के मकान की
में सुरक्षित रहने की सलाह मुनादी करा कराई गई हैं। विश्राम कर रहें हाथियों के
समूह के नजदीक जाने से वन विभाग के मैदानी अमला ग्रामीणों को रोक रहा है।
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण ने बताया कि विगत तीन-चार दिनों से पांच हाथियों का यह समूह
उत्तेजित हो जाता है जो बीच-बीच में अपनी सुरक्षा को देखते हुए ग्रामीणों की भीड़
को भगाने के लिए दौड़ते है,वही सबसे बड़ा 41 हाथियों का समूह जिसमें छोटे,बड़े नर-मादा का समूह हैं छग के कटघोरा
जिला से एक सप्ताह से कोरबा जिले के पसान वन परीक्षेत्र में निरंतर विचरण कर रहा
है। भविष्य में मध्यप्रदेश के सीमा में अनूपपुर जिले में प्रवेश करने की संभावना
बन रही है।
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