https://halchalanuppur.blogspot.com

गुरुवार, 10 मई 2018

भारतीयता पर मम्मी को प्रमाणपत्र की जरुरत क्यों ? क्या राहुल गांधी बदल रहे हैं ?

 मनोज द्विवेदी, कोतमा- अनूपपुर
अनूपपुर। कर्नाटक चुनाव प्रचार का शोर गुल थमने के महज कुछ घंटे पहले कांग्रेस के आलाकमान राहुल गांधी ने न जाने क्या सोच कर यह कहा कि‌ " मेरी मां  कुछ लोगों की तुलना मे ज्यादा भारतीय हैं। " राहुल अब यह सर्टिफिकेट सोनिया गांधी को एक पुत्र के रुप मे दे रहे हैं तो लोग इसे  मान्यता देने -- न देने के लिये स्वतंत्र हो सकते हैं। मै तो राहुल जी की इस बात से सरासर इत्तेफाक रखता हूं कि श्रीमती सोनिया गांधी विदेशी मूल की महिला होने के बावजूद कु छ लोगो की तुलना मे अधिक भारतीय हैं। मुझे नही पता कि राहुल की नजर मे वो  " कुछ लोग " कॊन हैं ? जिनसे वे अपनी मम्मी को बेहतर भारतीय मानते हैं । लेकिन मुझे मेरा नजरिया एकदम स्पष्ट है कि यदि आगे भविष्य में  देश का बडा नेता या किसी राष्ट्रीय पार्टी का कोई प्रमुख या उसका बेटा ( जो भारत का प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहा हॊ ) पाकिस्तानी या चीनी मूल की किसी लडकी से शादी कर लेता है तो जाहिर है कि उसे अपनी प्रतिबद्धता भारत के प्रति साबित करने मे वर्षों लग जाएगें।इटली मूल की सोनिया गांधी भले कतिपय कारणों से हिन्दुस्थान की प्रधानमंत्री न बन पाई हों , पूर्व प्रधानमंत्री स्व राजीव गांधी की विधवा होने के कारण कांग्रेस  प्रमुख बनते ही इस देश ने यदि वह वैभव प्रदान किया है तो यह उनके प्रति देश की मान्यता ही है। उनके भारतीय होने पर भला किसे शक है। यहाँ ऐसे ऐसे सपोलों को देश भारतीय ( जन्मना)माने बैठा है ,जिनके कर्म कदापि सच्चे भारतीयों जैसे नही हैं। देश के संसाधनों पर पलने वाले जब " लेकर रहेंगे आजादी " के नारे लगाएं या  " भारत तेरे टुकडे होंगे" का उद्घोष करें या दुश्मन देश से खेल मे भारत के हारने पर सडकों पर पटाखे फोड कर बेशर्म खुशियों का प्रदर्शन करें या अपने ही देश मे पाकिस्तान के झंडे लहराते हों या आतंकी हिंसा मे लिप्त नक्सलियों - पत्थरबाजों की तरफदारी करता हो या अपनी ही सेना के शोर्य पर शक पैदा कर सेनाध्यक्ष को गुण्डा कहे या ऐसा वह हर कार्य करे जिससे देश कमजोर हो । जब ऐसे लोगो को कंधा देने वालों की देश मे कमी न ही है तो कम से कम सोनिया जी पर ऐसा कोई प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष आरोप तो नही ही है। अब यह अलग बात है कि बहुत बार उनका मॊन या स्वत: राहुल की हरकतें बेवजह संदेह पैदा करते  रहे हैं।‌ इसी लिये जब एक बेटे ने अपनी माँ को कुछ लोगों की तुलना मे अच्छा भारतीय बतलाया तो मुझे भी इसमे आपत्तिजनक कुछ भी नही लगा।
लेकिन कर्नाटक चुनाव के ठीक बीच अपनी माँ को भारतीयता का सार्वजनिक प्रमाणपत्र बांटना कुछ सवाल तो खडे करता ही है। जैसे यह वे चुनावकाल के बीच मे न बोलकर स्वतंत्रता दिवस,गणतंत्र दिवस ,गांधी जयंती, इंदिरा जयंती, राजीव जयंती पर भी बोल सकते थे। यह महज बोलने के लिये बोला गया मामला तो कदापि नही है। लोगों ने कहा कि हार दर हार के बीच राहुल गांधी बदल रहे हैं। तो क्या यह बदलाव उनके फ्रस्टेशन के रुप मे सामने आ रहा है या राजनीति के कुटिल खिलाड़ी बनते जा रहे हैं। क्या उन्होंने कर्नाटक चुनाव मे भावुकता कार्ड खेला है ? यदि हां ! तो सवाल है कि यदि कांग्रेस जीत गयी तो विजय का सेहरा सोनिया गांधी की भारतीयता को जाएगा ? यदि पराजित हो गये तो क्या राहुल इसे अभी से भांपते हुए सेफ जोन तलाश रहे हैं ? सवाल बहुत से हैं, जिनके जवाब समय आने पर ही मिल पाएगें‌। कम से कम परिणाम आने तक तो इन्तजार करना ही होगा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

शराब ठेकेदार के गुर्गों की गुंडागर्दी: युवक को वाहन से कुचल कर मारने की कोशिश, 3 संदेही अभिरक्षा में

पूरी घटना सीसीटीव्ही  में कैद, वाहन जप्त  अनूपपुर। कोतमा थाना क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग 43 स्थित एक ढाबे शनिवार - रविवार की रात से निकल...