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मंगलवार, 29 मई 2018

कोतमा एसडीएम को हटाए जाने पीडित किसानों ने सौंपा ज्ञापन



अनूपपुर। एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र के आमाडांड खुली खदान में ९ अप्रैल को आमाडांड एवं १५ मई को निमहा में किसानों की बैठक अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोतमा की अध्यक्षता में संपन्न हुई थी, जिसमें सर्व सम्मति से ४०० रिक्त पदों में पहले म.प्र. पुर्नवास नियमों के तहत पात्र किसानों को रोजगार दिया जाना था। जिस पर एसडीएम कोतमा ने कुहका, निमहा, आमाडांड के किसानों की पात्रता सूची का पुर्ननिरीक्षण का भरोसा भी दिया था। लेकिन एसडीएम ने पात्रता सूची में न तो हस्ताक्षर किया और ना ही पुर्नवास नियम के तहत पात्र लोगो को रोजगार देने की कोई कार्यवाही रविवार २७ मई को भालूमाडा गेस्ट हाउस में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस, नायब तहसीलदार, कोतमा नगर निरीक्षक रामनगर की उपिस्थति में सरपंच निमहा तथा एक ही परिवार के चार सदस्यों एवं ३ पंचों सहित कुल ७ किसानों की बैठक कर एसईसीएल के अधिकारियों ने डिसेंडिंग के आधार पर रोजगार का निर्णय कर गोपनीय तरीके से बैठक कर लिया गया। जिसके बाद निमहा के किसानों का गुस्सा फूट पड़ा और २८ मई को निमहा के किसान तहसील कार्यालय कोतमा पहुंच एसडीएम कोतमा को तत्काल हटाने, अजीत सोडा, महाप्रबंधक संचालन, विधि अधिकारी देवेन्द्र तिवारी, नोडल अधिकारी राजस्व विनोद सिंह को बर्खास्त करने की मांग का ज्ञापन कलेक्टर के नाम सौंप ३१ मई तक मांगे पूरी नहीं होने पर आमांडाड में क्रमिक भूख हड़ताल की सूचना दी गई। किसानों का आरोप है कि एसडीएम कोतमा, कॉलरी के बंगले में रहता है, कॉलरी का पानी, बिजली, डीजल, सुख सुविधाएं प्राप्त कर निजी स्वार्थ की पूर्ति करता है जिसके कारण एसडीएम कोतमा एसईसीएल का सीईओ बन बैठा है ऐसे एसडीएम को तत्काल कोतमा से अन्यंत्र हटाया जाए और किसी निष्पक्ष अधिकारी की नियुक्ति की जाए। किसानों की मांग है कि एसईसीएल ने जिस तरह अन्य किसानों को म.प्र. पुर्नवास नियम के तहत रोजगार दिया है उसी तरह अन्य पात्र किसानों को ४०० रिक्त पदों में नियुक्ति की जाए, अजीत सोडा, विनोद सिंह, देवेन्द्र तिवारी द्वारा किसानों को अनावश्यक प्रताडित किया जाकर १३ वर्षो से परेशान किया जा रहा है, उन्हे तत्काल बर्खास्त किया जाए, बीते ८ माह से अधिक समय से एक क्रमिक भूख हडताल आमाडांड खुली खदान में संचालित है, अब अन्य किसान भी आमाडांड के भूख हडताल की ओर है। किसानों का कहना है कि हमारी जमीन खोद ली गई, कोयला निकाल लिया गया और हमें रोजगार न देकर प्रबंधन ऐसे लोगो से बैठक करता है जिनकी जमीन में अभी तीन रोजगार दिया जा चुका है और २० वर्ष बाद भी उन जमीनों में कोयला उत्खनन नहीं होगा प्रबंधक जब ग्राम सभा की बैठक में असफल रहा तब प्रशासन से मिलकर यह खेल खेला गया। उच्च न्यायालय के आदेश की अव्हेलना, राजस्व अधिकारी उच्च न्यायालय की याचिका में पारित आदेश दिनांक पुर्नवास समिति की बैठक एसईसीएल द्वारा आयोजित की गई। बैठक में पारित प्रस्ताव अनुसार आज दिनांक म.प्र. पुर्नवास नियम १९९१ एवं संशोधित अधिनियमों के तहत पात्र व्यक्तियो की सूची अनुविभागीय राजस्व द्वारा जारी नहीं की गई। जबकि एसईसीएल द्वारा ४०० खाली पदों की जानकारी दी जाकर म.प्र. पुर्नवास नियम के तहत पात्र व्यक्तियों को रोजगार देने का प्रस्ताव पारित किया गया था। राजस्व अनुविभागीय अधिकारी एवं एसईसीएल प्रबंधन के रवैये के कारण आज दिनांक तक उक्त पीडित किसानों को रोजगार एवं मुआवजा नहीं मिल सका। वहीं ज्ञापन सौपने वालो में आमाडाड, निमहा, कुहका के किसानों ने कोतमा एसडीएम मिलिन्द्र नागदेवे को हटाए जाने का ज्ञापन कलेक्टर के नाम नायब तहसीलदार कोतमा को सौंपा। ज्ञापन सौंपने वालो में खेलावन, धनीराम, पुरूषोत्तम, रामावतार, राजकुमार, अमोल, मान सिंह, जमुना गुप्ता, राजेश गौतम, रोशन लाल, रमेश कुमार, सत्य नारायण, कोमल सेवक, रामरतन, ध्यान सिंह, समय लाल, फूलचंद, जयलाल, सुग्रीव, विश्वनाथ, रामसिंह मार्को, हरिलाल, लालदास, रमाशंकर, मोहनलाल केवट, महेन्द्र सिंह, शारदा शर्मा, अशोक मिश्रा, मनोज कुमार, ललन सिंह, शशांक गर्ग, संग्राम सिंह, रमाकांत गिरी, शेखर शरद दुबे सहित समस्त किसान उपस्थित रहे।

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