खनिज माफिया की मनगढ़त बनाई कहानी, पुस्तैनी जमीन हड़पने का प्रयास
इंट्रो- अंतर्राष्ट्रीय साहित्यकार उदय प्रकाश पर रेत माफियाओ का विवाद सुर्खियो में
है, जहां 27 मई को यह मामला अचानक
ही नया मोड पलट जब साहित्यकार उदय प्रकाश के बडे भाई अरूण प्रकाश ने प्रेस वर्ता
पर पूरे मामले को दोनो भाईयो एवं बहनो के मध्य भूमि विभाजन का विवाद बताया। वहीं
साहित्यकार उदय प्रकाश पुस्तैनी भूमि को बेच विदेश पलायन करने के फिराक में है, जिसके कारण यह पूरी कहानी तैयार कर सोशल मीडिया के माध्यम से प्रशासन पर दवाब
बनाकर हडपना चाह रहे है। जो की एक छोटे भाई ने विकलांग बड़े भाई के साथ विश्वासघात
किया है तथा राजस्व रिकार्डो में हेराफेरी कर पुस्तैनी निवास एवं भूमि पर कब्जा कर
विक्रय के फिराक में है।
अनूपपुर। 27 मई को मुख्यालय में
अंतर्राष्ट्रीय साहित्यकार उदय प्रकाश के बडे भाई अरूण प्रकाश ने प्रेस वर्ता कर
बताया कि जन्म से पैरो से विकलांग हॅू, जिसका फायदा मेरी छोटे भाई साहित्यकार उदय प्रकाश सिंह का विवाद खनिज माफिया से
नही बल्कि दो सगे भाईयों एवं बहनो के मध्य भूमि विभाजन का विवाद है। जहां ग्राम
सीतापुर की आराजी खसरा नं. 14 वर्ष 1969-70 के राजस्व
रिकार्ड में प्रेमकुमार सिंह पिता भागवत सिंह के नाम पर भूमि स्वामी कालम पर दर्ज
था जिस पर तत्कालीन हस्तांनतरण पत्र द्वारा फर्जी नामांतरण का नाम का हवाला देकर
कृष्णा कुमार पति सूर्यप्रताप उर्फ सूर्यनारायण का नाम दर्ज कर दिया गया जो अपने
आप पर संदिग्ध है जिस पर अरूण प्रकाश ने एसडीएम न्यायालय अनूपपुर में अपील पेश कर
रखी है। इसके साथ ही मामला कोतवाली में जाने के बाद जहां उदय प्रकाश ने अपने
अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव की बात जान कोतवाली प्रभारी वीभेन्द्रु वेंकट टांडिया उनके
घर पर जाकर माफी मांगे जाने का आरोप भी अरूण प्रकाश ने लगाते हुए अपनी ही जान को
खतरा बताया है।
संपत्ति लालच में बदली मूल जाति बघेल से नागवंशी
अरूण प्रकाश ने प्रेसवर्ता में दस्तावेज उपलब्ध कराते हुए बताया कि उदय प्रकाश
सिंह ने संपत्ति के लालच में अपनी मूल जाति बघेल के बजाय फर्जी रूप से नागवंशी
दर्ज की है, जो कि एक
अंर्तराष्ट्रीय साहित्यकार जैसे व्यक्तित्व को दागदार करती है। उसी दस्तावेज के
आधार पर उन्होने राजस्व न्यायालय को उपलब्ध कराकर खसरा नंबर १४ का तर्मीम करवाया
हे, जिसकी अपील एसडीएम न्यायालय में अरूण
प्रकाश द्वारा की गई, जिस पर न्यायालय ने स्थगन आदेश दिया। अरूण प्रताप ने आरोप लगाते हुए बताया कि
उदय प्रकाश ने न्यायालय को गुमराह करते हुए एक आवेदन पत्र पेश किया जिसमें उन्होने
अपने विदेश जाने की बात कही और प्रकरण की जल्द सुनवाई चाही, लेकिन उदय प्रकाश आज दिनांक तक विदेश नही गए।
साहित्यकार ने कानून की उड़ाई धज्जियां
साहित्यकार उदय प्रकाश ने कानून की धज्जियां उडाने का आरोप भी बडे भाई अरूण
प्रकाश ने लगाया। जिस पर पावर ऑफ ऑटरनी किसी भी प्रकार का स्वहित या व्यक्तिगत लाभ
का अधिकार नही देता है और न ही अपने स्वयं के नाम पर विक्रय पत्र निष्पादित करने
का अधिकार देता है लेकिन उदय प्रकाश ने कानून का मजाक उडाया है जिसके कारण उनके
राष्ट्रीय साहित्यकार की प्रतिभा पर प्रश्र चिन्ह लगा है। वहीं 11 जून 2016 को देवधर (झारखंड)
जाकर साहित्यकार उदय प्रकाश ने अपने बडे भाई के चोरी से कृष्णा कुमारी के पुत्र
वर्तमान दर्ज स्वामी राहुल सिंह से पावर ऑफ ऑटरनी लेकर भूमि का 11.03 एकड अपने नाम पर ही
विक्रय पत्र निष्पादित करा लिए है जबकि उदय प्रकाश के रिकार्डो की जानकारी पूर्व
से है कि राहुल सिंह का नाम फर्जी तरीके से राजस्व रिकार्डो में दर्ज है उनका यह
कार्य भी संदेह के घेरे में है।
परिवार की जमीन बेच विदेश पलायन की तैयारी
अरूण प्रकाश ने बताया कि उदय प्रकाश द्वारा डीव्हीएम विद्यालय बरबसपुर, सोन सिटी की भूमि सीतापुर एवं ग्राम मझगवां मंटोलिया की भूमियो का पूर्व में
विक्रय कर चुके है अब उनकी नजर परिवार की शेष सम्मिलित खाते की भूमियो पर है जिसे
बेचकर विदेश पलायन करने के फिराक में है।
वहंी उदय प्रकाश जमीनी विवाद की जानकारी ने देकर उक्त विवाद को छिपाकर खनिज
माफिया का मनगढ़त कहानी रची है तथा सोशल मीडिया व अन्य के माध्यम से आम जन ता को
बरगलाकर कैण्डल मार्च कर प्रशासन को पूरी तरह से झुका अपना जमीनी विवाद अपने पक्ष
में करवाने के फिराक में है। जबकि मै संविधान में बने नियमो का पालन करते हुए
न्यायालय के चक्कर काट अपनी पुस्तैनी भूमियो को बचाने का प्रयास में लगा हुआ हॅू।
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