प्रतिदिन उपचार
के लिए पहुंचते दो सैकडा से अधिक मरीज

प्रतिदिन इलाज
के लिए पहुंचते दो सैकडा मरीज
कोतमा अस्पताल
मे प्रतिदिन नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रो से उल्टी-दस्त व मौसमी बीमारियों
के लगभग 200 मरीज से अधिक मरीज उपचार कराने पहुंचते
है। जिनमें 15 से 20 मरीजो को अस्पताल मे भर्ती किया जाता है, लेकिन संसाधनो व डॉक्टरो की कमी के कारण उन्हे गुणवत्तापूर्ण उपचार कराना पडता
है। गौरतलब है की कोतमा विधानसभा अंतर्गत आने वाले 153 ग्राम की लगभग 2 लाख की आबादी होने के
बावजूद उन्हे गुणवत्ता युक्त उपचार के लिए भटकना पड़ता है।
नए भवन मे नही
है सुविधा
सामुदायिक
स्वास्थ्य केन्द्र कोतमा में के नए भवन मे 30 बिस्तरो का अस्पताल है, मगर यहां पर वर्तमान
मे 20 बिस्तर से ही काम चलाया जा रहा है। वही
मरीज की संख्या बढने पर उन्हे बरामदे व जमीन पर लेटाकर उपचार किया जाता है। इतना
ही नही अस्पताल का शौचालय की स्थिति भी जर्जर है। सफाई के नाम से ठेकेदार को
बकायदे ठेका दिया गया है उसके बावजूद भी अस्पताल परिसर मे जगह-जगह गंदगी व दिवालो
पर जाले लगे हुए है। नए भवन मे कई जगह से दरारे भी आ गई है।
डॉक्टर नही पद
कई स्वीकृत
कोतमा
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मे 10 चिकित्सको के पद
स्वीकृत है, इन 10 डॉक्टरो में विशेषज्ञ चिकित्सक व महिला चिकित्सको के पद भी शामिल है, जिसमे चार सहायक शल्य चिकित्सक दो पीजीएमओ दो विषेशज्ञ, शिशु रोग तथा स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक पद निश्चेतना मेडीसीन, एक महिला चिकित्सक का
है, लेकिन यहां पर डाक्टरो की कमी लगातार
कमी बनी हुई है। स्वास्थ्य केन्द्र कोतमा अंतर्गत 7 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आते है और सभी सातो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र
मे चिकित्सक पदस्थ है, जिनके सेवाओ का लाभ आम
जनता को मिल रहा है, किन्तु कुछ ग्रामीण
विरोधी मानसिकता के अधिकारी इन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो मे पदस्थ स्वास्थ्य
कर्मचारियो को निहित स्वार्थो के कारण अन्यत्र संलग्न कर दिए है जिसके कारण मरीजो
व ग्रामीणो को वह लाभ नही मिल पाता है।
कई लापरवाही के
मामले आए सामने
समुदायिक
स्वास्थ्य केन्द्र में जब गंभाीर मरीजों का उपचार के लिए अस्पताल ले जाया जाता है
तो जिस डाक्टर की डियृटी रहती है वे अस्पताल से नदारत रहते है। जहां कोतमा क्षेत्र
सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रो से इलाज कराने पहुंचने वाले मरीज उपचार कराने
भटकते रहते है और मजबूर होकर झोलाछाप डॉक्टरो का सहारा लेते हुए अपने जीवन से
खिलवाड करने को मजबूर रहते है।
रेफर के भरोसे
सामुदायिक के
कोतमा
स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है कोतमा क्षेत्र में मरीजो को स्वास्थ्य
सुविधा का लाभ नही मिल पा रहा है यहां पर रेफर व्यवस्था पर स्वास्थ्य सुविधा
निर्भर है मरीज आने के पूर्व ही रेफर पेपर तैयार रखा जाता है मरीज आने पर एकाद
इंजेक्शन लगाकर उसका नाम गांव पूछकर रेफर पेपर मे लिखकर थमा दिया जाता है और
कर्तव्यों की इतिश्री कर ली जाती है।
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