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शुक्रवार, 4 मई 2018

जनजातीय समुदाय को वेक्टर बोर्न डिजिज से बचाने की आवश्यकता

इंगांराजवि में आयोजित हुआ दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार
                                 अनूपपुर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक के फार्मे
सी विभाग के तत्वावधान में 'इंडियन ट्राइबल मेडिसिनल प्लांट्स रिसर्च-चैलेंजेज एंड प्रोसपेक्ट्स विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार आयोजित किया गया। इसमें विशेषज्ञों ने जनजातीय समुदाय के पास प्रचुर मात्रा में उपलब्ध औषधीय ज्ञान को संरक्षित करते हुए इसे आम लोगों तक पहुंचाने का आह्वान किया। इस अवसर पर जनजातीय समुदाय में वेक्टर बोर्न डिजिज की ब$ढती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए व्यापक रूपरेखा बनाने पर जोर दिया गया। सेमीनार का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्राइबल हैल्थ जबलपुर के निदेशक डॉ.ए.दास ने जनजातीय समुदाय में वेक्टर बोर्न डिजिज पर व्यापक प्रकाश डालते हुए प्रमुख रूप से मलेरिया के बारे में चर्चा की। उनका कहना था कि मलेरिया की रोकथाम के लिए पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध है जिनके बारे में जागरूकता बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। डिवीजन ऑफ सोशल साइंसेज एंड एथनोमेडिसिन, आईसीएमआर जबलपुर के वैज्ञानिक डॉ.निशांत सक्सेना ने एथनोमेडिसिन और जनजातीय समुदाय के बारे में जानकारी प्रदान की। डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के डॉ.हेमंत कुमार शर्मा ने जनजातीय समुदाय के पास उपलब्ध औषधीय ज्ञान पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में कुलसचिव प्रो.किशोर गायकवा$, परीक्षा नियंत्रक प्रो.बसवराज पी.डोनूर, डीन प्रो.एन.एस.हरीनारायण मूर्ति,वित्त अधिकारी सीएमए ए. जेना आदि ने भाग लिया। दो दिवसीय सेमीनार में डॉ.ई.मनीवनान, देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय, इंदौर, प्रो.नवीन कुमार शर्मा, डीन (साइंस) आईजीएनटीयू, डॉ. टी.नरेंद्र, सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ, डॉ.चारू अरो$डा,गुरू घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर,डॉ. टी.श्रीनिवासन, आईजीएनटीयू आदि ने भी विचार व्यक्त किए।



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