अनूपपुर। ग्रामीणों को
जैविक खाद् के माध्यम से खेती के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इंदिरा
गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक के पर्यावरण विज्ञान विभाग की ओर
से एक पहल की गई है। इसके अंतर्गत विभाग के शिक्षक और छात्र ग्रामीणों को घर से
निकलने वाले जैविक पदार्थों को एकत्रित कर उसे खाद् में बदलने का प्रशिक्षण दे रहे
हैं। इस खाद् को बाद में फलों की खेती में प्रयोग किया जा सकेगा। देश में कार्बनिक
खाद् से पैदा होने वाले उत्पादों के ब$ढते बाजार को देखते हुए यह पहल की गई है। कुलपति प्रो.टी.वी.कटटीमनी के
निर्देशन में पर्यावरण विभागाध्यक्ष डॉ.तरूण कुमार ठाकुर, डॉ. संदीप कौशिक और डॉ.पल्लवी दास ने 'रिचिंग द अनरिच्डÓ कार्यक्रम शुरू किया
है। इसके अंतर्गत लालपुर के कई भागों में गड्ढे बनाकर उसमें घर से निकलने वाले
खाद्य पदार्थों,छिलकों, खराब फलों इत्यादि को डाल दिया जाता है। यह गड्ढे छात्रों द्वारा वैज्ञानिक
विधि से तैयार किए गए हैं जिनमें एकत्रित पदार्थों को कार्बनिक खाद् बनाया जा रहा
है। प्रो.ठाकुर ने बताया कि ग्राम पंचायत के सहयोग से बनाए गए इन गड्ढों में भरी
कार्बनिक खाद् का निरंतर साप्ताहिक परीक्षण किया जाता है। दूसरे चरण में ग्रामीणों
को अमरूद, अनार और आम के उन्नत पौधों को इन गड्ढों
में बोने के लिए दिया जाएगा। जिससे आने वाले समय में खेती के साथ फलदार वृक्षों से
भी ग्रामीणों और किसानों की आमदनी बढ सके।
विभाग ने 'स्वच्छ भारत समर इंटर्नफिप प्रोग्राम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। इसके अंतर्गत दो क्रेडिट के
प्रोग्राम में छात्रों को स्वच्छ भारत अभियान की विभिन्न योजनाओं पर ग्रामीण
क्षेत्रों में कार्य करना होगा। सामुदायिक सेवा के इस कार्यक्रम की अवधि 100 घंटे की होगी जिसके
अंत में छात्रों को सर्टिफिकेट प्रदान किए जाएंगे। इसमें प्रमुख रूप से छात्रों को
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता बढाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। विभाग इस
प्रकार की सामुदायिक सेवाओं में पहले से ही कार्यरत है। अब प्रयास किया जा रहा है
कि इसे शैक्षणिक पाठ्यक्रम का अभिन्न भाग बना लिया जाए।
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