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बुधवार, 9 मई 2018

जल ही जीवन जल सा जीवन, जल्दी ही जल जाओगे,



अगर न बची जल की बूंदें, कैसे प्यास बुझाओगे।
अनूपपुर नदियों का सूखना निश्चित रूप से चिंता का विषय है। खासकर वे नदियां, जिनके जीवन का आधार जलस्रोत हैं।नदियों के जल स्तर में चिंताजनक ढंग से गिरावट आई है। इस सबका नतीजा ये हुआ कि राज्य पेयजल संकट से जूझ रहा हैं। विकास की अंधि दौड़ में जीवनदायिनी नदियों की अनदेखी की गई। सड़क बनी तो नदियों को जीवन देने वाले स्रोत ही खत्म हो गए तो कहीं जलसमेट क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) तबाह कर दिए गए। अनियोजित विकास ने स्रोत तो खत्म किए, मगर इन्हें जीवनदान देने को गंभीरता से प्रयास नहीं किए गए। ऐसे में नदियां सूखती नहीं तो क्या होता। राज्य सरकार की नदियों को पुनर्जीवन की पहल उम्मीद जगाती है।
जन अभियान परिषद द्वारा आयोजित 15 दिवसीय कार्यक्रम नदी संरक्षण एवं पुनर्जीवन के तहत राज्य के तहसील स्तर पर एक-एक नदी अथवा बरसाती नाले के संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लिए चुना गया है। नवांकुर संस्था, प्रस्फुटन समिति, सी एम सी एल डी पी के छात्र एवं ग्रामीण जनों की सहभागिता से जिले के जैतहरी विकास खंड में ग्राम खुरसा (भेलमा) से उद्गमित नदी हँसिया में श्रमदान कर नदी के संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लिए कार्यरत है। सोन शिव सेवा संस्था अध्यक्ष देवेन्द्र पांडेय एवं सचिव दिलीप शर्मा के संस्था अनुसार प्राकृतिक सम्पदाओं के संरक्षण एवं उनके पुनर्जीवन के पक्ष में सदैव कार्यरत रहा है। जन अभियान परिषद द्वारा चयनित जिले के जैतहरी विकास खंड में ग्राम खुरसा (भेलमा) से उद्गमित नदी हँसिया नदी जिसकी लंबाई लगभग 23 कि. मी. और चौड़ाई 20 मी. है। नदी अनेक गांवों से होते हुए जैतहरी के पास तूफान नदी में मिलती है। जिसमे सेवा संस्था जन अभियान के 15 दिवसीय कार्यक्रम नदी संरक्षण एवं पुनर्जीवन में गामीण जनो की सहभागिता से 6 से 25 मई तक श्रमदान कर नदियों के पुनर्जीवन हेतु कार्यरत है।

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