सम्भाग की सबसे बड़ी जेल,१ महिला वार्ड सहित ६ वार्ड की व्यवस्था
अनूपपुर। जेल बिल्डिंग के अभाव में पिछले १५ वर्षो से अनूपपुर जिले से शहडोल जेल परिसर का चक्कर काट रहे सैकड़ो कैदियों सहित दर्जनभर पुलिस जवानों को अब शहडोल जेल परिसर के चक्कर नहीं काटने होंगे। जिले के कैदियों को निर्धारित समय पर न्यायालय और परिजनों से मुलाकात की सुविधा के उद्देश्य से वर्ष २००७-०८ से जिला मुख्यालय के बैरीबांध गांव में निर्माणाधीन जेल बिल्डिंग आखिरकार १० वर्षो बाद कैदियों के रखने के लिए पूर्ण रूप से तैयार खड़ी हो गई है। जिसके १७ मई से विविधत शुभारम्भ होने की सम्भावना जताई जाती है। अनुमान है कि अनूपपुर जेल बिल्डिंग के आरम्भ से शासन को प्रतिमाह लगभग ३ लाख रूपए से अधिक की भी बचत होगी। जबकि ५.९९ हेक्टेयर भूमि में बना अनूपपुर जेल बिल्डिंग शहडोल सम्भाग स्तर पर सबसे बड़े विस्तारित जेल परिसरों में एक होगा, जहां २३ अधिकारी-कर्मचारी आवासीय कमरे सहित ५ पुरूष वार्ड तथा १ महिला वार्ड की व्यवस्था होगी। इसके अलावा परिसर में १ किचन वार्ड, अनाज भंडारण के लिए १ भंडार कक्ष, प्रशासनिक भवन तथा हथियार रखने का बैरक कक्ष, कैदियों से मुलाकात के लिए विशेष परिसर, जेल परिसर में ड्यूटी के दौरान सुरक्षा गार्डो के ठहरने के परिसर सहित ६ बिस्तरों वाला विशेष अस्पाल बनाया गया है। वहीं कैदियों की सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर जेल परिसर के चारों ओर १४ फीट उंची कंक्रीट की दीवार खड़ी गई है। हालंाकि शासन ने २६ अप्रैल को पत्र जारी करते हुए जेलर के रूप में रविशंकर सिंह जेलर को अनूपपुर जेल लिए पदस्थ किया गया है। लेकिन विधिवत रूप में आगामी १७ मई के उपरांत यह जेल बिल्डिंग कैदियों के संरक्षण में लाया जा सकेगा।
विदित हो कि अबतक जिले के विचाराधीन कैदियों सहित सामान्य अपराधों में सजायफ्ता कैदियों को शहडोल और बुढार जेल परिसरों में रखा जाता है। जहां प्रतिदिन न्यायालीयन प्रक्रियाओं में जिला सत्र न्यायालय अनूपपुर, अपर सत्र कोतमा, तथा अपर सत्र पुष्पराजगढ़ की पेशी में कैदियों को प्रतिदिन वाहनों से शहडोल से अनूपपुर और अनूपपुर से शहडोल आवाजाही करनी पड़ती है। जबकि शहडोल जेल की क्षमता २०० कैदियों की बनाइ गई है। लेकिन अनूपपुर जिले में जेल नहीं होने के कारण वहां २०० की जगह ४०० कैदियों को रखा जा रहा था। वहीं शहडोल से अनूपपुर आने के दौरान कभी वाहनों की तकनीकी खामियों के कारण न्यायालय में कैदियों की समय पर पेशी नहीं हो पाती थी। इसके अलावा प्रतिदिन अनूपपुर के तीनों न्यायालय से शहडोल और अनूपपुर की आवाजाही लगभग १५० किलोमीटर की तय करना कैदियों सहित पुलिस जवानों के लिए परेशानी का सबब था। जिसमें कैदियों की सुरक्षा में अतिरिक्त पुलिस बलों की व्यवस्था बनाने के साथ वाहनों के परिवहन पर खर्च भी करना पड़ता था। लेकिन अब इस झंझटों से कैदियों व जवानों को मुक्ति मिल जाएगी।
निर्माण में लग गए १० साल
यह आश्चर्य की बात है कि जेल बिल्डिंग निर्माण में शासन को १० साल लग गए। वर्ष २००७-०८ के दौरान प्रस्तावित ४ करोड़ २० लाख की लागत से बिल्डिंग का निर्माण आरम्भ किया गया था। जिसे दो सालों में तैयार किए जाने थे। लेकिन इसी दौरान शासन से कम राशियां मिलने पर निर्माण कार्य अटक गया। वहीं बाद में दो नए टेंडर जारी करते हुए आखिरकार ६ करोड़ ५४ लाख ३० हजार में यह जेल बिल्डिंग अब पूर्ण हो सकी है।
वैष्णव शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनूपपुर।

विदित हो कि अबतक जिले के विचाराधीन कैदियों सहित सामान्य अपराधों में सजायफ्ता कैदियों को शहडोल और बुढार जेल परिसरों में रखा जाता है। जहां प्रतिदिन न्यायालीयन प्रक्रियाओं में जिला सत्र न्यायालय अनूपपुर, अपर सत्र कोतमा, तथा अपर सत्र पुष्पराजगढ़ की पेशी में कैदियों को प्रतिदिन वाहनों से शहडोल से अनूपपुर और अनूपपुर से शहडोल आवाजाही करनी पड़ती है। जबकि शहडोल जेल की क्षमता २०० कैदियों की बनाइ गई है। लेकिन अनूपपुर जिले में जेल नहीं होने के कारण वहां २०० की जगह ४०० कैदियों को रखा जा रहा था। वहीं शहडोल से अनूपपुर आने के दौरान कभी वाहनों की तकनीकी खामियों के कारण न्यायालय में कैदियों की समय पर पेशी नहीं हो पाती थी। इसके अलावा प्रतिदिन अनूपपुर के तीनों न्यायालय से शहडोल और अनूपपुर की आवाजाही लगभग १५० किलोमीटर की तय करना कैदियों सहित पुलिस जवानों के लिए परेशानी का सबब था। जिसमें कैदियों की सुरक्षा में अतिरिक्त पुलिस बलों की व्यवस्था बनाने के साथ वाहनों के परिवहन पर खर्च भी करना पड़ता था। लेकिन अब इस झंझटों से कैदियों व जवानों को मुक्ति मिल जाएगी।
निर्माण में लग गए १० साल
यह आश्चर्य की बात है कि जेल बिल्डिंग निर्माण में शासन को १० साल लग गए। वर्ष २००७-०८ के दौरान प्रस्तावित ४ करोड़ २० लाख की लागत से बिल्डिंग का निर्माण आरम्भ किया गया था। जिसे दो सालों में तैयार किए जाने थे। लेकिन इसी दौरान शासन से कम राशियां मिलने पर निर्माण कार्य अटक गया। वहीं बाद में दो नए टेंडर जारी करते हुए आखिरकार ६ करोड़ ५४ लाख ३० हजार में यह जेल बिल्डिंग अब पूर्ण हो सकी है।
इनका कहना है
जिले में जेल की कमी थी, जेल बिल्डिंग की उपलब्धता से कैदियों और जवानों को अब शहडोल जेल नहीं जाना होगा। कैदियों के परिवहन में शासन के उपर आने वाले अतिरिक्ति खर्च को भी कम किया जा सकेगा। इसके अलावा कैदियों को सुरक्षित न्यायालय तक पहुंचाया जा सकेगा। यही जिले के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।वैष्णव शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनूपपुर।
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