अनूपपुर। ईसाई धर्म के लोगों का यह त्योहार ईस्टर संडे से ठीक पहले वाले मनायें जाने वाला त्योहार हैं। इस दिन समाज के लोग गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना कर शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है इसलिए इस दिन गिरजाघरों में घंटा न बजाकर लकड़ी के खटखटे बजाए जाते हैं। लोग चर्च में क्रॉस चूमकर यीशु का स्मरण कर दान-धर्म करतेें हैं।
पूरे जिले सहित जिला मुख्यालय में ईसाई धर्मालंबियों ने शुक्रवार 2 अप्रैल को गुड फ्राइडे का त्योहार मनाया। लोगों उपवास रखते हुए गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना की शोक दिवस के रूप में मनाने के कारण गिरजाघरों में घंटा न बजाकर लकड़ी के खटखटे बजाए लोग चर्च में क्रॉस चूमकर यीशु का स्मरण कर गरीबो को दान दिया और धर्म के कार्य किए।
ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे और फिर ईस्टर का बहुत महत्व है। यह दिन बेहद पवित्र माना गया हैं। ईसाई धर्म को मानने वाले गिरजाघरों में जाते हैं यीशु को याद करते हैं। माना जाता है कि इस दिन यीशु को सूली पर चढ़ाया गया वो यही शुक्रवार था। इसे गुड फ्राइडे इसलिए कहते हैं कि उन्होंने इंसानों के लिए आत्म-बलिदान देकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया था। कई जगहों पर पवित्र या महान फ्राइडे या ब्लैक फ्राइडे भी कहने की परंपरा है।
कहा जाता है कि लगभग दो हजार साल पहले यरुशलमके गैलिली प्रांत में ईसा मसीह, लोगों को मानवता, एकता और अहिंसा का उपदेश देकर अच्छाई की राह पर चलने के लिए प्रेरित कर रहे थे। लोग उन्हें ईश्वर मानने लगे थे और उनके दिखाए रास्ते पर चल रहे थे। इसी वजह से धार्मिक अंधविश्वास करने वाले कुछ लोग उनसे चिढऩे लगे और उन्होंने ईसा मसीह पर धर्म अवमानना और राजद्रोह का आरोप लगा दिया। रोम के शासक पितालुस से उनकी शिकायत की गई और कहा गया कि वो खुद को ईश्वर का पुत्र बताकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। पितालुस ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। यीशू के सिर पर कांटों का ताज पहनाकर उन्हें चाबुक से मारा गया और उन्हें कीलों के सहारे लटका दिया गया।
धर्म अवमानना और राजद्रोह के आरोप में यीशू को गोलगोथा नाम की सूली पर चढ़ा दिया गया, जिससे उनकी मौत हो गई। ईसाई धर्म के लोग इसे बहुत ही पवित्र समय मानते हैं। और बलिदान को याद कर उपवास रखते हैं। चर्च में उनके जीवन के आखिरी पलों को दोहराया जाता है और लोगों की सेवा की जाती है। हर साल गुड फ्राइडे के मौके पर ईसाई धर्म के लोग यीशू के बलिदान को याद करते हैं और इस दिन लोगों की सेवा करते हैं। विषेश प्रर्थना सभा में पास्टर विक्टर, एस टी रावलकर, एनोस, अमिता रावलकर, आमोस, रुथ रावलकर,नीना खेस, रिचर्ड रेगी राव, जॉन रावलकर, हनूक लाल, अरुणिमा लाल, राजेश भिसे, राजेस्वरी भिसे,चांद भिसे,विलियम,विजय रावलकर, जेनेट राव सहित अन्य शामिल रहें।
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