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मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

वेल्स्पन को विद्युत उत्पादन हेतु 1300 एकड़ भूमि अधिग्रहण,नौ साल बाद भी बंजर पड़ा स्थान



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गांव के 243 किसानों से कंपनी ने किया था भू-अर्जन,1320 मेगावाट क्षमता होता विद्युत उत्पादन

अनूपपुर। नौ वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार ने विद्युत परियोजना के लिए कोतमा जनपद पंचायत के पांच गांवों के ग्रामीणों के लिए रोजगार के लिए को वर्ष 2012 में 1320 मेगावाट विद्युत क्षमता के पावर प्लांट स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण कर वेल्स्पन पावर एनर्जी सौंपा। जिससे ग्राम पंचायत मंटोलिया के ग्राम उमरदा में प्रस्तावित पावर एनर्जी प्रारभ्भ हो सकें। इसके लिए 5 गांव के किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी। लेकिन 9 वर्ष बीतने के बाद भी अब तक प्लांट की न तो बिल्डिंग ही बन सकी और ना ही संयंत्र स्थापित हो सके है। जमीन अधिग्रण के दौरान कंपनी ने परिसर की सुरक्षा के लिए बाउंड्रीबॉल को खड़ा किया था। लेकिन अब ये बाउंड्रीबॉल भी जगह जगह से क्षतिग्रस्त होकर धराशायी होने लगे हैं।

प्लांट स्थापना के बाद ग्रामीणों में बड़ी रोजगार की आस जगी थी, जिसमें जिले में उद्योग के साथ रोजगार के भी अवसर नजर आ रहे थे। लेकिन इस आस के नौ साल बीत गए। इस परियोजना से प्रभावित किसानों की माली हालत होकर बिगड़ती जा रही है। जिसको लेकर प्रशासन के द्वारा भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बताया जाता है कि वेलस्पन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा कोतमा जनपद के ग्राम मझौली, मनटोलिया, छतई, उमरदा, तरसिली के 243 किसानों से1300 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था। जिसमें कंपनी द्वारा 660-660 की दो यूनिट स्थापित करते हुए 1320 मेगावाट क्षमता की बिजली उत्पादित की जाती। भूमि अधिग्रहण को 9 वर्ष बीत चुके हैं। बताया जाता है कि वर्ष 2012 में पर्यावरण अनुमति मिलने के बाद कंपनी के द्वारा पावर प्लांट स्थापना के नाम पर सिर्फ अधिग्रहित भूमि का बाउंड्रीवॉल किया गया है।

मुआवजा राशि खत्म अब कैसे हो गुजारा

ग्राम छतई के किसान राम प्रकाश केवट ने बताया कि भूमि अधिग्रहण में मिली मुआवजा सभी किसानों के पास खत्म हो चुकी है। और रोजगार न मिलने से किसानों के भूखों मरने की स्थिति निर्मित हो चुकी है। भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसान छतई निवासी गेंदालाल केवट बताते हैं कि पिछले 9 वर्ष से स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा अधिकारियों से रोजगार दिलाने तथा कंपनी प्रारंभ किए जाने की मांग को लेकर विनती कर चुके हैं। लेकिन अब तक किसी के द्वारा इस संबंध में कोई सहायता नहीं की गई है। जब कभी कंपनी के अधिकारी आते हैं तो उनके द्वारा यह कहा जाता है कि अभी कोल ब्लॉक का आवंटन नहीं हुआ है यह कहते हुए 9 वर्ष का समय बीत चुका है।

बॉक्स: कोल ब्लॉक के आवंटन के बाद जगी थी उम्मीद

वर्ष 2016 के दौरान कंपनी को कोल आवंटन की अनुमति मिल गई थी, जिसके बाद कंपनी के अधिकारियों ने जल्द ही उद्योग को स्थापित करने ग्रामीणों और प्रशासन को आश्वासन दिया था। लेकिन इसके बाद पुन: कंपनी उद्योग स्थापित से अचानक गायब हो गई। माना जाता है कि अगर यहां पावर प्लांट स्थापित होता तो हजारों युवाओं व ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिलते।

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