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शुक्रवार, 1 जून 2018

प्रभावित किसानो ने रोजगार के लिए दो गुट आमने-सामने

एक दूसरे पर लगाया आरोप, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
अनूपपुर एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र अंतर्गत आमाडांड खुली खदान में प्रभावित किसानो को रोजगार प्रदान किए जाने के संबंध में किसानो के गुटो ने 1 जून को संयुक्त कलेक्टर पहुंच रोजगार संबंधी अपनी-अपनी समस्या को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। वहीं ज्ञापन में एक गुट में पूर्व विधायक के साथ पहुंचे किसानो ने एसईसीएल प्रबंधन व कृषको एवं तहसीलदार के बीच ग्राम कुहका में हुए समझौते के अनुसार रोजगार देने की कार्यवाही तथा वर्ष 2019 के नियम को वर्ष 2009 के समझौते पर लागू न किए जाने व रोजगार से वंचित लोगो को रोजगार देते हुए वर्ष 2009 से लेकर 2018 तक की फसल नुकसान व रोजगार क्षतिपूर्ति दिलाने की मांग की गई तो दूसरे गुट ने आमाडांड खुली खदान परियोजना से प्रभावित ग्राम निमहा की रोजगार प्रदान करने की कार्यवाही में राजनैतिक व्यक्तियो द्वारा हस्तक्षेप कर बाधा डालने एवं ग्राम पंचायत में अशांति एवं कानून व्यवस्था बिगाडने के साथ ग्राम निमहा में बाहरी व्यक्तियो द्वारा फर्जी ज्ञापन देकर प्रशासन को भ्रमित करने का आरोप लगाया है।
ग्राम कुहका में हुए समझौते अनुसार कार्यवाही की मांग
पूर्व विधायक दिलीप जायसवाल के प्रतिनिधित्व में कलेक्ट्रेट पहुंचे सैकडो किसानो ने कलेक्टर को ज्ञापन के माध्यम से बताया कि आमाडांड खुली खदान परियोजना से प्रभावित समस्त किसानो, कास्तकारों व एसईसीएल प्रबंधन व कलेक्टर की ओर से तहसीलदार की उपस्थिति में ग्राम कुहका में विस्तार से दोनो पक्षो की बीच रोजगार को लेकर चर्चा हुई। जिसमें कोतमा प्रबंधन के सुझाव अनुरूप दो एकड़ के समूह पर रोजगार देने की बात पर सहमति बनी, बैठक के पश्चात संक्षिप्त पत्र तैयार कर प्रबंधन प्रतिनिधि, ग्राम पंचायत, सरपंच, सचिव व प्रशासन की ओर से तहसीलदार ने संयुक्त रूप से सहमति पत्र में हस्ताक्षर कर पत्र तैयार किया। तथा एसईसीएल प्रबंधन द्वारा उपरोक्त समझौते के अनुसार रोजगार की कार्यवाही की गई, जिसमें ५१६ लोग रोजगार प्राप्त किए।
एसईसीएल प्रबंधन पर लगाया आरोप
ज्ञापन के माध्यम से बताया गया कि जमुना कोतमा प्रबंधन द्वारा कुछ कृषको के साथ सांठ-गांठ कर आगे किसानो को रोजगार न देना पड़े इसके लिए उन्होने कुछ कृषकों को आर्थिक मदद दे कर न्यायालय भेजा, न्यायालय में केश दर्ज होने के बाद रोजगार देने की प्रक्रिया बंद कर दी गई। जब लोग एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर में रोजगार प्राप्त करने हेतु अपनी शिकायत दर्ज कराने लगे तब एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर ने जमुना कोतमा क्षेत्र से रोजगार देने में विलंब का कारण पूछा जिस पर जमुना कोतमा क्षेत्र ने न्यायालय का हवाला दिया जिस पर एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर के डायरेक्टर पर्शनल राधेश्याम ङ्क्षसह ने श्रम शक्ति महाप्रबंधक बिलासपुर को पत्र के माध्यम से आमाडांड, छाल, अमगांव, अमेरा, दामिनी परियोजनाओ में म.प्र. पुर्नावास नीति को मानते हुए विशेष दो एकड़ पैकेज के तहत रोजगार की स्वीकृति प्रदान की गई। लेकिन एसईसीएल ने अनदेखी करते हुए रोजगार देने पर रोक लगा दी।
दूसरे गुट ने बाहरी व्यक्तियो का बताया हस्तक्षेप
वहीं आमाडांड खुली खदान परियोजना से प्रभावित दूसरे गुट में पहुंचे किसान जिन्हे कॉलरी समर्थक माने जा रहे है, जिन्होने अपने ज्ञापन के माध्यम से प्रभावित ग्राम निमहरा की रोजगार प्रदान करने की कार्यवाही में बाहरी एवं राजनैतिक व्यक्तियों द्वारा हस्तक्षेप कर बाधा डालने एवं ग्राम पंचायत में अशांति फैला फर्जी ज्ञापन देकर प्रशासन को भ्रमित करने का आरोप लगाया है। ज्ञापन के माध्यम से बताया कि उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा पारित आदेश २५ जनवरी २०१८ रिट पिटीशन क्रमांक ७९६८/०९ (कोमल बनाम कोल इंडिया वगैरह) के परिपालन में जिला स्तरीय पुनर्वास समिति की बैठक की कार्यवाही विधिवत सूचना देकर

१५ मई २०१८ को ग्राम पंचायत परिसर निमहा में एसडीएम कोतमा की अध्यक्षता में आयोजित हुई जिसमें ग्राम निमहा के प्रभावित भू-स्वामी भाग लेकर कार्यवाही में सहयोग प्रदान किए इसी दौरान कतिपय बाहरी तत्वो द्वारा कार्यवाही में बाधा डालते हुए मारपीट करने की नियत से मंच को घेरकर अशांति फैलाई गई जहां मौके पर उपस्थित एसडीओपी कोतमा द्वारा नियंत्रित किया गया और बैठक में किसी तरह का निर्णय नही हो पाया।
असामाजिक तत्व जिला प्रशासन को कर रहे गुमराह

ज्ञापन में किसानो ने बताया कि ग्राम पंचायत निमहा के प्रतिनिधियो एवं भू-स्वामियों की बैठक 27 मई 2018 को एसडीएम कोतमा की अध्यक्षता में पुन: आयोजित की गई जिसमें ग्राम निमहा में रोजगार की कार्यवाही कोल इंडिया पुनर्वास नीति 2012 के तहत घटते क्रम में की जाए साथ ही म.प्र. पुनर्वास नीति के तहत २ एकड से कम भूमि धारको को रोजगार प्रदान किया जाए। लेकिन ग्राम निमहा से बाहर निवास करने वाले कुछ आसामजिक तत्व जिला प्रशासन को गुमराह करने हेतु एक ज्ञापन सौंपा गया जिसमें एसडीएम कोतमा की कार्यवाही को बंद कमरे में करने का आरोप लगाते हुए कॉलरी प्रबंधन के अधिकारियो को भी आरोपित किया गया है। इतना ही ग्राम निमहा में विगत कुछ वर्षो से बाहरी आसामजिक तत्व अपने आप को ग्राम निमहा का निवासी बताकर खदान बंद करने व विवाद की स्थिति निर्मित कर कानून व्यवस्था खराब कर रहे है। वहीं पूर्व में सौपे गए ज्ञापन में बने हस्ताक्षरो का अवलोकन करने की बात कही है जिसमे कोई भी व्यक्ति ग्राम निमहा निवासी नही है जिसका भौतिक सत्यापन मतदाता सूचि से कराया जा सकता है। 

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