उक्त बातों को वास्तविकता के धरातल में जनपद पुष्पराजगढ़ की यह घटना प्रदर्शित
करती है। ग्राम पिपरहा की रहने वाली युवती मोहिनी का विवाह ग्राम भेजरी के हेमरज
सिंह के साथ होना तय हुआ था। मोहिनी के घर में शौचालय बना हुआ है व परिवार के सभी
सदस्यों के द्वारा उसका उपयोग भी किया जाता है। मोहिनी के घर के सदस्यों को शौचालय
के उपयोग का महत्व पता है। शादी की तैयारिया प्रारम्भ हो चुकी थी। जैसा की भारतीय
शादियों में होता है दोनों पक्षों की तरफ से सभी व्यवस्थाओं के लिए आवश्यक संसाधन
जुटा लिये गए थे। तभी मोहिनी को इस बात का पता चला कि उसके ससुराल में शौचालय नहीं
है। इस बात का भान होते ही मोहिनी विचलित हो गयी और उसने समझदारी दिखाते हुए अपनी
होने वाली सास संता बाई को फोन किया। मोहिनी ने कहा माँजी जिस सामाजिक मर्यादा के
लिए,संस्कारों के
लिए इतने ससाधनों का खर्च हम विवाह में करते हैं, अगर घर में शौचालय नही रहेगा तो मर्यादा कैसे
सुरक्षित रहेगी। ये सारी सुविधा एंव इस कमी के कारण बेमानी हो जाएंगी। मोहिनी की
इस समझाईश को संता ने बडप्पन का परिचय देते हुए अपनी सहमतभी दी।
संता बाई ने नए मेहमान के आगमन मे स्वयं कुदाल उठाली और प्रण लिया अब शौचालय
निर्माण के बाद ही मोहिनी को घर लाएँगे। संताबाई के पति और मोहिनी के ससुर हत्तू
प्रसाद एवं मोहिनी के होने वाले पति हेमराज भी इस कार्य में जुट गए हैं। अगर समाज
की हर माँ-बेटी,मोहिनी और संता
बाई जैसी हो जाए तो स्वच्छ भारत का स्वप्न एक हकीकत बन जाएगा। समाज में सम्मान की
अवधारणा को परिभाषित किया है संताबाई और मोहिनी ने। कलेक्टर अनुग्रहपी एवं मुख्य
कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत डॉ सलोनी सिडाना ने मोहिनी के साहस एवं संताबाई की
समझ की सराहना की है और कहा है जिले के समस्त नागरिक इनका अनुकरण करें।
हिदुस्थान समाचार/राजेश
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें