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शनिवार, 2 जून 2018

बच्चों के किलकारियों से गुंजने वाला पार्क अब हो चुका खामोश,लाखों के फलदार पौधे सूखे

देखरेख के अभाव में पसरा है सन्नाटा
अनूपपुर जिला मुख्यालय में बच्चो के मनोरंजन व उनके खेलने के लिए वर्ष 2014 में वार्ड क्रमांक 2 में लगभग 25 लाख की लागत से पार्क निर्माण कराया गया था, जहां बच्चो को इस ओर आकर्षित करने के लिए पार्क के बाउन्ड्रीवॉल में आदिवासी लोक कला संस्कृति के चित्र उकेरी गई थी। लेकिन बिना देखरेख व अधिकारियों की उदासीनता के कारण फलदार पौधें पानी के अभाव में सुख चुके है। मैदान की सौन्दर्यता नष्ट होकर भूमि बंजर हो चली है। वहीं लोगों के बैठने के लिए बिछाई गई विशेष घास का भी नामोनिशान नहीं बचा है। जनभागीदारी व जिला प्रशासन की सहभागिता से निर्मित किए जिला मुख्यालय के पार्क में सौन्दर्यीकरण के लिए नगर पालिका ने छत्तीसगढ़ और प्रदेश के अन्य जगहो से पॉम, गुलमोहर, नारियल, नींबू, नीम, सुपारी सहित लगभग 300 फलदार पौधों को नपा द्वारा लगभग ३ लाख से अधिक राशि खर्च कर मंगवाए थे। जबकि पार्क में लोगो के बैठने के लिए विशेष घासों में भी लाखो खर्च किए गए लेकिन पार्क में लगाए गए पौधों में गुलमोहर, पॉम, नारियल सहित अन्य दो सैकड़ा से अधिक फलदार पौधे सूख चुके है। वहीं पार्क की सौदर्यता व पेड पौधो की सुरक्षा के लिए कोई ध्यान नही दिया गया जहां पानी की कमी के कारण पौधे सूख गए। वहीं पार्क को बेहतर बनाने नपा द्वारा दोबारा इस ओर कोई ध्यान नही दिया गया। जबकि पार्क की सुदंरता के लिए तत्कालीन कलेक्टर नंद कुमारम् के प्रयास से पुष्पराजगढ़ से ध्वस्त १२वीं सदी के कल्चुरीकालीन मंदिर को फिर से सहेजने के प्रयास पुरातत्व विभाग भोपाल और जबलपुर द्वारा किए गए। जहंा पार्क में मंदिर खड़ी हुई, लेकिन लोगों की पहुंच में अब सिर्फ धरोहर बनकर रह गई है। वहीं जो पार्क बच्चो के खेलो एवं मनोरंजन की चहल पहल से भरी होती थी वे आज पूरी तरह वीरान पडी हुई है।


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