अनूपपुर। एससीएसटी एक्ट के संशोधित
प्रारूप के विरोध में देश व्यापी बंद के आह्वन पर गुरूवार ६ सितम्बर को अनूपपुर जिले
में भी बंद का व्यापक असर दिखा। जिला मुख्यालय सहित कोतमा, चचाई,बिजुरी, जैतहरी, रामनगर, अमरकंटक,राजेन्द्रग्राम में बाजारें
पूरी तरह बंद रहे। बसों का परिचालन भी बंद रहा। ११ बजे तक जिले के समस्त पेट्रोल पम्प
तक बंद हो गए। इसके साथ ही हरद रेलवे स्टेशन में संगठनो द्वारा शहडोल-अम्बिकापुर यात्री
ट्रेन को १० मिनट तक स्टेशन में ही रोककर अपना विरोध जताया। वहीं बंद को सफल बनाने
अनूपपुर के साथ-साथ कोतमा, राजेन्द्रग्राम सहित अन्य क्षेत्रो से आए सवर्ण संगठनों की हजारो
की संख्या में लोग जिला मुख्यालय पहुंच इंदिरा तिराहा में एकत्रित होकर विशाल रैली
निकाली, जो कोतवाली चौराहा होते हुए कलेक्ट्रेट परिसर पहुंची। जहां राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर
अनुग्रह पी को ज्ञापन सौंपा।
५ सूत्री मांगो का सौंपा ज्ञापन
ज्ञापन में सपाक्स सहित अन्य संगठनों
ने ५ सूत्री मांगों को शामिल करते हुए भारत के संविधान के साथ छेड़छाड़ कर बहुसंख्यक
समाज का उपेक्षित कर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय व दिशा निर्देशों का उल्लघंन कर भारतीय
संसद द्वारा मनमाने तरीके से एट्रोसिटीज एक्ट को वापस लेने की अपील की साथ ही पांच
बिन्दुओं जिसमें एट्रोसिटीज एक्ट को सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार लागू करने,
सुको की गरिमा
को किसी भी प्रकार से राजनैतिक दलों के द्वारा मनमाने तौर पर कानून बनाकर प्रभावित
नहीं किए जाने, अन्य पिछड़ा वर्ग की भांति आरक्षण में अनुसूचित जनजाति के लिए
भी क्रीमीलेयर लागू करने, पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करने तथा आर्थिक आधार
पर आरक्षण की व्यवस्था लागू करने की बात शामिल की।
एक देश एक कानून की मांग
ज्ञापनकर्ताओं का कहना था कि देश
में एक देश एक कानून बनाया जाए एवं भारत सरकार द्वारा वर्ष १९८९ मेंं निर्मित अनुसूचित
जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत बनाए गए कानून का विगत कुछ वर्षो से
सभी राजनीतिक दलों द्वारा वोट की राजनीतिक की खातिर एवं शासन द्वारा दिए जा रहे मुआवजे
को लेकर इस एक्ट का दुरूपयोग किया जा रहा है।
इस सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए आजाक वर्ग के किसी व्यक्ति के द्वारा
शिकायत किए जाने पर पहले सबंधित शिकायत की जांच के बाद ही गिरफ्तारी की जाए। साथ ही
यह भी निर्देश दिया कि आरोपी व्यक्ति अग्रिम जमानत का लाभ भी प्राप्त कर सकता है। लेकिन
बाद में राजनीतिक दलों द्वारा सुको के निर्देशों को ही दरकिनार एट्रोसिटीज एक्ट में
संविधान के आधारभूत सिद्धांत के विपरीत निर्देश पारित कर दिए।
शांति व्यवस्था कायम रखने किया प्रशंसीय
कार्य
६ सितम्बर भारत बंद के आह्वान की
सूचना पर पुलिस अधीक्षक तिलक ङ्क्षसह द्वारा व्यापक तैयारी पहले से कर रखी थी,
जहां बालवा
ड्रील की सामग्री की तैयारी, व्यवस्थापको से बातचीत एवं सोशल मीडिया पर नजर,
यातायात सुरक्षा,
मोबाइल पेट्रोलिंग
पर नजर बनाए हुए थे। जहां जिले के चप्पे-चप्पे में पुलिस बल मौजूद रही। वहीं सवर्ण
संगठनो द्वारा भी अपना विरोध प्रदर्शन शांति पूर्ण तरीके से करते हुए कलेक्टर को ज्ञापन
सौप अपनी मांग रखी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें