बैंक ने झाड़ा पल्ला गोरखधंधे से अंजान प्रशासन
अनूपपुर। चिटफंड
कंपनी की आड़ में करोड़ों की ठगी करने के मामले में हाल के दिनों में दर्जनों आरोपियों
के गिर$फ्तार का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि मंगलवार की दोपहर जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर बैरीबांध की
दो दर्जन से अधिक महिलाओं ने लोन के नाम पर नामी-गिरामी बैंक तथा उनके उपक्रम में शामिल
फायनेंस कम्पनियों द्वारा लाखों की राशि खाते से गायब होने शिकायत लेकर कलेक्टर से
की। जिसमें महिलाओं ने आईडीबीआई की सहयोग माईक्रो फायनेंस, उत्कर्ष माइक्रो फायनेंस
प्रा. लिमिटेड जैसे संस्थानों के एजेंट द्वारा अबतक लोन के पैसे जमा लेने के उपरांत
उसे बैंकों में अबतक नहीं जमा करने की शिकायत की। महिलाओं का कहना था कि बैंक के एजेंट
गांव आते हैं, जहां गांव की समूह की महिलाओं को बुलाकर पैसे लेकर ऋण वितरण पुस्तिका में जमा जमा
होना दर्शाते हैं, लेकिन जब बैंक में उन खातों पर पैसे की जानकारी मांगी जाती है
तो बैंक प्रबंधक कोई भी पैसा जमा नहीं होने की बात कहते हैं। कलेक्टर ने मामले को गम्भीरत
से लेते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। वहंी महिलाओं के पास उपलब्ध बैंक के ऋण पुस्तिकाओं
में एजेंट के साथ साथ बैंक अधिकारियों के फर्जीवाड़े देखने में सामने आए हैं,
जहां बैंक द्वारा
जारी किए गए ऋण पुस्तिका विवरण सहित अन्य प्रमाण पत्रों में आधे- अधूरे नामों के साथ
साथ प्रमाण पत्रों में कहीं तिथि तो कहीं बिना समक्ष अधिकारी के हस्ताक्षर के सील लगाकर
हितग्राहियों को थमा दिया है। महिलाओं की शिकायत के बाद अब सम्बंधित बैंक अधिकारियों
ने अपने इस प्रकार की एजेंट कारनामों से पल्ला झाड़ लिया है। विदित हो कि ग्रामीण क्षेत्रों
में महिलाओं के समूह को कम ब्याज दर पर महिलाओं को लोन प्रदान करने फायनेंस कम्पनियों
द्वारा ऋण उपलब्ध कराई जाती है। जिसमें अधिकांश फायनेंस कम्पनियां बैंकों की उपक्रम
के रूप में रही। उपक्रम फायनेंस कंपनियों ने लोन के बाद हितग्राहियों से किस्तों के
आधार पर राशियां जमा कराई, जिसमें वितरण के साथ कंपनी के ऋण वितरण पुस्तिका पर राशियां
भी दर्ज कराई, लेकिन जब बैंकों में खातों पर जमा राशियां का कुल जोड़ मांगा गया तो बैंक अधिकारियों
ने शून्य बता दिया। जिससे परेशान महिलाओं ने मंगलवार को जनुसनवाई के दौरान कलेक्ट्रेट
कार्यालय का दरवाजा खटखटाया।
सालभर बाद की चढ़ा दी तारीख
उत्कर्ष माइक्रो फायनेंस प्रा.लिमिटेड
से वर्ष 2015 में बैरीबांध निवासी महिला उमा पति रामावतार ने 15 हजार ऋण 9 सितम्बर 2015 को ली थी, जिसमें महिला को २९ किस्त
में राशियां चुकानी थी। लेकिन महिला को दिए गए ऋण वितरण पुस्तिका प्रमाण में शाखा प्रबंधक
अधिकारी ने 17 सितम्बर 2019 की तिथि लिख दी। जबकि सहयोग माईक्रो फायनेंस प्रा. लिमिटेड प्रकरण में बैंक अधिकारी
ने हितग्राहियों से कोई भी राशि वसूल नहीं करने की बात कही है। उनका कहना है कि जब
उपक्रम के रूप में शामिल कंपनी हितग्राहियों के पैसे बैंक को जमा करेगी हितग्राहियो
के खातों में पैसे को डाल दिया जाएगा।
इनका कहना है
जब उत्कर्ष माइक्रो फायनेंस प्रायवेट
लिमिटेड कम्पनी रही होगी उस दौरान अधिकारी ने हस्ताक्षर कर तारीख दर्शाई है। लेकिन
तिथि पर ओवरराईट किया हुआ है। इस सम्बंध में मैं कुछ नहीं कह सकता। महिला को शाखा आकर
शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी।
देवमणि शर्मा, प्रबंधक उत्कर्ष फायनेंस
लिमिटेड अनूपपुर।
हमने अबतक किसी भी हितग्राही से लोन
राशि वापसी के लिए कोई दबाव नहीं डाला है। सहयोग माईक्रो फायनेंस लिमिटेड के खिलाफ
कंपनी ने मामला दर्ज कराया था, जो न्यायालय में लम्बित है। सहयोग माईक्रो फायनेंस द्वारा
पैसा वापस होता है तो हम उसे हितग्राहियों के खाते में डाल देंगे।
प्रशांत सिंह, प्रबंधक आईडीबीआई अनूपपुर।
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