लोक अदालत में आपसी सुलह एवं परस्परिक
भाईचारा हुऐ राजीनामा
अनूपपुर। न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के कारण पक्षकारों का मानव श्रम बेकार होता है।
रिश्तों की मधुरता को संरक्षित कर न्याय दिलाने का कार्य कर रही है लोक अदालत। यह बात जिला एवं सत्र न्यायाधीश
रवि कुमार नायक ने लोक अदालत के शुभारंभ के दौरान कही। उद्घाटन अवसर पर जिला न्यायाधीश
ने लोक अदालत के लिए शुभकामनाएं देते हुए अधिक से अधिक प्रकरणों का निराकरण आपसी राजीनामे
से सौहाद्र्रपूर्ण वातावरण में करने की बात कही। 8 सितम्बर शनिवार को लोक अदालत
के लिए जिला न्यायालय अनूपपुर एवं तहसील न्यायालय कोतमा व राजेन्द्रग्राम में कुल 10 खंडपीठों का गठन किया गया
था। जिसमें दांडिक, शमनीय प्रकरण, चेक अनादरण प्रकरण, बैंक वसूली प्रकरण, मोटर दुर्घटना प्रकरण, वैवाहिक प्रकरण, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण, सिविल प्रकरण एवं बिजली व
पानी के बिल से संबंधित प्रकरणों का निराकरण किया गया। जिला मुख्यालय अनूपपुर, तहसील कोतमा एवं राजेन्द्रग्राम
में लंबित प्रकरणों मे से 948 प्रकरणों को लोक अदालत में रेफर किया गया, जिनमें से कुल 212 प्रकरणों का निराकरण हुआ।
प्रीलिटिगेशन के 975 प्रकरण लोक अदालत में प्रस्तुत हुए जिनमें से 10 प्रकरणों का निराकरण लोक
अदालत के माध्यम से हुआ। आयोजित लोक अदालत में कुल 78 लाख 39 हजार 845 रूपए की राशि अवार्ड हुई।
आयोजित लोक अदालत मे सभी पक्षकारो ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया तथा आपसी सुलह एवं सामंजस्य
के आधार पर स्वस्थ वातावरण में आपसी राजीनामा की तथा परस्परिक भाईचारा एवं सौहार्द
का परिचय दिया। लोक अदालत के शुभारंभ अवसर पर अतिरिक्त जिला न्यायाधीश अशोक कुमार शर्मा, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश
वारीन्द्र कुमार तिवारी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेश सिंह, व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 राकेश सनोडिय़ा, जिला विधिक सहायता अधिकारी
जीतेन्द्र मोहन धुर्वे, अधिवक्ता संघ अध्यक्ष दुर्गेश पांडेय, अधिवक्ता संतोष सिंह परिहार, सुधा शर्मा सहित पक्षकारगण, अधिवक्तागण एवं न्यायालयीन
कर्मचारी उपस्थित रहे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें