अनूपपुर। जिले में
युवा पीढी को सिविक सेंस विकसित करने तथा छात्र-छात्राओं के साथ पुलिस की समांजस्य
स्थापित करने जिला मुख्यालय में संचालित एकलव्य आवासीय विद्यालय परिसर में स्टूडेंट
पुलिस कैडेट योजना का शुभारम्भ पुलिस अधीक्षक तिलक सिंह ने किया, जहां 15 सितम्बर की शाम कार्यक्रम
में चयनित 20 छात्रो को शाम कोतवाली थाना परिसर का भ्रमण करा पुलिस की गतिविधियों एवं कार्यो
के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई गई। जानकारी के अनुसार यह योजना एनसीसी कोर्स का
वैकल्पिक स्वरूप है, जिसे पुलिस जिले की अंदरूनी व्यवस्थाओं में प्रशिक्षित छात्र-छात्राओं
को अपराध की रोकथाम व नियंत्रण, सामुदायिक पुलिसिंग व्यवस्था, सडक सुरक्षा और यातायात सम्बंधी
जागरूकता, सामाजिक बुराईयों का निवारण, महिलाओं व बच्चों क सुरक्षा, आपदा प्रबंधन सहित ड्रिल,
आत्मरक्षा और
शारीरिक प्रशिक्षण के रूप में कर सकेगी। इससे जहां बच्चों में उचित मानवीय मूल्यों
और नीतियों के विकास का प्रयास होगा, वहीं नैतिकता, धैर्य, सहिष्णुता, समानुभूति व सहानुभूति,
ब$डों का सम्मान, दृष्टिकोण, समूह भावना, अनुशासन सहित अन्य बातों
के प्रति छात्र-छात्राओं में जागरूकता भी आएगी। पुलिस अधीक्षक तिलक सिंह का कहना है
कि हमारा देश युवा देश है इसे भी$ड की शक्ति नहीं बनना है। युवाओं में असीमित शक्ति है
इसे सही दिशा देकर देश के सम्मान और खुद युवाओं के आत्मसम्मान बढाने में सहायक होगा।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वैष्णव शर्मा ने बताया कि स्टूडेंट पुलिस योजना के तहत जिले
में 10 स्कूलों का चयन किया गया है, जिसमें प्रत्येक स्कूलों से 20-20 छात्र-छात्राओं को चयनित
किया गया है। जिसमें जिले के चारो विकासखंड से स्कूलों का चयन किया गया है। इसमें अनूपपुर
से 2 स्कूल, कोतमा से 3, पुष्पराजगढ़ से 3 तथा जैतहरी से 2 स्कूल शामिल हैं। ऐसे चयनित छात्र-छात्राओं को एससीसी
तर्ज पर ही पुलिस पदाधिकारियों की निगरानी में प्रशिक्षित किया जाएगा। योजना के तहत
भाग लेने वाले बच्चों को दो साल तक प्रशिक्षण दी जाएगी। इसमें कक्षा 8 और 9 वीं के बच्चों को शामिल
किया गया है। प्रतिमाह कम से कम एक अतिरिक्त कक्षा आयोजित की जाएगी। बाद में अशासकीय
स्कूलों को भी जों$डे जाने की भी योजना बनाई गई है। बच्चे आउटडोर की ट्रेनिंग स्कूल
समय के बाद या सप्ताह के आखिर में कर सकेंगे। जबकि शासन प्रशिक्षित कैडेट्स को प्रमाण
पत्र भी प्रदान करेगी। इस आयोजन से जहां योजना में शामिल होने वाले बच्चों को अपने
ऊपर होने वाले अपराधों की पहचान व प्रतिकार करने, शरीर स्वस्थ्य रखने, अधिकारों व नियमों की जानकारी,
शोषण से बचाव,
स्वतंत्र रूप
से कार्य करने की क्षमता, खतरों की आंकलन का क्षमता व सकारात्मक .ष्टिकोण का विकास हो
पाएगा। जबकि पुलिस के लिए सामुदायिक पुलिसिंग का विस्तार, ब'चों के प्रति अपराध में कमी,
सूचना संकलन
के नए स्त्रोतों का विकास, तथा स्वयं पुलिस के लिए नए तनाव प्रबंधन की सुविधा होगी।
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