शुक्रवार, 2 दिसंबर 2022
हाईकोर्ट ने राज्य शासन व पैरामेडिकल कौसिंल को भेजा नोटिस, पीआरटी, रेवा, संकल्प एवं विवेकानंद पैरामेडिकल कालेज की मान्यता खतरे में
नियम विरूद्ध तरीके से चल रहें जिलेमें दो दर्जन पैरामेडिकल कालेज
अनूपपुर। आदिवासी जिला अनूपपुर में मेडिकल शिक्षा के नाम पर बेरोजगार युवक-युवतियों को वर्षो से शिक्षा के ठेकेदार ठग रहे है, जो कहीं भी दो या चार कमरे को किराए का मकान लेकर पैरा मेडिकल कॉलेज और नर्सिंग कॉलेज शुरू कर देते है। भोपाल और जिले में अधिकारियों की मदद से कॉलेज खोलने की अनुमति भी बड़ी जल्द मिल जाती है। यह कॉलेज ना तो शासन की गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं बल्कि आदिवासी युवक-युवतियों की स्कालर शीप का पैसा भी डकार रहे है। हाईकोर्ट जबलपुर द्वारा जिला मुख्यालय के चार पैरामेडिकल कालेज से पहले भी म.प्र. के पैरामेडिकल कालेज के संबंध में प्रस्तुत याचिका पर आर्डर जारी किया था, जिसमें प्रदेश के लगभग 200 पैरामेडिकल कालेज की जांच सीबीआई से होनी थी। पैरामेडिकल संघ ने सुप्रिम कोर्ट से स्थगन ले लिया है। अधिकतर नर्सिंग, पैरामेडिकल कालेज नेताओं के है जो सत्ता का लाभ उठाते हुये बड़े-बड़े नेताओं के संरक्षण में युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे है।
जिला मुख्यालय में संचालित चार पैरामेडिकल कालेज को शासन के गाइडलाईन व नियमों के विरूद्ध संचालित करने पर शुक्रवार को हाईकोर्ट जबलपुर की मुख्यपीठ ने जनहित याचिका की सुनाई करते हुये सरकार व पैरामेडिकल कौंसिल से जवाब मांगा है। जनहित याचिका का पक्ष रखते हुये अधिवक्ता विकास कुमार शर्मा ने नियम विरूद्ध तरीके से संचालित चार पैरामेडिकल कालेज जिनमें पीआरटी पैरामेडिकल जैतहरी रोड शासकीय तुलसी कालेज के पास, रेवा पैरामेडिकल शांतिनगर वार्ड नंबर 10, संकल्प पैरामेडिकल बस्ती रोड चेतना नगर एवं विवेकानंद पैरामेडिकल कालेज के संचालक नियमों का खुलेआम उल्लंघन करते हुये संचालित किये जा रहे है। जहां अध्ययनरत बच्चों का भविष्य अंधकामय हो रहा है। जानकारी के अनुसार जिले में लगभग दो सैकड़ा नर्सिंग, पैरामेडिकल कालेज व नर्सिंग होम संचालित है। जो शासन की गाइडलाईन के विपरित जाकर हजारों बच्चों के भविष्य से खुलेआम खिलवाड़ करने में लगे हुये है।
कालेज के भौतिक सत्यापन पर गठित समिति की भूमिका संदिग्ध
शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिये म.प्र. सह चिकित्सीय परिषद द्वारा जिला अनूपपुर में निजी क्षेत्रों में विभिन्न संस्थाओं द्वारा पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों के संचालन के लिये प्रस्तुत आवेदन पर संस्थाओं द्वारा आवेदित पाठ्क्रमों को दृष्टिगत रखते हुये शासन के निर्देशानुसार निरीक्षण समितियों का गठन किया गया था। समिति में एसडीएम अनूपपुर कमलेशपुरी, हेल्थ डिपार्टमेंट से डां. भगतदास सोनवानी एवं पीडब्ल्यूडी एसडीओं डी.पी. द्विवेदी ने शासन के नियमों के विपरित जाकर उक्त संस्थाओं द्वारा बनाये गये फर्जी पेपर वर्क के आधार पर उक्त संस्थाओं को उनके आवेदित पाठ्यक्रमों बीएमएलटी, डीएमएलटी एवं सीओटीटी के लिये अनुमति प्रदान कर दी। जहां कौंसिल द्वारा गठित टीम की भूमिका संदिग्ध है। जिसके कारण आज इन पैरामेडिकल में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकार में डाल दिया गया है।
पेपर वर्क में रजिस्ट्रेशन करा बच्चो के साथ कर रहे खिलवाड़
चार पैरामेडिकल कालेज ही नही बल्कि जिले में संचालित 20 पैरामेडिकल कालेज और नर्सिंग होम जो शासन के विपरित बिना साधन व संसाधन के संचालित है। जिन्होने अपने-अपने संस्थानों का रजिस्ट्रेशन सिर्फ फर्जी रूप से बनाये गये पेपर वर्क के आधार पर पाया गया। जबकि इन संस्थानों की मैदानी स्तर पर हकीकत कुछ और ही है। इन संस्थानों में बच्चों को पढ़ाने वाले अधिकतर डांक्टर दूसरे जिले के शासकीय क्षेत्रों में पदस्थ है तो कुछ पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के है। इतना ही नही जिला चिकित्सालय अनूपपुर में एमडी कार्डियोलाजिस्ट, एमडी रेडियोलाजिस्ट चिकित्सक ही पदस्थ नही है, इतना ही नही जिला चिकित्ससालय में कार्डियोलाजिस्ट विभाग ही पदस्थ नही है। तो फिर इन संस्थाओं में अध्ययनरत बच्चों को आखिरकार पढ़ाई कैसे हो पा रही हे।
मैदानी स्तर पर न तो साधन न ही संसाधन
जिले में संचालित नर्सिंग, पैरामेडिकल कालेज अपने रजिस्ट्रेशन के समय फर्जी पेपर वर्क कराकर तो कर लिया गया है, लेकिन हकीकत में जिले के किसी भी नर्सिंग व पैरामेडिकल कालेज के पास शासन के निर्देशानुसार ना तो बच्चों को पढ़ाने के लिये साधन है और ना ही संसाधन है। जिले के किसी भी संस्थान के पास 100 बेड का चिकित्सालय तक उपलब्ध नही है, जहां बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा सके, इतना ही नही अध्यापन के लिये संस्थानों द्वारा जिन डाक्टरों को नियुक्ति की गई है वह सिर्फ कागजों में है जो की शासकीय क्षेत्रों में पड़ोंसी जिले व पडोसी राज्य के कार्यरत है। इसके साथ बच्चों को प्रशिक्षण के लिये जिला चिकित्सालय भेजा जाता है लेकिन जिला चिकित्साल अनूपपुर निर्माणाधीन होने के साथ उनके पास भी प्रशिक्षण देने के लिये साधन संसाधन नही है। जिसके कारण नर्सिंग, पैरामेडिकल कालेज में अध्ययनरत बच्चों को उनका उज्जवल भविष्य का सपना दिखाकर लूटने का प्रयास किया जा रहा है।
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