आदिवासी दिवस हर जाति, हर धर्म के लिए हैं- कांग्रेस जिलाध्यक्ष रमेश सिंह
अनूपपुर। आदिवासी-मूलवासी
किसान समुदाय जंगल, जमीन, नदी, पहाड़ों की गोद में ही अपने भाषा-सास्कृतिक पहचान के साथ विकसित
होता है। जल, जंगल, जमीन को आबाद करने का आदिवासी समुदाय का अपना गैरवशाली इतिहास
हैं। आदिवासी समुदाय खतरनाक जंगली जानवरों से लड़कर जंगल-झाड़ को साफ किया, गांव बसाया, जमीन आबाद
किया है। सर्वविदित है कि आदिवासी समुदाय के जंगल-जमीन, सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक आधार
को संरक्षित एवं विकसित करने के लिए भारतीय संविधान में विशेष कानूनी प्रावधान किए
गए हैं। गांव के सीमा के भीतर एवं बाहर जो प्राकृतिक संसाधन हैं जैसे, गिट्टी, मिट्टी, बालू, झाड़-जंगल, जमीन, नदी-झरना, सभी गांव की
सामुदायिक संपत्ति हैं, इस पर क्षेत्र के ग्रामीणों का सामुदायिक अधिकार हैं। यह सभी
अधिकार आदिवासी समुदाय के वीर शहीदों तिलका मांझी, सिद्वू, कान्हू, फूल-झानों, तेलंगा खडिया, सिंदराय मानकी, विंदराय मानकी, बीर बुद्वू
भगत, गया मुंडा, कानू मुंडा, बिरसा मुंडा, मानकी मुंडा और जतरा टाना भगत सहित हजारों वीर नायकों के अगुवाई
में लंबे संघर्ष और शहादत के बाद मिली हैं। विश्व आदिवासी दिवस पर 09 अगस्त को
जिला कांग्रेस अध्यक्ष रमेश सिंह की अगुवाई में आयोजित गौरव दिवस जिला पंचायत
अध्यक्ष प्रीति सिंह ने कहीं।
जिला पंचायत
अध्यक्ष ने कहा कि अंग्रेजों के गुलामी से देश की स्वतंत्रता के लिए इन आदिवासी ने
अहम भूमिका निभाई, जो स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज
हैं। देश की आजादी के बाद भी आदिवासी
समुदाय अपने जल, जंगल, जमीन, भाषा-संस्कृति, पहचान पर हो रहे अतिक्रमणों के खिलाफ लगातार संघर्षरत हैं। जंगल, जमीन की रक्षा
के लिए आदिवासी-मूलवासी समुदाय ने जाति-धर्म और राजनीति से ऊपर उठकर जनआंदोलनों ने
जीत का परचम लहराया हैं।
कांग्रेस जिला
अध्यक्ष रमेश सिंह ने कहा कि आज का दिन हम सभी के लिए गौरव का दिन हैं। आदिवासी दिवस हर जाति, हर धर्म के
लिए है। आदिवासी दिवस सिर्फ ऐप पर पढ़ें आदिवासियों का नहीं बल्कि हर जाति हर धर्म
के भाइयों के लिए हमारे पूर्वजों बिरसा मुंडा, सिद्दु, कान्हू, पोटो हो, पांडु हो, बडाए हो, नारा हो इन
सभी वीर पुरुषों ने हम आदिवासियों को पहचान दिलाई है।
आदिवासी गौरव कार्यक्रम
में जिला आजाक्स संघ के संरक्षक डीएस राव,
लक्ष्मण राव, रामाधार बैगा
सहीत अन्य जन शामिल रहें। कार्यक्रम के पूर्व रैली के माध्यम निकाली गई जहाँ
पारम्परिक ढोल नगाड़े के साथ अमर शहीदों के नाम गगन भेदी नारे लगायें।
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