अनूपपुर। जिले के कोतमा एवं जैतहरी रेंज के जंगलों में दो
हाथियों ने डेरा जमाया हुआ है। कोतमा रेंज के टांकी बीट में आठवें दिन रविवार को अपना
ठीहा बना रखा हैं। वहीं ग्रमीण रतजगा कर गांव से बाहर खदेड़ रहें हैं। शनिवार-रविवार
की रात टांकी एवं नवाटोला गांव में लगी धान की फसलों को अपना आहार बनाया। ग्रामीणों
द्वारा भगाए जाने पर टांकी के जंगल में पहुंच गयें। वनधिकारी ने कहां इंसानों ने
जंगल में घुसपैठ किया हैं, ग्रामीण चाहते
हैं एक खेत के नुकसान पर सभी खेत का मुआवजा मिले जो संभव नहीं है।
जानकारी अनुसार अनूपपुर तथा मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र
में बीते लगभग 7 वर्षों से हाथियों का आवागमन जारी है। इस वर्ष चार माह से अधिक समय
हो गया जिले में हाथियों के समूह ने तीन लोगो को पटक कर मार डाला। कई ग्रमीणों के घरों
को तहस-नहस कर दिया जिससे ग्रमीण बेघर हो गये। प्रशासन की धीमी गति से ग्रमीणों को
मुआवजा नहीं मिल सका। दो हाथी शनिवार-रविवार की रात पडरीझोरकी के टांकी एवं नवाटोला
के खेतों में लगी धान की फसलों को अपना आहार बनाया। इस दौरान ग्रामीणों द्वारा
भगाए जाने पर टांकी के जंगल में चले गयें। रविवार की सुबह चोलना बीट के चोई के
जंगल में हैं रविवार की देर रात किस ओर विचरण करेगा यह रात को स्पष्ट हो सकेगा।
हाथियों के संबंध में वन मंडलाधिकारी अनूपपुर एसके प्रजापति ने बताया
कि इंसानों ने जंगल में घुसपैठ करते हुए मकान एवं औद्योगिक क्षेत्र स्थापित कर लिए
हैं। ऐसे में अपने क्षेत्र में इंसानों के दखल की वजह से हाथी उन जगहों को छोड़कर
नए स्थान की तलाश में वन्य क्षेत्र से लगे गांव तथा शहर में भटक कर पहुंच रहे हैं।
वन मंडलाधिकारी ने बताया कि हाथी बहुत ही बुद्धिजीवी जानवर होता
है। वह इंसानी क्षेत्र से दूर ही रहता है लेकिन भोजन और पानी की कमी की वजह से
इंसानी क्षेत्र में भटक कर पहुंच जाता है। हाथी स्वयं ही किसी एक जगह नहीं टिकते
हैं। वह जंगलों में ही रहना पसंद करते हैं। यदि उन पर ज्यादा दबाव बनाया गया या फिर
खदेड़ा गया तो वह हिंसक भी हो सकते हैं। नुकसान का मुआवजा समय पर नहीं मिलने पर कहा
कि वन विभाग के नक्शे में कहीं भी घर या खेत दर्ज नहीं होते हैं। यह राजस्व विभाग
के नक्शे में ही दर्ज होते हैं। दोनों विभाग में पर्याप्त समन्वय है लेकिन ग्रामीण
यदि एक खेत को हाथी ने नुकसान पहुंचा है तो वह उम्मीद करते हैं कि सभी खेत पर
नुकसान का मुआवजा उन्हें दिया जाए जो संभव नहीं है। राजस्व अधिकारी शासन के दिशा
निर्देश के अनुसार ही कार्रवाई करते हैं।
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