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शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2023

कांग्रेस ने कोतमा से सुनील पर फिर जताया भरोसा, जिले की तीनों विधानसभा में कांग्रेस भाजपा ने घोषित कियें उम्मीदवार

कांग्रेस के पूर्व विधायक सहित जी-25 कांग्रेस नेताओं ने विधायक सुनील सर्राफ का किया था विरोध,पार्टी ने किया दर किनार, भीतरघात की आशंका

अनूपपुर। जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर दोनो ही प्रमुख दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जिससे यह तस्वीकर सामने आ गई हैं कि कौन कहां से होगा आमने-सामने जिसके बाद अब सभी कायसों पर विराम लग गया हैं। अनूपपुर जिले की कोतमा विधानसभा से कांग्रेस ने वर्तमान विधायक सुनील सर्राफ को एक बार फिर मैदान में उतारा है। कोतमा से कांग्रेस के पूर्व विधायक सहित जी-25 कांग्रेस नेता सुनील सर्राफ को उम्मीदवार बनाने को लेकर विरोध कर रहे थे। आपसी मतभेद की वजह से पार्टी ने इस सीट पर उम्मीदवार घोषित नहीं किया था। लेकिन विरोध के बाद भी पार्टी ने एक बार फिर सुनील सर्राफ पर भरोसा जताते हुए सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है।

कौन कहां से होगा आमने-सामने

जिले की तीन विधानसभा में भाजपा ने खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहू लाल सिंह के सामने कांग्रेस के रमेश सिंह होगे। पुष्पराजगढ़ विधानसभा से लगातार दो बार के विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को कांग्रेस से वहीं भाजपासे हीरा सिंह श्याम पहली बार अपनी किस्मवत अजमायेंगे। कोतमा से 2018 के प्रतिद्वंदी कांग्रेस विधायक सुनील सर्राफ भाजपा से दिलीप जयसवाल आमने-सामने होगें।

अनूपपुर विधानसभा से भाजपा उम्मीदवार

अनूपपुर जिले से भाजपा ने खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहू लाल सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। बिसाहू लाल सिंह दशकों से कांग्रेस की राजनीति कर रहे थे। 2020 में बिसाहू लाल सिंह ने कांग्रेस की राजनीति छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। जिसके बाद उपचुनाव में बिसाहू लाल ने लगभग 35 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। एक बार फिर भाजपा ने आयु सीमा को पार करते हुए सबसे उम्र दराज प्रत्याशी बिसाहू लाल सिंह टिकट दे कर मैदान में उतार दिया हैं। मंत्री बिसाहू लाल सिंह शुरुआत में कांग्रेस के लिए दीवार लेखन का कार्य करते थे। मंत्री बिसाहू सिंह एसईसीएल में कार्यरत थे। जहां से वे सेंट्रल गवर्नमेंट की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए। 1962 में युवा कांग्रेस के महामंत्री थे। कांग्रेस से 1980 में पहली बार विधायक बने । 10 मार्च 2020 को 4 दशक के बाद कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए।

अनूपपुर जिले से कांग्रेस ने राज्य  प्रशासनिक सेवा से त्याग पत्र देकर आये रमेश सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया हैं। रमेश सिंह वर्तमान में अनूपपुर जिला कांग्रेस अध्यनक्ष हैं। 2020 में अपर कलेक्टर के पद से इस्तीफा देकर इन्होंने कांग्रेस जॉइन की थी। 2020 के उप चुनाव में अनूपपुर विधानसभा से इन्हें कांग्रेस का उम्मीदवार बनाए जाना था, लेकिन इन्हें टिकट नहीं दिया गया। वहीं 2023 के विधानसभा चुनाव में खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहू लाल सिंह के सामने कांग्रेस ने इन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। रमेश सिंह अपना पहला विधानसभा 'चुनाव लड़ेंगे। जहां एक ओर कई बार के विधायक और मंत्री बिसाहू लाल सिंह है, वहीं पहली बार मैदान में उतरे रमेश सिंह दोनों के बीच मुकाबला दिलचस्प होगा। रमेश सिंह 2006 में लोक सेवा की परीक्षा पास कर डिप्टी कलेक्टर बने। जहां उन्होंने विभिन्न जिलों में अपनी सेवाएं दी। 2020 में इन्होंने अपर कलेक्टर पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस की सदस्यता ली। वर्तमान में वे कांग्रेस के जिला अध्यक्ष हैं और पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।

अनूपपुर विधानसभा के अबतक के विधायक

अनूपपुर जिले में 2008 में बिसाहू लाल सिंह (कांग्रेस), 2013 में रामलाल रौतेल (भारतीय जनता पार्टी), 2018 में एक बार फिर बिसाहू लाल सिंह (कांग्रेस) विधायक रहे। उसके बाद बिसाहू लाल सिंह ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली। इसके बाद 2020 में एक बार फिर बिसाहू लाल सिंह ने जीत हासिल की।

पुष्पराजगढ़ विधानसभा से भाजपा उम्मीदवार

अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ विधानसभा से भाजपा ने हीरा सिंह शाम को अपना उम्मीदवार बनाया है। हीरा सिंह श्याम पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहें हैं। अनूपपुर जिले की यह दूसरी सीट है, जहां भाजपा ने नए चेहरे को उम्मीदवार बनाया है। पुष्पराजगढ़ से भाजपा को लगातार बार से निराशा ही हाथ लग रहीं है, इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। हीरा सिंह श्याम ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है। वहीं से छात्र राजनीति में रहें है। इनके पिता शिक्षक हैं और मां सरपंच, जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। हीरा सिंह 2011 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य चुने गए। 2016 में पुष्पराजगढ़ जनपद अध्यक्ष रहें। वर्तमान में भाजपा में जिला महामंत्री हैं।

कांग्रेस उम्मीदवार

अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ विधानसभा से लगातार दो बार के विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को को कांग्रेस ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है। फुंदेलाल सिंह मार्को लगातार अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं। आदिवासी विधायक के तौर पर इनकी छवि बनी हुई है। कई बार विधानसभा में भी आदिवासी पहनावे के साथ पहुंचे। कांग्रेस के फुंदेलाल लाल सिंह मार्को के सामने भाजपा ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हीरा सिंह श्याम को अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। अब दोनों के बीच मुकाबला दिलचस्प होगा। फुन्देलाल सिंह मार्को शुरू में बसपा से चुनाव मैदान में रहें जहां निराशा हाथ लगी, इसके बाद कांग्रेस राजनीति में सक्रिय हुए अब लगातार दो बार पुष्पराजगढ़ विधानसभा से विधायक हैं। 2013 में उन्होंने पहली बार भाजपा के सुदामा सिंह को 35 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। वहीं दूसरी बार भाजपा के नरेंद्र मरावी को 22 हजार वोटो से हराया था। यह विधायक के साथ-साथ ही कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी रह चुकें हैं।

पुष्पराजगढ़ विधानसभा में अब तक के विधायक 

पुष्पराजगढ़ विधानसभा में ललन सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1962 चिन्ता राम प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, 1972: दलबीर सिंह, निर्दलीय,1967: एल सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1977: हजारी सिंह, जनता पार्टी, 1980: अंबिका सिंह, इंडियन नेशनल कांग्रेस, 1985: दीलन सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1990: कुंदन सिंह, जनता दल, 1993: शिवप्रसाद सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस , 1998. शिवप्रसाद सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांगेस, 2003: सुदामा सिंह, भारतीय जनता पार्टी, 2008: सुदामा सिंह, भारतीय जनता पार्टी, 2013: फुंदेलाल सिंह मार्को, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 2018: फुंदेलाल सिंह मार्को, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस रहें।

कोतमा विधानसभा से भाजपा उम्मीदवार

अनूपपुर जिले और शहडोल संभाग में एकमात्र सामान्य सीट कोतमा कई मायनों में अहम मानी जाती है। इस सीट पर भाजपा ने अपने हारे हुए पूर्व विधायक को एक बार फिर उम्मीदवार बनाकर सभी को चौंका दिया। दिलीप जायसवाल यहां से 2018 में कांग्रेस के प्रत्याशी सुनील सर्राफ लगभग 12 हजार वोटों से हार चुके हैं। 2006 से 2010 तक भाजपा जिलाध्यक्ष रहे हैं। 2008 से 2013 तक कोतमा विधानसभा से विधायक भी रह चुके हैं। जिसके बाद उनका टिकट काट दिया गया था। 2018 एक बार फिर टिकट दिया गया, लेकिन इन्हें करारी हार मिली थी।

कांग्रेस से उम्मीदवार

जिले में कांग्रेस को उम्मीदवार चयन में सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना कोतमा विधानसभा सीट से ही करना पड़ा। कोतमा विधानसभा में वर्तमान विधायक सुनील सर्राफ को उम्मीदवार ना बनाने के लिए जी-25 का गठन पूर्व विधायक मनोज अग्रवाल के नेतृत्व में किया गया था, जो बैठक कर सुनील सर्राफ को दुबारा उम्मीदवार न बनाने का पुरजोर विरोध किया गया था। लेकिन पार्टी ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए कोतमा में सुनील सर्राफ पर विश्वा स जताते हुए 19 अक्टूबर को घोषित सूची में तय कर दिया गया। सुनील सराफ 2009 से 2013 तक ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष रहे। 2013 से 2017 तक किसान कांग्रेस का जिला अध्यक्ष रहें। इनके पिता एसईसीएल में ड्यूटी करते थे। इनके परिवार में कोई भी राजनीति में सक्रिय नहीं था। 2018 में तत्त।कालीन विधायक मनोज अग्रवाल का टिकट काटकर इन्हें पहली बार कांग्रेस से टिकट दिया गया और पहली ही बार में सफलता हासिल की। वहीं जी-25 ने जिस तरह विरोध किया था इससे भितरघात की प्रबल संभावना हैं।

कोतमा विधानसभा से अबतक के विधायक

जिले के कोतमा विधानसभा में 10 वर्षों से कांग्रेस का दबदबा रहा है। 1957 से 2018 तक यहां 9 बार कांग्रेस के विधायक निर्वाचित हुए हैं। जबकि तीन बार भाजपा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। आज तक इस सीट से कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी विजयी नहीं हो पाया। कोतमा विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1957 में कांग्रेस पार्टी के हरिराज कुंवर, वर्ष 1962 में कांग्रेस की गिरिजा कुमारी, वर्ष 1967 में कांग्रेस के केएम सिंह, वर्ष 1977 में जनता पार्टी के बाबूलाल सिंह, वर्ष 1980 में कांग्रेस के भगवानदीन, वर्ष 1985 में फिर से कांग्रेस के भगवानदीन, 1990 में जनता पार्टी के छोटेलाल भारतीय, 1993 में कांग्रेस की राजेश नंदिनी सिंह, 1998 में भाजपा के जय सिंह मरावी, 2003 में पुनः भाजपा के जय सिंह मरावी, 2008 में भाजपा के दिलीप कुमार जायसवाल, 2013 में कांग्रेस के मनोज कुमार अग्रवाल तथा 2018 में कांग्रेस में ही सुनील कुमार सराफ निर्वाचित हुए। बता दें कि शहडोल से सांसद रही राजेश नंदिनी भी यहां से विधायक रह चुकी हैं। 

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