रविवार, 2 जुलाई 2023
आशओं में खरा नहीं उतरा मोदी का दौरा : प्रधानमंत्री की सभा से मायूस और खाली हाथ लौटे लोग, नहीं मिली कोई सौगात
अनूपपुर। राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन 2047 लॉन्च के साथ एक क्लिक से साढ़े 3 करोड़ हितग्राहियों को डिजिटल आयुष्मान कार्ड बांटने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के लालपुर में पहुंचे। प्रधानमंत्री के इस दौरे से क्षेत्र के लोगों को प्रधानमंत्री से सौगात मिलने की आस थी। लेकिन यह आस निराशा में बदल गई, और लोगों मायूस के चेहरों के साथ खाली हाथ लौटे। शहडोल संभाग काफी पिछड़ा क्षेत्र माना जाता हैं। जहां तीनों जिले अनूपपुर, शहडोल और उमरिया शामिल हैं विकाश की मुख्येधारा से पूरी तरह जुड़ नहीं सका हैं। यहां अधिकतर मतदाताएं अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति के निवासरत हैं। जहां शिक्षा, स्वास्थ्य एवं ट्रेनों से जुड़ी समस्याएं प्रमुख हैं। लोगों की उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री अपने इस दौरे में शायद क्षेत्र को इनकी सौगात देकर जाएंगे।
सर्वसुविधायुक्तए चिकित्सालय की कमी
प्रधानमंत्री ने डिजिटल आयुष्मान कार्ड बांटे, लेकिन क्षेत्र में सर्वसुविधायुक्तअ चिकित्सालय मौजूद नहीं है। शहडोल मंर स्थित मेडिकल कॉलेज सहित तीनो जिला चिकित्सालयों में डॉक्टरों की कमी है। कोई भी बड़े ऑपरेशन के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। लोगों को आपातकालीन स्थिति में जबलपुर जो यहां से लगभग 200 किलोमीटर से अधिक दूरी पर है। वही उनके पास दूसरा विकल्प बिलासपुर (छत्तीसगढ़) जिसकी दूरी भी लगभग 200 किलोमीटर हैं। ऐसे में किसी भी आपातकालीन स्थिति में लोगों को चार से 5 घंटे यहां पहुंचने में लग जाते हैं। जिससे कोई बड़ी अनहोनी घटित होती हैं। प्रदेश के आदिवासी इलाकों में सिकलसेल बीमारी महिलाओं में तेजी से बढ़ रही है। सिकलसेल के लिए रायपुर और भोपाल में रिसर्च सेंटर है लेकिन क्षेत्र कोई विशेष लैब नहीं है। सिकलसेल से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जांच के लिए बाहर जाना पड़ता है। जिले के जिला चिकित्सालय रेफरल सेंटर बन चुके हैं। कोई भी मरीज जिला चिकित्सालय में पहुंचता है और यदि उसकी स्थिति थोड़ी बहुत भी गंभीर है, तो उसे तुरंत शहडोल मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में शहडोल में निवासरत लोग 5 लाख तक का जीवन बीमा का लाभ कैसे उठा पाएंगे?।
कृषि अधारित उद्योगों की स्थापना
पूरा शहडोल संभाग वनों से आच्छादित है और भरपूर मात्रा में खनिज संपदा मौजूद है। इसके अलावा कृषि क्षेत्र विशेषकर सोयाबीन का रकबा भी संतोषजनक स्थिति में है। इससे आधारित उद्योग धंधे के लिए जमीन, पानी, बिजली और श्रम की यहां उपलब्धता है। केंद्र सरकार का पूरा फोकस कृषि क्षेत्र पर है। ऐसे में कृषि (सोयाबीन) आधारित उद्योग के खोलने से रोजगार के अवसर मिलेंगे वहीं किसानों को भी सीधा लाभ होगा। इसके अलावा खनिज आधारित उद्योग भी खोले जा सकते हैं।
ट्रेनों की समस्याएं
यहां से आज भी बड़े शहरों के लिए पर्याप्त ट्रेनों की सुविधाएं नहीं है। जबकि इस क्षेत्र में अमरकंटक ताप विद्युत गृह, कोयले का बड़े पैमाने पर उत्पादन, मोजर बेयर, संजय ताप विद्युत गृह उमरिया जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां मौजूद है। यहां निवासरत लोगों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री इस क्षेत्र को नागपुर तक के लिए सीधी ट्रेन की सौगात दे सकते हैं। लेकिन एक भी ट्रेन की सौगात शहडोल संभाग को नहीं मिलने से एक बार फिर निराशा हाथ लगी।
यहां के अधिकतर लोग अपने दवाइयां एवं हेल्थ चेकअप के लिए नागपुर का रास्ता ही तय करते हैं। जिसके लिए वह लगातार नागपुर तक के लिए सीधी ट्रेन की मांग कर रहे हैं। कई बार सांसद हिमाद्री सिंह रेल मंत्री को पत्र भी लिख चुकी है। जिस पर रेल मंत्री ने 6 महीने के लिए ट्रायल के रूप में ट्रेन चलाने की बात भी कही थी, लेकिन उसके बाद भी ट्रेन की सौगात नहीं मिल सकीं। इसके साथ ही जबलपुर एवं भोपाल के लिए मात्र 2 से 3 ट्रेन जो रोजाना चलती है।
वही सप्ताहिक ट्रेन 7-8 ही हैं। इसके साथ ही ट्रेनों की लेटलतीफी से भी लोग परेशान हैं। क्यूब रूट में ही कोयले की 100 से अधिक गाड़ियां आप एवं डाउन में चलते हैं। जिसकी वजह से भी ट्रेनें लेट होते हैं। संभाग के तीनों ही जिले अनूपपुर, उमरिया, शहडोल में रेलवे प्लेटफार्म में स्क्लेटर एवं सर्व सुविधा युक्त स्टेशन की मांग होती आ रही है। उसके बाद भी रेलवे प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। इसकी वजह से भी यहां के लोगों में आक्रोश व्याप्त है।
शिक्षा से जुड़ी समस्याएं
अनूपपुर में आज भी एक सर्व सुविधा युक्त महाविद्यालय की दरकार है। इसको लेकर भी खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी दिया हैं। बिसाहूलाल सिंह ने लालपुर शहडोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीन अलग-अलग पत्रों का ज्ञापन सौंपा है। इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की है कि अनूपपुर जिले में राष्ट्र स्तरीय कृषि महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, राष्ट्र स्तरीय चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय एवं उड़ान योजना के तहत हवाई अड्डा की मांग की है।
यहां के लोग आज भी पढ़ाई के लिए लोगों को शहर से बाहर जाना पड़ रहा है। नर्सिंग, कृषि महाविद्यालय एवं अन्य पढ़ाई के लिए छात्राओं को अपना शहर छोड़ना पड़ रहा है। ऐसे में उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री एक सौगात देंगे। लेकिन कोई भी सौगात नहीं मिली।
नर्मदा विकास पर चर्चा नहीं
प्रधानमंत्री ने अपने शहडोल दौरे में क्षेत्र की एकमात्र जीवनदायिनी मां नर्मदा पर एक बार भी जिक्र नहीं किया, जबकि वहीं नर्मदा क्षेत्र में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय के नाम को लेकर विपक्ष से तीखे सवाल पूछे। नर्मदा विकास प्राधिकरण की मांग आज कई वर्षों से हो रही हैं। लेकिन इस प्राधिकरण घोषणा अभी तक नहीं हो पाई। इस क्षेत्र की आस्था का केंद्र मां नर्मदा को लेकर भी प्रधानमंत्री से लोगों को उम्मीद थी लेकिन मायूसी ही हाथ लगी।
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