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सोमवार, 10 जुलाई 2023

सावन के पहले सोमवार को मां नर्मदा उद्गम जल से जालेश्वर धाम महादेव में हुआ जलाभिषेक, जयकारें से गूंजी अमरकंटक नगरी

 

अनूपपुर। भगवान शंकर के भक्तों के लिए सावन का महीना बहुत ही पावन होता है. इस पूरे महीने भोले शंकर को प्रसन्न करने के लिए भक्त तरह-तरह के जतन करते हैं. कहा जाता है कि सावन में शिव को प्रसन्‍न करना और भी ज्‍यादा आसान होता है. यही वजह है कि भक्‍त पूरे माह भगवान की विशेष उपासना करते हैं. इस बार 19 साल बाद ऐसे संयोग बने हैं कि सावन का महीना दो महीने तक चलने वाला है. सावन का महीना 4 जुलाई से 31 अगस्त तक यानी 58 दिन तक चलने वाला हैं। 10 जुलाई को सावन का पहला सोमवार को शिवभक्‍तों ने अमरकंटक (मप्र) और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित जालेश्वर धाम और मां नर्मदा मंदिर उद्गम स्थल अमरकंटक में जल भराव करते हुए चढ़ाया।

शिव आराधना का श्रावण माह पिछले मंगलवार 4 जुलाई से आरंभ हो गया है। सावन माह के पहले सोमवार को भगवान शिव की पूजा लोगों ने पवित्र जल, दूध, दही, घी से अभिषेक किया और धतूरा, बेल व ऑक के फूल चढ़ाकर भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास किया। मंदिरों में बोल बम के जयघोष लगते रहे। जिले के पवित्र नगरी अमरकंटक में भी श्रृद्घालुओं ने शिव अर्चना व अभिषेक के लिए पहुंचे। मां नर्मदा जल से शिव जी का अभिषेक किया गया। कावरिएं यहां जल लेने पहुंचे थे। यहां के शिव धाम अमरेश्वर तथा जालेश्वर में शिव लिंग के अभिषेक हेतु भक्तों की भारी भीड़ जुटी रही। यह पहला सोमवार लोगों ने आस्था के साथ शिव की पूजा करते हुए व्यतीत किया। अधिकांश महिलाओं एवं अविवाहित युवतियों ने वृत रखकर भगवान शिव की पूजा आराधना की।

कावडि़ए ने नर्मदा जल ले जालेश्वर में चढ़ाया

मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सावन मास में हजारो शिवभक्तों की भीड़ दर्शन और जलाभिषेक के लिए शिव और मां नर्मदा के जयघोष से गुंजायमान करते हुए कावडि़ए नर्मदा स्नान और कुंड से जलभराव कर जालेश्वर में जल चढ़ा पुन: अमरकंटक नर्मदा मंदिर पहुंचें, जहां जलभर कर कर्वधा स्थित बूढा महादेव मंदिर के लिए रवाना हुए। इसके लिए नर्मदा मंदिर समिति सहित प्रशासन ने तैयारी पूरी पहले ही कर ली थी। नर्मदा मंदिर समिति ने बताया कि सावन के उपलक्ष्य में यहां देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। लेकिन इनमें कर्वधा, राजनंदगांव सहित छत्तीसगढ़ राज्य के अन्य जिलों व मप्र के स्थानीय भक्तों की तादाद अधिक होती है। छत्तीसगढ़ के कर्वधा सहित आसपास के जिलों से आते हैं।

भजन-कीर्तन और रूद्राभिषेक किए गए

सोमवार को नगर के सभी देवालयों में अलसुबह से भक्तों का तांता लग गया था। देर शाम तक शिवमंदिरों में लोगों का मत्था टेकने का सिलसिला बना रहा। नगर के तमाम शिव मंदिरों में आवश्यक तैयारियां की गई हैं। जगह-जगह भजन-कीर्तन और रूद्राभिषेक के आयोजन किए जा रहे हैं। बताया गया सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था जन कल्याण के लिए भगवान शिव ने विषपान कर उसे गले में रख लिया था। विष काफी तेज होने के कारण देव-दानव सभी ने भगवान का जलाभिषेक कर उन्हें ठंडक पहुंचायी थी। जिस पर भगवान शिव सब पर प्रसन्न हुए थे। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने सावन में ही प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं से भगवान भोलेनाथ की अर्चना की थी और व्रत किया था।

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