अनूपपुर। आखें बहुत ही नाजुक और
संवेदनशील होती हैं, इनके साथ थोड़ी सी भी परेशानी हो तो
तुरंत लक्षण दिखाई देने लगते हैं, मौसम
में परिवर्तन के वजह से आंखे आना या लाल होना आंखों से जुड़ी ऐसी ही समस्या हैं, जिसे चिकित्सीय भाषा में कंजक्टिवाइटिस कहते
हैं, यह एक्यूट या क्रॉनिक दोनों ही रूपों में हो
सकती हैं और इसे ठीक होने में दो सप्ताह तक समय भी लग सकता हैं। कंजक्टिवाइटिस की
समस्या आंखों में बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण या एलर्जिक रिएक्शन के कारण होती
है, इसका संक्रमण एक या दोनों आंखों में होता हैं।
वातावरण में नमी होने के कारण हाल के दिनों में कंजक्टिवाइटिस के मरीजों की संख्या
बढ़ी हैं। पहले जहां औसतन 1 से 2 मरीज जिला चिकित्सालय अनूपपुर के नेत्र विभाग
में प्रति दिन आते थे, वहीं वर्तमान में यह संख्या बढ़कर 20-25 के करीब पहुंच गई हैं।
एंटी वायरल ड्रग से ठीक हो जाती है
कंजक्टिवाइटिस- डॉ जनक सारीवान
जिला चिकित्सालय अनूपपुर के नेत्र
विभाग के चिकित्सक डॉ. जनक सारीवान ने बताया कि ओपीडी में हर रोज 20 से 25 मरीज
कंजक्टिवाइटिस के वजह से इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, इसमें दोनों आंखों का लाल होना, पानी और कीचड़ आना सामान्य तौर पर मरीजों में
देखा जा रहा हैं। घर में किसी एक व्यक्ति को हो गया है तो सभी को कंजक्टिवाइटिस
होगी। ऐसे मरीजों को एंटीवायरल ड्रग दिया जा रहा है, जिससे 3 से 6 दिनों में मरीज स्वस्थ्य हो जाते
हैं। उन्होंने बताया कि अगस्त के पहले सप्ताह तक कंजक्टिवाइटिस के मरीजों की
संख्या बढ़ेगी। पीड़ित व्यक्तियों में ज्यादातर बच्चे होते हैं। यह बीमारी
संक्रमित हाथों या वस्तुओं के उपयोग और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से
फैलती है। संक्रमित व्यक्ति से दूरी, संक्रमित हाथों से बार बार चेहरे या आंखों को
छूने से परहेज, संक्रमित वस्तुओं को छूने के बाद
हाथों को धोना या सैनिटाइज करना और संक्रमित व्यक्ति को काला चस्मा पहन कर रहना
इत्यादि से इस संक्रमण को रोका जा सकता है। कंजेक्टिवाइटिस होने पर बच्चों को
स्कूल नहीं भेजने की सलाह चिकित्सक ने दी हैं। कहा कि घर में किसी एक व्यक्ति को
आंख आता है तो सभी को होने की खतरा रहता है, साथ ही बार-बार आंख को छुने से बचने की सलाह
डॉ. जनक सारीवान ने दी हैं।
आयुर्वेदिक में कंजक्टिवाइटिस आने पर
दी जाती हैं कई दवाः डॉ.बृजनंदन शुक्ला
आयुर्वेदिक के डॉ. बृजनंदन शुक्ला ने बताया
कि बरसात के वक्त कंजक्टिवाइटिस के मामले सामने आते हैं। इस चिकित्सा पद्धति में पांच
दवाई हैं। इनमें आमलकी रसायन, सप्तामृत
लौह, महात्रिफला घृत, दृष्टि आई ड्राप, शहद व एलोवेरा जिसमें खाया, लगाया व आखों में डाला जा सकता हैं। उन्होंने
बताया कि आई ड्राप को आखें की सुरक्षा के लिए भी उपयोग किया जा सकता हैं। इनके सेवन
करने से तीन से छ: दिन में ठीक हो जाती हैं। उपयोग विधी में आमलकी रसायन 200 ग्राम, संतामृत लौह 20 ग्राम 1 -1 चम्मच भोजन से पहले
कुनकुने पानी से लेना चाहियें, महात्रिफला
घृत 1 चम्मच भोजन के बाद दूध से सेवन करने पर आराम मिलता हैं। गुलाब जल भी उपयोग
किया जा सकता हैं। ऐसा करने से आंख और सुंदर होगी।
इसके लक्षण में एक या दोनों आंखों में
जलन या खुजली होना, आसामान्य रूप से अधिक आंसू निकलना, आंखों से पानी जैसा या गाढ़ा डिस्चार्ज निकलना, आंखों में चुभन महसूस होना,आंखों में सूजन आ जाना, यह लक्षण आमतौर पर एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस के
कारण दिखाई देते हैं।
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