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रविवार, 17 मार्च 2019

कांग्रेस से हिमाद्री, प्रमिला, भाजपा से रामलाल, सुदामा के मध्य टिकट का होगा फैसला,प्रत्याशी चयन में आ रहा है पसीना






राजेश शुक्ला
अनूपपुर जैसे-जैसे मौसम में परिवर्तन आ रहा है, वैसे-वैसे चुनावी सरगर्मियां बढ़ रही हैं। गुलाबी ठण्ड में राजनीतिक दलों को पसीना आ रहा है। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद मध्यप्रदेश के प्रथम चरण मतदान 29 अप्रैल को है। जिसमें करीब 6 लोकसभा में मतदान होगा, इसमें शहडोल लोकसभा भी शामिल है। शहडोल लोकसभा में 4 जिलों के 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें अनूपपुर जिले के अनूपपुर, कोतमा, पुष्पराजगढ़, शहडोल जिले के जयसिंहनगर, जैतपुर, उमरिया जिले के मानपुर, बांधवगढ एवं कटनी जिले के बडवारा सीट शामिल हैं। जिसमें 16 लाख 46 हजार 203 मतदाता अपने मतों का प्रयोग करेंगे। शहडोल लोकसभा में अभी भाजपा के ज्ञान सिंह सांसद हैं, जो उपचुनाव 2016 में कांग्रेस की प्रत्याशी रही हिमाद्री सिंह लगभग ६५ हजार मतों से हराकर जीत हासिल की थी। इसके बाद सांसद ने क्षेत्र के विकास के लिए कोई ठोस पहल नहीं की। इन वर्षों में सांसद को क्षेत्र की उपलब्धि बताने के लिए कुछ नहीं है। शहडोल लोकसभा कभी किसी एक दल की नहीं रही है, इसमें बदलाव होते रहे हैं। यह वह क्षेत्र है जहां बाहरी प्रत्याशी को मतदाताओं ने आईना दिखाया है। इसमें छ.ग. के पूर्व मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी शामिल हैं, जिन्हें भाजपा के स्व. दलपत सिंह परस्ते ने करारी मात दी थी। आज दोनों दलों के पास प्रत्याशी चयन सबसे बडी चुनौती है। भाजपा वर्तमान सांसद ज्ञान सिंह को दोबारा प्रत्याशी बनाने के मूड में नहीं हैं, इसके लिए जोर-शोर से प्रत्याशी चयन की जोर आजमाईश चल रही है। प्रतिदिन भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश के प्रभारी डॉ. विनय सहत्रबुद्धे ने शहडोल मुख्यालय में पहुंच कर पत्रकारों, लेखकों, बुद्धजीवियों व गणमान्य नागरिकों के साथ पार्टी के नेताओं व उम्मीदवारों से अलग-अलग मिलकर राय जानी। इस दौरान उन्हें कई सुझाव भी मिले, जिनमें पूरे क्षेत्र के लोगों ने एक स्वर से वर्तमान सांसद को दोबारा प्रत्याशी न बनाने के लिए कहा। इसके बाद सुझाव में कुछ नाम सामने आये, जिनमें जयसिंहनगर विधायक जयसिंह मराबी का नाम प्रमुखता से आया है, किंतु पार्टी किसी विधायक को लोकसभा चुनाव लड़ाने के मूड में नहीं है और आगामी दिनों में बदलती हुई राजनीति में यह खतरा मोल लेना पार्टी हित में नहीं होगा। जिसके चलते जयसिंह को प्रत्याशी बनाना लगभग समाप्त हो जाता है। अब प्रमुख दावेदार अनूपपुर के पूर्व विधायक रामलाल रौतेल, पुष्पराजगढ़ पूर्व विधायक सुदामा सिंह का नाम प्रमुखता से चल रहा है। इसमें पार्टी एक तीर से दो शिकार कर सकती है। शहडोल, उमरिया जिलों के पांच विधानसभा में भाजपा का कब्जा है। अनूपपुर में तीनों सीट कांग्रेस की झोली में है, अगर पार्टी रामलाल अथवा जिले से किसी भी नेता को प्रत्याशी बनाती है तो इसका फायदा भाजपा को होगा। रामलाल रौतेल विधानसभा चुनाव में जरूर हार मिली है किंतु लोकसभा में इनका अच्छा खास संपर्क होने से  फायदा मिलेगा इनका तीनों जिलों अनूपपुर, शहडोल, उमरिया एवं कटनी के बडवारा विधानसभा में जनसंपर्क किया है जिसका फायदा मिलेगा। वहीं विधानसभा चुनावों के बाद बदली हुई परिस्थितियों में लोकसभा चुनाव की परिस्थितियां भिन्न होगी। दूसरी ओर पार्टी हाईकमान मण्डला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को शहडोल लोकसभा प्रत्याशी बनाने का मूड भांप रही है। भाजपा के सर्वे में मण्डला सांसद का क्षेत्र में काफी विरोध होने की स्थिति में इन्हें अपना प्रत्याशी बनाती है तो वहां पराजय का मुंह देखना पड सकता है। इसके लिए फग्गन सिंह कुलस्ते को शहडोल लोकसभा से लड़ाने का प्रयास जारी है, जिसके चलते मध्यप्रदेश प्रभारी डॉ विनय सहत्रबुद्धे को स्थानीय पार्टी नेताओं के साथ मीडिया जगत व गणमान्य नागरिकों ने इसका विरोध दर्ज कराया है। साथ ही यह भी याद दिलाया कि जैसे कांग्रेस से अजीत जोगी का हुआ था वही हाल कहीं इनका भी न हो, इससे पार्टी अपने कदम खींच रही है और स्थानीय प्रत्याशी देने का मन बनाया है, जिससे स्थानीय लोगों को विरोध न झेलना पड़े।

तो दूसरी ओर कांग्रेस विधानसभा चुनाव के बाद जीत से लबरेज  लोकसभा चुनाव में पूरे दमखम से लड़ेगी। कांग्रेस से हिमाद्री सिंह का नाम प्रमुखता से चल रहा है, जो लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहीं हैं। इस बार फिर कांग्रेस अपना प्रत्याशी बनाने के मूड में दिख रही है। अगर कांग्रेस अपना प्रत्याशी घोषित करती है तो यह नाम जाना-पहचाना रहेगा, किंतु इनकी कमजोरी यह है कि उपचुनाव के बाद जनता से इनका संपर्क नहीं रहा। साथ ही इनका विवाह भाजपा के नरेंद्र मराबी से होने से लोगों के बीच उपाफोह की स्थिति बनी है कि यह पति के साथ जाती है या अपना अलग मुकाम हासिल कर पार्टी में रहकर पार्टी का साथ देती हैं। सूत्रों की मानें तो लोकसभा के लिए इनका नाम पहले नंबर पर है। दूसरे नंबर पर विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक प्रमिला सिंह का नाम है, जो उमरिया कलेक्टर रहे अमरपाल सिंह की पत्नी हैं। इनके कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी को कोई खास फायदा तो नहीं हुआ है, बल्कि पार्टी इनके घर से हारी है। ऐसे में इन्हें प्रत्याशी बनाना पार्टी के लिए कितना हितकारी होगा यह तो पार्टी के लोग ही जानेंगे। वैसे यह भी सुनने में आया है कि इन्हें इसी शर्त पर शामिल किया गया था कि लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया जायेगा। स्थिति क्या होगी यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा, किंतु एक बात तय है कि मुकाबला रोचक होगा। दोनों ही दल इन दिनों प्रत्याशी चयन को लेकर दिन-रात एक किए हुए हैं। जनता का रूख किस ओर जायेगा यह तो 23 मई को जाहिर होगा। इसके पहले सभी अपने-अपने पक्ष में दावे कर रहे हैं। प्रत्याशी चयन के बाद तस्वीर साफ होगी कि मुकाबला कैसा होगा।

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