दिनरात कोरोना संक्रमण से जूझ रहें लोगो की सेवा को बताया पहला धर्म
अनूपपुर, 01 मई। वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहे मरीजों की सेवा और पल पल संक्रमण के बीच गुजर रहे चिकित्सकों का समय ने उन्हें परिवार से दूर जीने विवश कर दिया है। परिवार की सुरक्षा और खुशियों के लिए चिकित्सकों का एक दल पिछले एक सप्ताह से होटल के बंद कमरे में अपना समय व्यतीत कर रहा है। जहां डूयटी समाप्त कर एक के बाद दूसरा और दूसरे के बाद तीसरा साथी संक्रमित मरीजों की सेवा कर रहा है। वहीं युवा चिकित्सकों की टोली जिनमें डॉ. प्रवीण शर्मा, डॉ. अनुराग कुमार और डॉ. विनोद कुमार शामिल हैं।
डॉ. प्रवीण शर्मा की दो वर्ष पूर्व शादी हुई है और उन्हें एक बच्चा भी है। डॉ. विनोद कुमार अपनी पत्नी के साथ किराए के मकान में रहते हैं। जबकि डॉ. अनुराग अविवाहित है। तीनों परिजनों की खोज खबर रोजाना आने वाला मोबाइल फोन उन्हें एक पल के लिए मायूस करता है तो दूसरे ही पल चिकित्सक होने और मरीजों की सेवा करने का जज्बा भी पैदा करता है।
डॉ. प्रवीण बताते हैं कि जब भी घर से फोन आता है और बच्चे की तस्वीर सामने आती है एक पल के लिए सारी दुनिया थमा सा महसूस करता हूं। लेकिन अपने बच्चे और परिवार की सुरक्षा में मैं उनके बीच शामिल नहीं हो सकता। डॉ. विनोद भी अपनी पत्नी से दूर होटल में समय व्यतीत कर रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि जिस हालात से देश और आम नागरिक जूझ रहे हैं उसमें अपने फर्ज को पूरा करना ही सच्ची सेवा और मानवीयता होगी।
होटल में ही मना जन्म दिन का जश्न
डॉ. अनुराग कुमार का जन्म दिन 28 अप्रैल को होने पर ये सभी मित्रों ने होटल में ही केक काटकर अपने मित्र का जन्म दिवस मनाया और एक दूसरे साथ खुशियां सांझा की। डॉ. अनुराग बताते हैं कि यह जरूर है कि घर होता तो जश्न और बड़ा होता, लेकिन यहां अपने मित्रों के साथ भी जन्म दिन की छोटी पार्टी मनाकर बड़ी खुशियां हासिल कर ली। ये सभी मित्र मेरी तरह से संक्रमित मरीजों के बीच उनकी जान बचाने में दिन-रात लगे रहते हैं। भला इनसे दूर होकर पार्टी मनाने का इससे बेहतर और ज्यादा मजा नहीं आ सकता था।
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