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सोमवार, 10 मई 2021

आपत्तिजनक टिप्पणी के बबाल पर इंगांराजवि के प्राध्यपक ने मांगी क्षमा,सोशल मिडिया में जताया खेद

धर्मिक संगठनों अमरकंटक के बाद राजेन्द्रग्राम में मामला दर्ज, बजरंग दल ने 1 सप्ताह का दिया समय

अनूपपुर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जन जातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में सामाजिक विज्ञान संकाय अघ्यक्ष प्राध्यपक राकेश सिंह ने सोशल मिडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी से बहुसंख्याक समुदाय की धर्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। जिसके बाद सोमवार को सोशल मिडिया में टिप्पणी लिखते हुए कहा यदि मेरे इस कृत्य से संत समाज रुष्ट है तो मैं उनसे क्षमा प्रार्थी हूँ। सोमवार को एक और मामला राजेन्द्रग्राम थानें में धार्मिक भावनाओं को आहत करने व अभद्र टिप्पणी पर मामला पंजीबद्घ कराया हैं।

प्राध्यपक राकेश सिंह ने सोमवार को सोशल मिडिया पर पर अपनी सफाई देते हुए लिखा कि विगत दिनों विश्वविद्यालय में एक के बाद एक होने वाली असामयिक मौतों से होने वाले मानसिक पीड़ा के कारण मैंने फेसबुक वाल पर एक पोस्ट डाली थी। किंतु शीघ्र ही मुझे एहसास हुआ कि इन घटनाओं के लिए ईश्वर या अन्य किसी आधिभौतिक सत्ता को दोष देना ठीक नहीं है। मैंने थोड़ी ही देर बाद वह पोस्ट हटा लिया। दूसरे दिन मैंने महसूस किया कि मेरे इस पोस्ट से कुछ लोगों को भावनात्मक कष्ट हुआ होगा। इसके लिए मैंने खेद व्यक्त करते हुए दूसरा पोस्ट लिखा। पहली पोस्ट मैंने मानसिक संत्रास की उस स्थिति में लिखा जब एक के बाद एक मेरे स्वजनो के, जिनमे अधिकरत आयु में मुझसे छोटे थे, स्वर्गवासी होने की सूचनाएँ मिल रही थीं और मैं उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पा रहा था; पिछले एक हफ्ते से स्वजनों की लाशें गिनना भी एक काम जैसा हो गया था जैसे। इसी बीच विश्वविद्यालय के 3 वरिष्ठ सदस्यों प्रो.तीर्थेश्वर सिंह, डॉक्टर एसडी त्रिपाठी और प्रो.संध्या गीहर की अचानक मृत्यु होना और उसमें भी 6 मई को हुई डॉक्टर एसडी त्रिपाठी की मृत्यु की शोक सभा 7 मई को होने ही वाली थी कि प्रो संध्या गीहर के अस्वस्थ्य होने की सूचना मिली और कुछ ही समय पश्चात उनके मृत्यु का समाचार भी आ गया। इन लगातार होने वाली त्रासद घटनाओं से अवसन्न होकर भावावेश में मैंने वह पोस्ट लिख दिया था। मेरा उद्देश्य किसी की भावना को क्षति पहुँचना नहीं था। मैं स्वयं एक क्षत्रिय हिंदू परिवार से हूँ। मैं आपने ही पुरखों- बुजुर्गों की भावनाओं को कष्ट पहुँचने का अपराध सपने में भी नहीं कर सकता। अमरकण्टक में पिछले 13 साल से रह रहा हूँ और यहाँ के संत समाज का सदा समादर करता रहा हूँ। यदि मेरे इस कृत्य से संत समाज रुष्ट है तो मैं उनसे क्षमा प्रार्थी हूँ।

क्या लिखा सोशल मिडिया में

प्राध्यपक राकेश सिंह ने सोशल मिडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए लिखा कि यदि ईश्वर शरीरी होता अथवा जमीन पर होता तो आज जूते खाता मैं आज आश्वस्त हो गया हूँ या तो ईश्वर हैं नही यदि है तो परम् हरामी है। इस टिप्पणी के बाद धार्मिक संगठनों एवं आम लोगो का गुस्सा सोशल मिडिया फूट पड़ा था।

हिन्दुस्थान समाचार से फोन पर चर्चा के दौरान किया था स्वीकार

ज्ञात हो कि 7 मई को सोशल मिडिया में राकेश सिंह ने धर्मिक भावनाओं को आहत करते हुए टिप्पणी पर हिन्दुस्थान समाचार से फोन पर चर्चा के दौरान स्वीकार करते हुए कहा था कि टिप्पणी मैंने किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए नहीं की मैंने इस कोरोना में सहयोगी एवं परिचितों को खोने का दुख और गुस्से में की गई थी। जिसे बाद में लगा कि मैंने गलत लिखा हैं फिर हटा लिया।


इस टिप्पणी के बाद अमरकंटक के साधू सामाज में जबरजस्त आक्रोश हैं जिस पर 8 मई की रात अमरकंटक थाने में महंत रामभूषण दास ने आवेदन दिया। 9 मई को महंत रामभूषण दास के नेतृत्व में लवलीन बाबा धारकुंडी आश्रम स्वामी चैतन्य, रोशन पनारिया, अभिषेक द्विवेदी, प्रकाश द्विवेदी, राधेरमण सिंह, अंकित साहु, दिनेश साहू, श्रवण उपाध्याय, उमा शंकर पांडे सहित अन्य लोगों पहला मामला पंजीबद्घ कराया। दूसरा मामला 10 मई को थाना राजेन्द्रग्राम में बजरंग दल ने 7 दिवस के भीतर कार्यवाई की मांग की हैं।

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